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Bengal में चुनाव के बाद हुई हिंसा मामले पर आज फैसला सुनाएगा कलकत्ता हाईकोर्ट

Updated Aug 19, 2021 | 06:42 IST

कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) आज पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद की कथित हिंसा (Bengal Violence) की निष्पक्ष जांच की मांग वाली कई जनहित याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाएगा।

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मुख्य बातें
  • बंगाल की चुनावी हिंसा को लेकर आज फैसला सुनाएगा हाईकोर्ट
  • हाईकोर्ट के फैसले पर टिकी है बीजेपी और टीएमसी दोनों की नजर
  • चुनावी हिंसा के बाद बंगाल में हुआ था काफी नुकसान, लोगों को गंवानी पड़ी थी जान

कोलकाता: पश्चिम बंगाल चुनाव बाद हिंसा मामले (West Bengal Election Violence) में कलकत्ता हाई कोर्ट आज  फैसला सुनाएगा। बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद की हिंसा के कुछ महीनों बाद आज कलकत्ता हाई कोर्ट अलग-अलग शहरों में इमारतों और सार्वजनिक संपत्तियों में आगजनी और आगजनी से संबंधित जनहित याचिकाओं पर जो निर्णय देने वाला है उस पर सभी की नजर टिकी हुई है, खासकर सत्ताधारी टीएमसी और विपक्षी दल बीजेपी की।

3 अगस्त को रखा था फैसला सुरक्षित

3 अगस्त को कलकत्ता हाई कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने हिंसा से संबंधित जनहित याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अदालत ने संबंधित पक्षों से उसी दिन तक कोई अतिरिक्त दस्तावेज जमा करने को भी कहा था। चुनाव आयोग ने हाई कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव के बाद की हिंसा के आरोपों की सत्यता की जांच के लिए एक पैनल का भी गठन किया था।  हिंसा को लेकर बीजेपी ने आरोप लगाया था की भारी जनादेश के साथ जीतने वाली टीएमसी ने हिंसा के समय आंखें मूंद लीं जिसके चलते कई लोगों की जान गई और सरकारी संपत्ति का भारी नुकसान हुआ था।

पांच सदस्यों की पीठ सुनाएगी फैसला

हाईकोर्ट द्वारा बुधवार को जारी 'सूची' के अनुसार कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ मामले पर फैसला सुनाएगी। जजों की खंडपीठ ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) अध्यक्ष को चुनाव के बाद की हिंसा के दौरान मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपों की जांच के लिए एक जांच समिति गठित करने का आदेश दिया था।

ममता सरकार को पैनल ने ठहराया था दोषी
पैनल के सदस्यों ने जब हिंसाग्रस्त इलाकों का दौरा किया था तो वहां उन्हें दिक्तों का सामना करना पड़ा था। पैनल ने अपनी रिपोर्ट में ममता बनर्जी सरकार को दोषी ठहराते हुए बलात्कार और हत्या जैसे गंभीर अपराधों की जांच सीबीआई को सौंपने की सिफारिश की थी। उसने कहा था कि मामलों की सुनवाई राज्य के बाहर की जानी चाहिए।

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