- एलएसी पर भारत के आक्रामक रुख को चीनी एक्सपर्ट ने भी सराहा
- एक्सपर्ट का कहना है कि भारत के मजबूत इरादे से पीछे हटी पीएलए
- एक्सपर्ट ने माना कि गलवान घाटी की हिंसा के बाद सीमा पर मजबूत हुआ भारत
नई दिल्ली : लद्दाख सहित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन की कमजोर होती स्थिति और भारत की मजबूती पर चीनी एक्सपर्ट ने भी मुहर लगाई है। गॉर्डन जी चॉन्ग ने अपने एक लेख में कहा है कि गलवान घाटी की घटना के बाद एलएसी पर चीन की स्थिति कमजोर और भारत को घेरने की राष्ट्रपति शी जिनपिं की रणनीति बुरी तरह 'फ्लाप' हुई है। चॉन्ग का कहना है कि हाल के दिनों में भारतीय फौज ने चीन की सेना पीएलए को पीछे हटने के लिए मजबूर किया है। चॉन्ग का दावा है कि गलवान घाटी की हिंसक झड़प में चीन के करीब 40 सैनिक हताहत हुए। बता दें कि चॉन्ग का यह लेख एलएसी पर सैन्य रूप से भारत की मजबूत स्थिति की ओर इशारा करता है। चीन की रणनीति पर चॉन्ग बारीकी से नजर रखते हैं और वहां की कम्यूनिस्ट सरकार की कार्यप्रणाली को अच्छी तरह से समझते हैं।
अमेरिकी पत्रिका 'न्यूज वीक' में लिखा लेख
अमेरिकी पत्रिका 'न्यूज वीक' में प्रकाशित अपने लेख में चॉन्ग आगे कहते हैं, 'जिनपिंग भारत के खिलाफ आक्रामकता के 'सूत्रधार' हैं लेकिन एलएसी पर उनकी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी बुरी तरह असफल हुई है। भारतीय सीमा पर चीनी सेना की इस अफलता के दुष्परिणाम सामने आएंगे। भारत के आक्रामक रुख को देखते हुए पीएलए सीमा पर भारतीय चौकियों को निशाना बनाने की फिर कोशिश कर सकती है।'
'विवादित इलाके में दाखिल होना चीन की आदत'
कॉलमिस्ट ने आगे लिखा है कि चीन की विवादित क्षेत्र में दाखिल होने की आदत है। चीन का मानना है कि 1962 की लड़ाई में हार से आहत भारतीय सैनिक एवं नेता 'मनोवैज्ञानिक दबाव' में रहते हैं और वे केवल बचाव की कार्रवाई करते हैं लेकिन चीन की यह सोच इस बार भारी पड़ गई है। समझा जाता है कि गलवान घाटी की हिंसक झड़प में चीन के कम से कम 43 जवानों की मौत हुई है। फाउंडेशन फॉर डिफेंस ऑफ डेमोक्रेटीज के सीईओ क्लेयो पास्कल ने 'न्यूज वीक' से बातचीत में दावा किया कि इस झड़प में जान गंवाने वाले चीनी सैनिकों की संख्या 60 भी हो सकती है। गलवान में भारतीय सैनिकों ने बहादुरी से लड़ा लेकिन इस बात को चीन कभी स्वीकार नहीं करेगा।