पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की कांग्रेस के खिलाफ बगावत अब जगजाहिर हो गई है। कल ही कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ऐलान किया कि वह अपनी अलग पार्टी बनाएंगे। सीटों के बंटवारे की बात भी उन्होंने की और वो भी बीजेपी के साथ। कैप्टन के मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल ने ट्वीट किया कि किसानों सहित पंजाब और उसके लोगों के हितों की सेवा के लिए जल्द ही नए राजनीतिक दल की घोषणा की जाएगी, जिसमें बीजेपी के साथ सशर्त गठबंधन हो सकता है।
इस ट्वीट के बाद कैप्टन कांग्रेस के लिए बेगाने हो गए। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत का कुछ ऐसा ही कहना है। उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि पंजाब कांग्रेस में अब तक जो कलह थी उसके सूत्रधार अमरिंदर सिंह ही थे। अमरिंदर सिंह की नई पार्टी बनाने पर प्रतिक्रिया देते हुए हरीश रावत ने कहा कि कैप्टन के नई पार्टी बनाने और बीजेपी से हाथ मिलाने से कांग्रेस को कोई फर्क नहीं पड़ेगा। नई पार्टी के गठन की घोषणा करते ही जो कैप्टन कांग्रेस के लिए बेगाने हो गए, वही कभी पंजाब में कांग्रेस का चेहरा थे। वही कैप्टन जिन्होंने 2017 में कांग्रेस को 77 सीटों पर जीत दिलाई थी।
कांग्रेस के खिलाफ जंग का ऐलान
कैप्टन की नई टीम कांग्रेस के खिलाफ जंग का ऐलान है। कुछ दिन पहले खुद कैप्टन अमरिंदर ये कह चुके हैं कि उनका एक मात्र लक्ष्य पंजाब में कांग्रेस को हराना है। कैप्टन के ऐलान-ए-जंग के साथ ही सियासी कयासों का दौर शुरू हो गया। सवाल पूछे जाने लगे :
कैप्टन की नई पार्टी कितनी असरदार होगी?
कैप्टन की एंट्री से पंजाब में चतुष्कोणीय लड़ाई?
पंजाब में कैप्टन की टीम, कांग्रेस का घाटा?
कैप्टन के साथ से बीजेपी का कद बढ़ेगा?
सबकी लड़ाई में आम आदमी पार्टी की मलाई?
60 सीटों पर असर डाल सकते हैं कैप्टन
52 साल... आधी सदी से भी ज्यादा। ये कैप्टन अमरिंदर सिंह का सियासी अनुभव है। कैप्टन ने इसमें से ज्यादातर वक्त कांग्रेस के साथ गुजारा है। पंजाब की राजनीति में कैप्टन की जड़ें काफी मजबूत हैं। अमरिंदर सिंह पंजाब के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। ऐसे में प्रशासनिक और राजनीतिक तौर पर सूबे में उनकी पकड़ बेहद मजबूत है। अंदरखाने की खबर ये है कि पंजाब के 25 विधायक अमरिंदर सिंह के साथ हैं। कुछ सांसद भी कैप्टन के साथ हैं। पंजाब के अलग अलग इलाकों में कुल 60 सीटों पर कैप्टन प्रभाव डाल सकते हैं।
कैप्टन के अलग पार्टी के गठन के ऐलान से जहां कांग्रेस को नुकसान होता नजर आ रहा है, वहीं बीजेपी इसे अपने लिए जनाधार बढ़ाने के मौके के तौर पर देख रही है। 2017 के चुनाव में बीजेपी को अकाली दल के साथ के बावजूद 3 सीटों पर ही जीत हासिल हुई थी। कैप्टन ने नई पार्टी के ऐलान के साथ ही बीजेपी के साथ गठबंधन की घोषणा भी की। पिछले कुछ दिनों में देश के गृह मंत्री अमित शाह से कैप्टन की दो मुलाकातों से ये बातें तो जगजाहिर हो चुकी है। पंजाब में बीजेपी के चुनावी रथ को सारथी की जरूरत तो है। लेकिन फिलहाल ये कहना मुश्किल है कि चुनावी युद्ध में कैप्टन बीजेपी के कृष्ण जैसे सारथी साबित होंगे या नहीं? वहीं चौतरफा सियासी लड़ाई में आम आदमी पार्टी के फायदे को लेकर भी अनुमान जताया जा रहा है। अब नई टीम के साथ पंजाब में कैप्टन कितने असरदार होंगे? पंजाब की सियासी गुणा गणित में कितना बदलाव आएगा? देखिये इस रिपोर्ट में।