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Dhakad Exclusive: घोटाले में फंसे ममता बनर्जी के मंत्री! 77 पन्नों की चार्जशीट में मंत्री और अधिकारी

Updated Sep 06, 2021 | 20:35 IST

Dhakad Exclusive: नारदा घोटाले में ममता बनर्जी के मंत्री फंस गए हैं? 77 पन्नों के आरोप पत्र में मंत्री और अधिकारियों के नाम हैं। ममता के मंत्रियों पर ED का शिकंजा कस गया है।

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'धाकड़ EXCLUSIVE' में बात हुई पश्चिम बंगाल के नारदा घोटाले पर। पश्चिम बंगाल में हुए नारदा घोटाले की 77 पन्नों की चार्जशीट TIMES NOW नवभारत के पास है। ये वो चार्जशीट है, जिसमें ममता बनर्जी सरकार के दो मंत्रियों का नाम है, जिन पर निजी कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए रिश्वत लेने का आरोप है। चार्जशीट में ममता सरकार के 2 मंत्रियों के अलावा कुछ नेताओं और अधिकारियों के नाम हैं। 

फिरहाद हाकिम, सुब्रत मुखर्जी, मदन मित्रा, सोवन चटर्जी, एस.एम.एच. मिर्जा, IPS। यही वो हैं जिनका नाम प्रवर्तन निदेशालय की चार्जशीट में मौजूद है। नारदा घोटाले में TIMES NOW नवभारत को ED के चार्जशीट की EXCLUSIVE कॉपी मिली है। ये चार्जशीट 77 पेज की है। चार्जशीट में TMC विधायक मदन मित्रा और पूर्व मेयर सोवन चटर्जी का नाम शामिल है। चार्जशीट में घोटाले की पूरी मॉडस ओपरेंडी का जिक्र किया गया है। कैसे नेता और मैथ्यूज सैमुअल के बीच पैसों का लेनदेन किया गया, इस बात की पूरी जानकारी चार्जशीट में मौजूद है। इसके अलावा ममता सरकार के दो मंत्रियों फिरहाद हाकिम और सुब्रत मुखर्जी का नाम भी शामिल है। कोलकाता की विशेष अदालत में यह आरोप पत्र दायर किया गया है।

चार्जशीट में फिरहाद हाकिम, सुब्रत मुखर्जी, मदन मित्रा, सोवन चटर्जी और IPS अधिकारी एस.एम.एच. मिर्जा के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और रिश्वतखोरी के आरोप लगाए गए हैं। इन सबके कबूलनामे की जानकारी भी ED ने विशेष कोर्ट को दी है। ED ने चार्जशीट में कहा है कि मंत्री और सरकारी अधिकारी होने के बावजूद एक निजी कंपनी को फायदा पहुंचाने के बदले में रिश्वत ली। रिश्वत के लेन-देन में हवाला का इस्तेमाल किया गया।

मदन मित्रा ने पूरी कार्रवाई को राजनीति से प्रेरित करार दिया। उन्होंने साफ कहा कि सुवेंदु अधिकारी का नाम इसलिए नहीं है क्योंकि वो बीजेपी में हैं। हम आपको यहां ये भी बता देते हैं कि नारदा का ये पूरा मामला क्या है..

नारदा घोटाला वर्ष 2014 के एक स्टिंग ऑपरेशन से जुड़ा है, जिसमें तृणमूल के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल सरकार के उच्च पदस्थ अधिकारियों और राजनेताओं का स्टिंग ऑपरेशन किया गया था, जिसमें कई राजनेताओं और बड़े अधिकारियों पर निजी कंपनियों से रिश्वत लेने का आरोप है। स्टिंग ऑपरेशन में रिश्वत के एवज में निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने की बात की गई थी। वर्ष 2016 के विधानसभा चुनाव से पहले स्टिंग ऑपरेशन को सार्वजनिक किया गया था। कलकत्ता हाई कोर्ट ने मार्च 2017 में नारदा घोटाले की जिम्मेदारी CBI को सौंप दी, जिसके बाद ED यानी प्रवर्तन निदेशालय को भी मामले की जांच में शामिल किया गया।

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