- किसानों और प्रशासन में बनी सहमति, मामले की होगी न्यायिक जांच, SDM रहेंगे छुट्टी
- बीते कई दिनों से मिनी सचिवालय पर धरना दे रहे थे किसान
- करनाल में हुए लाठीचार्ज को लेकर किसानों की प्रशासन से लगातार चल रही थी बातचीत
करनाल: हरियाणा की खट्टर सरकार ने करनाल में धरना (Farmers prtoest in Karnal) दे रहे किसानों की मांगें मान ली हैं। हाईकोर्ट से रिटायर हुए जज आयुष सिन्हा के खिलाफ न्यायिक जांच करेंगे। जांच के दौरान आयुष सिन्हा छुट्टी पर रहेंगे. इसके साथ ही हरियाणा सरकार मृत किसान सुशील काजल के परिवार में से दो सदस्यों को नौकरी भी देगी. किसान नेता गुरुनाम सिंह चढूनी ने इसे किसानों की जीत बताया। धरना शुरू होने से पहले हरियाणा की खट्टर सरकार किसानों की मांग न मानने पर अड़ी हुई थी। लेकिन धरने में आ रही भीड़ और उससे सरकारी कामकाज पर पड़ रहे असर को देखते हुए आखिरकार किसानों की मांगें मान ली गईं।
28 अगस्त को हुआ था लाठीचार्ज
करनाल में आज प्रशासन और किसानों की संयुक्त प्रेस वार्ता में किसानों की मांग मानने की घोषणा हुई. 28 अगस्त को करनाल के बसताड़ा में हुए लाठीचार्ज के विरोध में हज़ारों किसान 8 सितम्बर की शाम से ही मिनी सचिवालय के बाहर धरना दे रहे थे। किसान संगठनों ने तत्कालीन एसडीएम आयुष सिन्हा पर कार्रवाई और मृत किसान सुशील काजल के परिवार वालों के लिए नौकरी की मांग की थी। किसानों की मांग को लेकर किसान नेताओं और हरियाणा सरकार के बीच कई दौर बैठक भी हुई।
क्या हुआ था बसताड़ा में?
करनाल के बसताड़ा में 28 अगस्त को किसानों का एक मोर्चा हुआ था। मोर्चे के दौरान किसानों पर लाठीचार्ज किया गया। पुलिस की कार्रवाई में कई किसान घायल हुए थे। इनमें से एक किसान सुशील काजल की बाद में मौत हो गयी थी। उसी दिन इलाके के एसडीएम आयुष सिन्हा का एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें वो किसानों का सिर फोड़ने का निर्देश दे रहे थे। इस वीडियो के सामने आने के बाद किसान संगठनों में आक्रोश था। एसडीएम के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की मांग को लेकर 8 सितम्बर को संयुक्त किसान मोर्चे ने एक महापंचायत बुलाई थी।
अब आगे क्या होगा?
मांगे पूरी होने के बाद अब करनाल के मिनी सचिवालय के बाहर धरना दे रहे किसानों ने वापस जाना शुरू कर दिया है. दिल्ली के गाजीपुर, सिंघू और बहादुरगढ़ बॉर्डर पर धरना पहले जैसा चलता रहेगा.