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राकेश टिकैत ने भरी हुंकार- संसद में होगा किसानों का इलाज, दिल्ली का क्या इलाज करना है हम बताएंगे

Updated Jun 27, 2021 | 00:20 IST

Rakesh Tikait on Farmer's protest: किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि हमने अपने आंदोलन को और तेज करने का फैसला किया है। अगले महीने और ट्रैक्टर रैलियां निकाली जाएंगी।

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मुख्य बातें
  • किसान 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर बैठे हुए हैं
  • आंदोलन के सात महीने बाद भी किसान नेता अपनी मांग पर अड़े
  • कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से आंदोलन वापस लेने और बातचीत करने की अपील की

नई दिल्ली: किसान आंदोलन के 7 महीने पूरे हो गए हैं। इस मौके पर किसानों ने शनिवार को अनेक राज्यों में राज्यपालों के आवास तक मार्च निकालने का प्रयास किया। वहीं भारतीय किसान यूनियन (BKU) के नेता राकेश टिकैत ने एक बार फिर हुंकार भरते हुए कहा कि हमारे जिन पदाधिकारियों को पकड़ा हैं उन्हें या तो तिहाड़ जेल भेजो या फिर राज्यपाल से इनकी मुलाकात कराओ। हम आगे बताएंगे कि दिल्ली का क्या इलाज करना है। दिल्ली बगैर ट्रैक्टर के नहीं मानती है। लड़ाई कहां होगी, स्थान और समय क्या होगा यह तय कर बड़ी क्राांति होगी।

टिकैत ने कहा, 'संसद तो किसानों का अस्पताल हैं। वहां हमारा इलाज होगा। हमें पता चला हैं कि किसानों का इलाज एम्स से अच्छा तो संसद में होता है। हम अपना इलाज वहां कराएंगे। जब भी दिल्ली जाएंगे हम संसद में जाएंगे।' उन्होंने आगे की योजना बताते हुए कहा कि आज की बैठक में हमने अपने आंदोलन को मजबूत करने का फैसला किया है। हमने दो और रैलियां करने का फैसला किया है; 9 जुलाई को ट्रैक्टर रैली होगी, जिसमें शामली और बागपत के लोग मौजूद होंगे, ये 10 जुलाई को सिंघू बार्डर पहुंचेगे। एक और रैली 24 जुलाई को होगी, इसमें बिजनौर और मेरठ के लोग शामिल होंगे। 24 जुलाई की रात वे मेरठ टोल पर रुकेंगे और 25 जुलाई को रैली यहां (दिल्ली-गाजीपुर) पहुंचेगी।

किसान वापस लें आंदोलन: कृषि मंत्री

वहीं केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से आंदोलन समाप्त करने की अपील करते हुए तीनों विधेयकों के प्रावधानों पर वार्ता बहाल करने की पेशकश की। तोमर ने ट्वीट किया, 'मैं आपके (मीडिया के) माध्यम से बताना चाहता हूं कि किसानों को अपना आंदोलन समाप्त करना चाहिए .... देश भर में कई लोग इन नए कानूनों के पक्ष में हैं। फिर भी, कुछ किसानों को कानूनों के प्रावधानों के साथ कुछ समस्या है, भारत सरकार उसे सुनने और उनके साथ चर्चा करने के लिए तैयार है।'  

भारतीय किसान यूनियन के महासचिव युद्धवीर सिंह ने कहा, 'सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य के बारे में बात नहीं करती। सरकार हमेशा कानूनों में संशोधन के बारे में बात करती है। हालांकि हम चाहते हैं कि इन कानूनों को निरस्त किया जाए। हम यह भी चाहते हैं कि एमएसपी पर एक कानून लाया जाए।'

कानूनों पर बने गतिरोध को समाप्त करने के लिए सरकार और किसान संगठनों के बीच अब तक 11 दौर की वार्ता हो चुकी है। आखिरी बार बातचीत 22 जनवरी को हुई थी। इसके बाद 26 जनवरी को दिल्ली में प्रदर्शनकारी किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान हिंसा फैलने के बाद वार्ता बहाल नहीं हो सकी।

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