- भगवान हनुमान के जन्मस्थान को लेक बुलाई गई धर्मसंसद में हुआ हंगामा
- हनुमान का जन्म किष्किंधा में हुआ या अंजनेरी में, इसे लेकर बुलाई गई थी धर्मसंसद
- हनुमान जी के जन्मस्थान को लेकर देश के साधु-संतों में छिड़ी नई बहस
नासिक: भगवान हनुमान के जन्म स्थान को लेकर जारी विवाद के बीच नासिक में हो रही धर्म संसद में जमकर हंगामा हुआ। दो संतों में इस कदर बहस हुई कि मामला हाथापाई तक पहुंच गया। हालात यूं बिगड़े कि इसके बाद धर्म संसद को बीच में ही रद्द कर दिया गया। हनुमान के जन्मस्थल विवाद को सुलझाने के लिए जिन संतों ने बैठक बुलाई वो आपस में ही उलझ गए, माइक से दूसरे पर हमला करने लगे। बता दें कि बैठक में इस बात कि चर्चा होनी थी कि हनुमान का जन्म किष्किंधा में हुआ या अंजनेरी में।
धर्मसंसद में जमकर हुई बहस
हनुमान जी के जन्मस्थान को लेकर देश के साधु-संतों में नई बहस छिड़ गई है। बहस ये, कि अंजनीपुत्र हनुमान का जन्म भारत के किस राज्य में हुआ? कहां पर हुआ? इसी बहस में नतीजे तक पहुंचने के लिए नासिक में धर्म संसद भी बुलाई गई। हनुमान चालीसा और लाउडस्पीकर विवाद के बीच महाराष्ट्र के नासिक के अजनेरी गांव में एक धर्मसंद बुलाई गई। ये धर्मसंसद रामभक्त हनुमान के जन्मस्थान को लेकर बुलाई गई..जिसमें साधु-संतों के बीच पवनपुत्र की जन्मस्थली को लेकर बहस जोरदार हुई।
नासिक में हुई ये धर्मसंसद दोपहर 12 बजे बैठी लेकिन धर्मसंद शुरू होने से पहले एक अलग ही किस्म का विवाद हो गया। असल में किष्किंधा में हनुमान के जन्मस्थान का दावा करने वाले और इस संसद के आयोजक महंत गोविंद दास एक भगवा कुर्सी पर बैठे थे। वहीं, शास्त्रार्थ में शामिल होने आये नासिक के संतों को लिए जमीन पर बैठने का इंतजाम था। इसी बात से नासिक के संत नाराज हो गए और उन्होंने उस धर्म संसद का बहिष्कार कर दिया।बाद में मामला गरमाता देख गोविंद दास खुद ही जमीन पर बैठे और शास्त्रार्थ का प्रारंभ हुआ।
रामायण का दिया हवाला
इसमें नासिक से शामिल हुए पक्ष ने हनुमान जन्मस्थली अंजनेरी के लिए ब्रम्ह पुराण के एक श्लोक का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि अगस्त मुनि ने अंजनी माता को यहीं पर आशीर्वाद दिया था। धर्मसंसद के आयोजक किष्किंधा के श्री हनुमत जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के गोविंदानंद सरस्वती स्वामी ने नासिक पक्ष के इस दावे को ये कहते हुए खारिज किया कि वाल्मीकि रामायण में हनुमान की जन्मस्थली के तौर पर नासिक का जिक्र नहीं है। बल्कि वाल्मीकि रामायण में कर्नाटक के किष्किंधा की ही चर्चा है। अपने इस दावे के पक्ष में उन्होंने शास्त्रों का हवाला दिया और इस मुद्दे पर बहस करने की खुली चुनौती दी।
नहीं निकला हल
महंत गोविंद दास ने नासिक के संतों से अपील की कि वे शास्त्रों के आधार पर सिद्ध करें कि भगवान हनुमान की जन्मभूमि अंजनेरी है। महंत ने कहा कि जन्म स्थान हमेशा एक ही रहता है और रामायण में महर्षि वाल्मीकि ने कहीं नहीं लिखा कि हनुमान जी का जन्म नासिक के अंजनेरी गांव में हुआ था। ये दावे अपनी जगह, लेकिन इस बीच आंध्रप्रदेश के तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम का भी दावा यही है कि हनुमान यहां जन्मे थे। तो वहीं, गुजरात, झारखंड और बिहार में भी हनुमान के जन्मस्थान का दावा पहले किया जा चुका है। इसीलिए नासिक के अंजनेरी गांव में धर्मसंसद बुलाकर बाकायदा शास्तार्थ करके इस मसले का हल निकाला जाना था लेकिन धर्मसंसद में शास्तार्थ तो हुआ मगर, नतीजा कुछ खास नहीं निकला। बहस जस की तस बनी रही।
सियासी मुद्दा
इस धर्मसंसद में बात ये भी उठी कि धर्म संसद में सभी अखाड़ों के प्रतिनिधियों को बुलाया जाना चाहिए था। उन साधु-संतों को बुलाया जाना चाहिए था जिन्हें हनुमान के बारे में ज्ञान है और अब ये माना जा रहा है कि अगली बार जब धर्म संसद बैठेगी तो शायद अखाड़ों को भी निमंत्रण भेजा जाए। लेकिन नासिक में हुई इस धर्म संसद के आयोजन से एक बात और निकली वो ये कि ये मामला सिर्फ धार्मिक नहीं रह गया है बल्कि इस पर सियासत भी शुरू हो चुकी है। कुल मिलाकर हनुमान के जन्मस्थान का मुद्दा अब सियासी बन चुका है और अगर इस विवाद में आने वाले दिनों में और भी दल कूद पड़ें, तो इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए।