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India- China border tension: गलवान में सैनिकों की शहादत पर राहुल गांधी का सवाल, आखिर पीएम क्यों चुप हैं

Updated Jun 17, 2020 | 10:07 IST

Galwan valleyviolence: गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों की शहादत पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने पीएम नरेंद्र मोदी से कुछ तीखे सवाल किए हैं।

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मुख्य बातें
  • गलवान में हिंसक झड़प में भारत के 20 सैनिक शहीद, कमांडिंग आफिसर भी शामिल
  • 15 जून की रात चीनी सैनिकों के साथ हुई थी हिंसक झड़प
  • भारतीय सैनिक चीनी सैनिकों को अपने इलाके में जाने का बना रहे थे दबाव

नई दिल्ली। गलवान घाटी में 15 जून की रात चीन की तरफ से चालबाजी की गई। एक तरह से धोखे से चीन ने भारतीय टुकड़ी पर हमला किया जो बातचीत में तय बिंदुओं पर काम कर रही था। मंगलवार की दोपहर में जब यह खबर आई कि एक कमांडिंग अफसर और दो जवान शहीद हो गए हैं तो हर कोई सन्न था। लेकिन रात होते होते शहीदों की संख्या 20 पर पहुंच गई। उस दर्दनाक घटना के बाद राजनीति भी तेज हो गई है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने पीएम नरेंद्र मोदी से कुछ तीखे सवाल किये हैं। 

राहुल बोले, एनफ इज एनफ
राहुल गांधी ने सवाल के  साथ नाराजगी भी जाहिर की। उन्होंने कहा कि एनफ इज एनफ यानि कि अब बहुत हो गया है। चीन की कैसे हिम्मत हुई कि उसने हमारे सैनिकों को मारा। चीन की हिम्मत कैसे हुई कि वो भारत के जमीन को लेगा। अपनी बात बढ़ाते हुए वो कहते हैं आज देश की जनता इस सरकार से जानना चाहती है कि गलवान में और सीमा पर क्या हो रहा है सरकार आखिर खामोश क्यों है। अब जब जवाब देने का वक्त आया है तो सरकार को आगे बढ़कर जवाब देना चाहिए।

सोनिया गांधी ने भी दागे सवाल
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि संकट की इस घड़ी में पूरा देश फौज के साथ है। सैनिकों की शहादत व्यर्थ नहीं जानी चाहिए। कांगर्से पार्टी संकट की इस घड़ी में सरकार के हर एक फैसले के साथ है। लेकिन सवाल से सरकार पूछना भी राजधर्म है। जब हम यह पूछा करते थे कि आखिर एलएसी पर हालात किस तरह के हैं तो सरकार कुछ नहीं कहती थी। 16 जून को जब दुर्भाग्यपूर्ण खबर आई तो सवाल उठना लाजिमी है कि क्या चीनी सेना भारतीय इलाके में थी।

चीन ने बातचीत का नहीं किया सम्मान 
भारतीय विदेश मंत्रालय ने साफ किया जब विवाद को सुलझाने के लिए बातचीच जारी थी तो उस वक्त चीन की तरफ से संवाद का सम्मान नहीं किया। गलवान घाटी में जो कुछ हुआ उसे रोका जा सकता था। भारत का स्पष्ट मानना है कि सभी तरह के विवाद बातचीत के जरिए ही सुलझाए जाने चाहिए। लेकिन एक बात स्पष्ट है कि देश की संप्रभुता के मुद्दे पर समझौता नहीं किया जा सकता है और न किया जाएगा। 

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