- चीन के तनाव को लेकर राजनाथ सिंह का संसद में बड़ा बयान
- पैंगोग लेक से सेना के पीछे हटने का समझौता हुआ इस बातचीत में हमने कुछ खोया नहीं है- राजनाथ
- पिछले साल अप्रैल से चल रहा था दोनों देशों के बीच तनाव
नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच चल रहे मौजूदा तनाव के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राज्यसभा में अहम बयान दिया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत और चीन ने तय किया है कि अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति को लागू किया जाएगा व जो निर्माण अभी तक किया गया उसे हटा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि जिन जवानों ने अपनी जान इस दौरान गंवाई है उन्हें देश हमेशा सलाम करेगा। मुझे भरोसा है कि पूरा सदन देश की संप्रभुता के मुद्दे पर एक साथ खड़ा है।
संसद में बोले रक्षा मंत्री
रक्षा मंत्री ने कहा, 'चीन के साथ साउथ पैंगोग लेक से लेकर पूर्व डिसइंगेजमेंट हो चुका है। पैंगोग लेकर एरिया पर चीन के साथ जो समझौता हुआ है उसके अनुसार दोनों पक्ष अपनी सेना को धीरे-धीरे हटाएगा। पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण में सैनिकों की वापसी पर सहमति बन गई है। कल से सीमा पर सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया शुरू हो गई है। सैनिक वापसी की प्रक्रिया के बाद बाकी मुद्दों के हल के बातचीत चल रही है। समझौते के 48 घंटे के भीतर दोनों देश के कमांडर मिलेंगे।'
रक्षा मंत्री का पूरा बयान
रक्षा मंत्री ने कहा, 'मैं सदन को यह भी बताना चाहता हूं कि भारत ने चीन को हमेशा यह कहा है कि द्विपक्षीय संबंधों दोनों पक्षों के प्रयास से ही विकसित हो सकते हैं, साथ-साथ ही सीमा के प्रश्न को भी बातचीत के जरिए हल किया जा सकता है। LAC पर peace and tranquility में किसी प्रकार की प्रतिकूल स्थिति का हमारी द्विपक्षीय पर बुरा असर पड़ता है। कई high level joint statement में भी यह जिक्र किया गया है कि LAC तथा सीमाओं पर peace and tranquility कायम रखना Bilateral Relation के लिए अत्यंत आवश्यक है। मुझे यह बताते हुए गर्व महसूस हो रहा है कि भारतीय सेनाओं ने इन सभी चुनौतियों का डट कर सामना किया है तथा अपने शौर्य एवं बहादुरी का परिचय पैंगोग त्सो के south एवं north bank पर दिया है। भारतीय सेनाऍं अत्यंत बहादुरी से लद्दाख की ऊंची दुर्गम पहाडि़यों तथा कई मीटर बर्फ के बीच में भी सीमाओं की रक्षा करते हुए अडिग हैं और इसी कारण हमारा edge बना हुआ है। हमारी सेनाओं ने इस बार भी यह साबित करके दिखाया है कि भारत की संप्रभुता एवं अखंडता की रक्षा करने में वे सदैव हर चुनौती से लड़ने के लिए तत्पर हैं और अनवरत कर रहे हैं।'
हुआ समझौता
रक्षा मंत्री ने कहा, 'Friction क्षेत्रों में disengagement के लिए भारत का यह मत है कि 2020 की forward deployments जो एक-दूसरे के बहुत नजदीक हैं वे दूर हो जाएं और दोनों सेनाएं वापस अपनी-अपनी स्थाई एवं मान्य चौकियों पर लौट जाएं। बातचीत के लिए हमारी strategy तथा approach माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी के इस दिशा निर्देश पर आधारित है कि हम अपनी एक इंच जमीन भी किसी और को नहीं लेने देंगे। हमारे दृढ़ संकल्प का ही यह फल है कि हम समझौते की स्थिति पर पहुंच गए हैं। इन दिशा निर्देशों के दृष्टिगत सितम्बर, 2020 से लगातार military and diplomatic स्तर पर दोनों पक्षों में कई बार बातचीत हुई है कि इस disengagement का mutually acceptable तरीका निकाला जाए। अभी तक Senior Commanders के स्तर पर 9 rounds की बातचीत हो चुकी है। मुझे सदन को यह बताते हुए खुशी हो रही है कि हमारे इस approach तथा sustained talks के फलस्वरूप चीन के साथ Pangong Lake के North एवं South Bank पर disengagement का समझौता हो गया है।'
कुछ भी खोया नहीं
रक्षा मंत्री ने कहा, 'पैंगोग त्सो लेक में चीन के साथ disengagement का जो समझौता हुआ है उसके अनुसार दोनों पक्ष forward deployment को phased, coordinated and verified manner में हटाएंगे। मैं इस सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं कि इस बातचीत में हमने कुछ भी खोया नहीं है । सदन को यह जानकारी भी देना चाहता हूं कि अभी भी LAC पर deployment तथा Patrolling के बारे में कुछ outstanding Issues बचे हैं । इन पर हमारा ध्यान आगे की बातचीत में रहेगा। दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि Bilateral Agreements तथाProtocol के तहत पूर्ण disengagement जल्द से जल्द कर लिया जाए।चीन भी देश की सम्प्रभुता की रक्षा के हमारे संकल्प से अवगत है।'
शहीदों का पराक्रम रखेगा याद
राजनाथ सिंह ने कहा, 'यह अपेक्षा है कि चीन द्वारा हमारे साथ मिलकर बचे हुए मुद्दों को हल करने का प्रयास किया जाएगा। मैं इस सदन से आग्रह करना चाहता हूं कि मेरे साथ संपूर्ण सदन हमारी Armed Forces की इन विषम एवं भीषण बर्फबारी की परिस्थितियों में भी शौर्य एवं वीरता के प्रदर्शन की भूरि-भूरि प्रशंसा करे। मैं यह कहना चाहता हूँ कि जिन शहीदों के शौर्य एवं पराक्रम की नींव पर यह disengagement आधारित है, उसे देश सदैव याद रखेगा। मैं आश्वस्त हूँ कि यह पूरा सदन, चाहे कोई किसी भी दल का क्यों न हो, देश की संप्रभुता, एकता, अखंडता और सुरक्षा के प्रश्न पर एक साथ खड़ा है और एक स्वर से समर्थन करता है कि यही सन्देश केवल भारत की सीमा तक ही सीमित नहीं रहेगा बल्कि पूरे जगत को जायेगा।'