नई दिल्ली: कश्मीर मसले पर चौतरफा पिटने के बावजूद पाकिस्तान की बौखलाहट कम नहीं हुई है। यहां के कट्टरपंथी सियासी दलों में कश्मीर को पाने की छटपटाहट एक बार फिर दिखी है। पाकिस्तान असेंबली में जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (एफ) ने इमरान सरकार से मांग की है कि वह भारत के खिलाफ 'जिहाद' शुरू करने की आधिकारिक घोषण करे। जेयूआईएफ के नेता मौलाना अब्दुल अकबर चितराली ने पाकिस्तान सरकार आधिकारिक रूप से भारत के खिलाफ 10 फरवरी के बाद युद्ध शुरू करने की घोषणा करने की मांग की है।
पांच अगस्त के बाद से छटपटा रहा पाक
भारत सरकार ने गत पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया। साथ ही सरकार ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्रशासित प्रदेश बना दिए। भारत सरकार के इस कदम से पाकिस्तान के पैरों तले जमीन खिसक गई। उसने कभी सोचा नहीं था कि मोदी सरकार इतना बड़ा फैसला कर सकती है। भारत सरकार के इस फैसले के खिलाफ पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों एवं वैश्विक संस्थाओं का दरवाजा खटखटाया लेकिन उसे हर जगह से निराशा हाथ लगी। चीन, मलेशिया और टर्की को छोड़कर किसी देश ने उसका साथ नहीं दिया। कश्मीर पर सऊदी अरब और यूएई के रुख से उसे तगड़ा झटका लगा।
कश्मीर में स्थितियां सामान्य
इमरान खान ने कश्मीर की 'आजादी' के लिए बड़े-बड़े दावे किए। उन्होंने कहा कि एक बार कश्मीर से कर्फ्यू हटने के बाद वहां के लोग सड़कों पर आ जाएंगे और दावा किया कि भारतीय फौज लोगों के आक्रोश को बल पूर्वक दबाएगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। कश्मीर में बीत पांच महीने में ऐसा कुछ नहीं हुआ। घाटी में स्थितियां करीब-करीब स्थितियां सामान्य हो गई हैं। लोगों का जनजीवन पटरी पर लौट आया है। यहां तक कि अभी हाल में विदेशी राजनयिकों एवं सांसदों का दो शिष्टमंडल जम्मू-कश्मीर का दौरा कर वहां के स्थानीय लोगों से मिल चुका है।
पिछले 30 सालों से छद्म युद्ध लड़ रहा पाक
पाकिस्तान कश्मीर को अस्थिर करने और इस तरफ दुनिया का ध्यान खींचने के लिए पिछले 30 सालों से आतंकवाद के जरिए भारत के साथ छद्म युद्ध लड़ रहा है। घाटी को अशांत करने और हिंसा फैलाने के लिए उसके सभी नापाक मंसूबों को सुरक्षाबल धाराशायी करते आए हैं। पाकिस्तान आतंकियों को प्रशिक्षित कर कश्मीर में भेजता रहा है। ये आतंकवादी निर्दोष नागरिकों एवं सुरक्षाबलों को निशाना बनाते रहे हैं। बावजूद इसके वह अपने नापाक मंसूबों में कभी कामयाब नहीं हो पाया है।
सेना ने आतंकियों की कमर तोड़ी
सेना ने अपने ऑपरेशन ऑल आउट से आतंकवादियों की कमर तोड़ दी है। घाटी में हिज्बुल मुजाहिदीन, जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के जितने भी कमांडर सक्रिय थे। सेना ने उनका सफाया कर दिया है और बड़ी संख्या में आतंकियों को मार गिराया है। पाकिस्तान की फंडिंग के जरिए घाटी को अशांत करने वाले अलगाववादी नेताओं के पर कतरे जा चुके हैं। ज्यादातर अलगाववादी नेता जेलों में बंद हैं और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) आतंकी फंडिंग मामले में उनके खिलाफ जांच कर रही है।
इमरान सरकार को लगा झटका
पाकिस्तान को उम्मीद थी कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने के खिलाफ कश्मीर की जनता सड़कों पर आ जाएगी लेकिन वहां के नागरिक और स्थानीय राजनीतिक पार्टियां भारतीय संविधान और लोकतंत्र के साथ खड़ी हो गईं। यह बात पाकिस्तान, वहां की खुफिया एजेंसी आईएसआई और आंतकियों को पच नहीं रही है। इमरान सरकार ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कश्मीर के बारे में झूठ का जो प्रोपगैंडा फैलाया था उसका पर्दाफाश हो गया। आज किसी को भी उनकी बात पर पर भरोसा नहीं है। कश्मीर को हाथ से निकलता देख पाकिस्तान की सेना और वहां के हुक्मरान हताश और परेशान हैं। जेयूआईएफ का यह बयान इसी बौखलाहट को दर्शाता है।