- किसान नेता राकेश टिकैत बोले- चुनाव लड़ना मकसद नहीं
- अब लखनऊ से सरकार पर बनाएंगे दबाव
- किसानों की मांग को लेकर ना तो यूपी सरकार और ना ही केंद्र सरकार गंभीर
अच्छा होता कि संसद में किसानों के मुद्दे पर बात होती लेकिन हंगामे के चलते ऐसा हो नहीं पा रहा है। सरकार और विपक्ष एक दूसरे पर संसद न चलने देने का आरोप लगा रहे हैं। इस बीच आज राहुल गांधी समेत 14 विपक्षीपार्टियों के सांसद, जंतर-मंतर के लिए निकले जहां किसान अपनी अलग संसद चला रहे हैं। हांलाकि इस विपक्ष के इस मार्च में TMC, BSP और AAP शामिल नहीं हुए। राहुल गांधी जंतर-मंतर पहुंचे और किसानों के बीच बैठे भी, उन्होंने किसानों का समर्थन करने की बात कही ।वहीं कृषि मंत्री ने कहा कि विपक्ष गंभीर होता तो मीडिया कवरेज की बजाय संसद में किसानों पर बात करता।
किसान आंदोलन को विपक्ष का समर्थन
ये सब ऐसे समय हो रहा है जब पंजाब और यूपी में चुनाव है। इन दोनों चीज़ों को यूं ही नहीं जोड़ रहा हूं, 2 दिन पहले की तस्वीर दिखाते हैं जब संसद के बाहर कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू और अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर, खेती से जुड़े कानूनों को लेकर भिड़ गए। 8 महीने से चल रहे किसान आंदोलन में पहले कहा गया कि किसान आंदोलन में सियासी पार्टियों को मंच पर आने नहीं दिया जाएगा ये सियासी राजनीति से दूर रहेगा। हाल ही में किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि वो लखनऊ को दिल्ली बना देंगे। लेकिन आंदोलन और चुनावी राजनीति का घालमेल हो ही गया। कुछ तो चुनावभी लड़ना चाहते हैं।
किसान संगठनों में रार !
पंजाब में भारतीय किसान यूनियन चढ़ूनी गुट के गुरनाम चढूनी ने कहा कि पंजाब में किसानों को सभी सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए।
इस बयान पर कार्रवाई करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा ने उन्हें 7 दिन के लिए सस्पेंड भी किया था। कोलकाता में राकेश टिकैत ने ममता बनर्जी से मुलाकात की थी।
अब लखनऊ से घेरेबंदी की तैयारी
हालांकि एक पक्ष का कहना है कि चुनाव में हारने का डर ही एक मात्र तरीका है जिससे सरकार पर दबाव बनाया जा सके। पश्चिमी यूपी में भी किसान आंदोलन का असर पड़ना तय माना जा रहा है। आज राकेश टिकैत यूपी की राजधानी लखनऊ पहुंचे हैं जहां कुछ महीनों बाद चुनाव होने हैं। हमारे 2 सवाल हैं। क्या किसानों के पास राजनीतिक दबाव ही एकमात्र विकल्प है?क्या किसान राजनीति के खेल के प्यादे बन रहे हैं? किसानों के पास राजनीतिक दबाव बनाना ही विकल्प? क्या किसान राजनीति के खेल के प्यादे बन रहे हैं? इन सभी मुद्दों पर राकेश टिकैत ने जवाब दिया।