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Matoshree-Hanuman Chalisa row: नवनीत और रवि राणा की जमानत अर्जी पर सुनवाई पूरी, 2 मई को सुनाया जाएगा फैसला

Updated Apr 30, 2022 | 18:11 IST

Matoshree-Hanuman Chalisa row : मातोश्री-हनुमान चालीसा विवाद में सांसद नवनीत राणा और उनके पति व विधायक रवि राणा की जमानत अर्जी पर मुंबई की सत्र अदालत में सुनवाई हुई। कोर्ट ने 2 मई के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया है।

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Matoshree-Hanuman Chalisa row : मातोश्री-हनुमान चालीसा विवाद में सांसद नवनीत राणा और उनके पति व विधायक रवि राणा की जमानत अर्जी पर मुंबई की सत्र अदालत ने शनिवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है। फैसला सोमवार (2 मई) को सुनाया जाएगा। राणा दंपत्ति की जमानत के लिए वकील रिजवान मर्चेंट और अबाद पोंडा ने दलील रखी। जबकि एसपीपी प्रदीप घरात ने खार पुलिस थाने की ओर से कोर्ट में पेश हुए।

 राणा दंपत्ति का प्रतिनिधित्व करते हुए एडवोकेट अबाद पोंडा ने देशद्रोह के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला दिया कि सरकार की आलोचना लोकतंत्र का सार है। वास्तव में लोकतंत्र सरकार की आलोचना है। केवल अपराध करने का इरादा रखने वाले को दंडित नहीं किया जा सकता है। कुछ मंशा को अंजाम देने और वास्तव में अपराध करने पर दंडित किया जा सकता है।

पुलिस की ओर से जिरह करते हुए एसपीपी प्रदीप घरात ने कहा कि इस दंपत्ति पर कई केस दर्ज हैं। हमने अपने जवाब में भी इन आपराधिक इतिहास का जिक्र किया है। विधायक रवि राणा पर पहले 17 और सांसद नवनीत राणा पर 6 केस दर्ज किए गए है। रवि राणा पर हत्या के प्रयास का आरोप है।

प्रदीप घरत ने कहा कि अगर कोई कहता है कि हनुमान चालीसा का जाप करना उनका अधिकार है, तो वह है। लेकिन हमें यह देखना होगा कि क्या यह काम कानूनी है, अनुमति और सहमति उस व्यक्ति द्वारा ली जाती है जिसके घर पर जप किया जाएगा। अंतत: इनका उद्देश्य ऐसी स्थिति पैदा करना था जिससे यह सरकार गिर जाए।

अबाद पोंडा ने कहा कि कानून द्वारा स्थापित सरकार कानून की सरकार से अलग होती है। इस बात को अलग रखें कि वर्तमान सरकार शिवसेना नहीं है। इस सरकार में तीन दल हैं। राज्य सरकार के लिए चुनौती देशद्रोह नहीं है। 

विधायक-सांसद रवि और नवनीत राणा का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील अबाद पोंडा ने अदालत के समक्ष उल्लेख किया कि सीजेआई एनवी रमना ने सरकार को यह तय करने के लिए समय दिया है कि क्या धारा 124 ए यानी देशद्रोह को दुरुपयोग के लिए समाप्त किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर 5 मई से सुनवाई करेगा।

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