- कोरोना से दुनिया में अब तक 1 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित
- कई मंदिरों में दर्शन को किया बंद, सामान्य पूजा प्रक्रिया रहेगी जारी
- मस्जिदों में एक साथ इकट्ठा नहीं होने की अपील की गई
नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ शाहीन बाग में बैठी महिलाओं को लगता है कि कोरोना वायरस से ज्यादा सीएए से खतरा है, लेकिन उत्तर प्रदेश में मुस्लिम धर्मगुरुओं ने कहा कि जब तक इस वायरस का खतरा है मुसलमान भाई शुक्रवार की नमाज अता करने के लिये मस्जिद न जाएं। इसके साथ ही यह सलाह दी गई है कि मुसलमान भाई नमाज या तो घर पर या छोटे समूह में अता करें।
शुक्रवार के दिन मस्जिद में न जाने की अपील
लखनऊ में ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद राशिद फिरंगी महली ने इस संबंध में दुसरे धर्मगुरुओं के साथ बैठक करने के बाद सबको सलाह दी। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए इस तरह का कदम उठाना जरूरी है और वो समझते हैं मुस्लिम समाज का हर एक शख्स इसे अमल में लाएगा। इसके साथ ही जुमे के दिन खुत्बा पढ़ने वालों से इमामों से दरख्वास्त की गई है कि वो अपनी स्पीच को छोटा रखें ताकि मस्जिदों के बाहर भीड़ इकट्ठी न हो।
कोरोना का खौफ
फिरंगी महली ने कहा कि इस संबंध में दूसरे धर्मों के लोगों से भी बातचीत हुई है और सभी की सहमति है कि इस संक्रमण का सामना करने के लिए एक होने की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि संकट के इस काल में हम सबको जिम्मेदारी समझने की जररूत है। यह समस्या व्यापक है और इसका सामना करने के लिए किसी तरह के पूर्वाग्रह से ग्रसित होने की जरूरत नहीं है।
बौद्ध धर्म के मंदिरों को भी किया गया बंद
बता दें कि उत्तर प्रदेश में कोरोना के संक्रमण को देखते हुए सभी बौद्ध धार्मिक स्थलों को बंद कर दिया गया है, मठ कंवर आश्रम, महापरिनिर्वाण टेंपर रामभर स्तूप या मुक्ति बंधन को बंद करने का फैसला किया गया है। क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी का कहना है कि कुशीनगर में सभी बौद्ध मंदिरों को ऐहतियात के तौर पर बंद करने का फैसला किया गया है