'न्यूज की पाठशाला' में आज बात हुई अफगानिस्तान की। अफगानिस्तान पर स्पेशल क्लास लगी। अफगानों की किस्मत में तालिबान लिखने वालों की क्लास लगी। तालिबान के हिस्ट्री चैप्टर में बताया गया कि ऐसा क्या है कि अफगानिस्तान, तालिबान से डरा है? ऐसा क्या है कि दुनिया, तालिबान से डरी है? तालिबान का इतिहास जानना जरूरी है। 1994 में कंधार में तालिबान की शुरुआत हुई। अब्दुल गनी बिरादर को फाउंडर था जो इनका पॉलिटिकल हेड भी है। 1996 में इन्होंने काबुल पर कब्जा कर लिया। 1998 तक पूरे अफगानिस्तान में कब्जा कर लिया।
1996 में जब ये सत्ता में आए तो तब के राष्ट्रपति नजीबुल्लाह को मारकर लैंपपोस्ट पर टांग दिया। 1996 में जब इन्होंने काबुल पर कब्जा किया था तो उस कब्ज की लड़ाई में काबुल तबाह हो गया था। 50000 लोग मारे गए थे।
तालिबान राज आने के बाद क्या हुआ?
तब तालिबान मुल्ला उमर के हाथों में था। मुल्ला उमर ने 500 इस्लामिक स्कॉलर को बुलाया। 3 दिन तक मंथन हुआ, 14 पेज का ड्राफ्ट तैयार हुआ।
इस ड्राफ्ट में क्या लिखा था
सुप्रीम लीडर पुरुष ही होगा, सुन्नी मुस्लिम होगा
इस्लामिक काउंसिल बनेगी, और पॉलिसी बनाएगी
जो भी कानून बनेगा, वो शरिया के ही अनुसार होगा
तब तालिबान ने क्या क्या बैन कर दिया था?
टीवी, म्यूजिक, सिनेमा, वीडियो, गाना, डांस करना, फोटो, इंटरनेट, चुनाव, न्यू ईयर मनाने पर, लेबर डे नहीं मनाते थे, गैर इस्लामिक नाम, गैर इस्लामिक कपड़े, पतंग उड़ाने पर बैन, इस्लाम छोड़कर दूसरे धर्म में नहीं जा सकते थे। महिलाओं के व्यवहार पर 29 तरीके की पाबंदियां थी। 10 साल से ऊपर की लड़कियां स्कूल नहीं जा सकती। महिलाएं दफ्तरों में काम नहीं कर सकती। महिलाएं पुरुष के बिना घर से बाहर नहीं निकल सकती। पुरुष दुकानदारों से महिलाएं बात नहीं कर सकती। महिला किसी पुरुष डॉक्टर से इलाज नहीं करा सकतीं। महिला परिवार के अलावा किसी दूसरे पुरुष से बात नहीं कर सकतीं। महिलाओं के हील बनने या फैशनेबल फुटवियर पहनने पर रोक। अखबार, किताब, विज्ञापन में महिलाओं की तस्वीरों पर बैन। टीवी, रेडियो, पब्लिक फंक्शन में महिलाएं नहीं जा सकती थीं। कोई भी जगह महिलाओं के नाम पर नहीं हो सकती थी। महिलाएं घर की बालकनी में खड़ी नहीं हो सकती थीं। पब्लिक प्लेस में हंसने पर पाबंदी थी। ऊंची आवाज में बात नहीं कर सकती थीं।ॉ
महिलाओं के पहनावे पर 100 तरीके की पाबंदियां थीं। सर से पांव तक ढका होना चाहिए। शरीर का कोई अंग नहीं दिखना चाहिए। पुरुषों की तरह कपड़े नहीं पहन सकते थे। कपड़े पतले नहीं मोटे कपड़े होने चाहिए। कपड़े टाइट नहीं होने चाहिए। परफूम या कॉस्मेटिक्स का इस्तेमाल नहीं कर सकती थी।
तालिबान का कानून ना मानने पर सज़ा
नेलपॉलिश लगाने पर अंगूठा काट दिया था। तालिबान लड़ाकों के लिए दासियां बना दीं। सरेआम कोड़े मारे जाते थे। सरेआम पत्थरों से पीटकर हत्या की जाती थी। चौराहे पर फांसी दी जाती थी। चोरी करने पर हाथ काट दिए जाते थे।
तालिबान अब क्या कह रहा है?
महिलाओं की शिक्षा पर रोक नहीं लगाएंगे। महिलाओं को काम करने की आजादी होगी। लेकिन महिलाओं को हिजाब पहनना होगा। बदले की भावना से काम नहीं करेंगे। अपराध के खिलाफ जो सजा होगी वो कोर्ट तय करेगा। मीडिया को आलोचना करने का अधिकार होगा। लेकिन इस पर शर्तें लागू है कि सब कुछ शरिया कानून के तहत होगा। इसमें किसी तरह का समझौता नहीं होगा।
कई चीजों पर स्टैंड क्लीयर नहीं
1. क्या सत्ता में महिलाओं की भागीदारी होगी?
2. क्या महिलाएं जज बनेगी?
3. क्या वो सेना में शामिल होंगी?
4. क्या महिलाओं के कुछ भी पहनने, कहीं भी जाने की इजाजत होगी?