कितनी वैक्सीन पाइपलाइन में?
आप सभी को बच्चों की कोविड वैक्सीन का इंतज़ार होगा लेकिन इन सबके बीच आपके लिए बहुत बड़ी गुड न्यूज़ है।बच्चों के लिए पहली ऐसी स्वदेशी कोविड वैक्सीन आने वाली है। जिसे 2 साल से लेकर 18 साल के बच्चों को लगाया जाएगा।इसके इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए । सरकार की Subject Expert Committee ने सिफारिश कर दी है, हालांकि डीसीजीआई के अंतिम फैसले का इंतजार है।
ये भारत बायोटेक की को-वैक्सीन है।जो 2 साल से ऊपर के बच्चों को लगेगी। इस एज ग्रुप के लिए अप्रूवल मिलने वाली ये दुनिया की पहली वैक्सीन है। इस वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल का डेटा CDSCO को सौंपा जा चुका है।CDSCO यानी Central Drugs Standard Control Organisation ने इसके क्लिनिकल डेटा का CDSCO और SEC ने अध्ययन कर लिया है। इसी के आधार पर Subject Expert Committee ने वैक्सीन को ग्रीन सिग्नल दे दिया है।अब CDSCO और DCGI यानी Drugs Controller General of India के अप्रूवल का इंतज़ार है।
बच्चों की इस वैक्सीन के बारे में अभी तक की रिपोर्ट्स ये है कि
-तीन चरणों में 1000 बच्चों पर इसका ट्रायल हुआ है
-इसकी दो डोज़ बच्चों को लगेगी, 20 दिन का गैप रहेगा
-इसे Pre-filled syringe से बच्चों को लगाया जाएगा
Pre-filled syringe में वैक्सीन डोज़ पहले से भरी होती है।
इसके फायदे क्या हैं?
-वैक्सीन वेस्टेज बिल्कुल नहीं होगा
-जितनी डोज़ लगनी है, उतनी लगेगी
-डोज़ लगाने में कम समय भी लगेगा
-एक डोज़ में कम से कम 1 मिनट बचेगा
-इस्तेमाल करने में भी ये सुरक्षित होगा
-जब बच्चों को वैक्सीन लगाने की बात हो-
-तो हर माता-पिता, परिवार के 2 सवाल
पहला सवाल
क्या वैक्सीन सुरक्षित है?
दूसरा सवाल
क्या वैक्सीन प्रभावी है?
अब इसके जवाब के लिए आपको भारत बायोटेक का ट्रैक रिकॉर्ड जानना चाहिए
Typbar TCV- 2018
टाइफाइड की वैक्सीन
2 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए
ROTAVAC-2014
रोटा वायरस की पहली वैक्सीन
8 महीने से कम उम्र के बच्चों के लिए
Revac-B
हेपेटाइटिस बी की वैक्सीन
JENVAC
Japanese Encephalitis की वैक्सीन
0-18 साल एज ग्रुप
-52 करोड़ आबादी
कितनी डोज़ ज़रूरी
-100 करोड़
बच्चों के लिए कौन कौन सी वैक्सीन लाइन में हैं
वैक्सीन का नाम - ZyCov-D
कंपनी का नाम - Zydus Cadila's
स्टेटस - इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी लेकिन अभी मार्केट में उपलब्ध नहीं
उम्र - 12 साल या उससे ऊपर
वैक्सीन का नाम - Covovax
कंपनी का नाम - Serum Institute of India+ Novavax
स्टेटस - 2 and 3 clinical trails जारी
उम्र - 7 से 18
वैक्सीन का नाम - Corbevax
कंपनी का नाम - Biological E
स्टेटस - क्लीनिकल ट्रायल को मंजूरी मिली
उम्र - 5 साल से ऊपर
अब आपके मन में सवाल होगा कि क्या बच्चों की वैक्सीन और बड़ों की वैक्सीन में कुछ अंतर है?
बड़ों की वैक्सीन = बच्चों की वैक्सीन
ICMR के मुताबिक दोनों में कोई अंतर नहीं है ICMR के मुताबिकसबसे पहले वैक्सीन 18+ आयुवर्ग को लगी।डेटा कलेक्ट किया गया फिरगर्भवती महिलाओं बच्चों को लगाई गईछोटे बच्चों को सबसे बाद में 2 साल से छोटे बच्चेइनको वैक्सीन नहीं देते।मां के दूध से सब मिल जाता है।घर में रहते हैं।घर का खाना खाते हैं
बच्चों की कोवैक्सीन बड़ों की कोवैक्सीन
02-18 18 +
2 डोज 2 डोज
0.5 ML 0.5 ML
टीके में वैक्सीन शीशी में वैक्सीन
20 दिन का गैप 28 दिन का गैप
कहां कहां बच्चों की वैक्सीन लग रही है
अमेरिका
वैक्सीन- फाइजर/मॉडर्ना
एज ग्रुप- 12-17 साल
65% बच्चों को सिंगल डोज
कनाडा
वैक्सीन- फाइजर/मॉडर्ना
एज ग्रुप- 12-17 साल
इंग्लैंड
वैक्सीन- फाइजर/बायोएनटेक
एज ग्रुप- 12-15 साल
फ्रांस
वैक्सीन-फाइजर/मॉडर्ना
एज ग्रुप- 12-17 साल
52% बच्चों को दोनों डोज़
इजराइल
वैक्सीन- फाइजर/मॉडर्ना
एज ग्रुप- 12 -18 साल
64% बच्चों को सिंगल डोज
चीन
वैक्सीन- सिनोवैक
एज ग्रुप- 3-17 साल
80% को वैक्सीन का लक्ष्य
डेनमार्क
वैक्सीन- फाइजर/मॉडर्ना
एज ग्रुप- 12-15 साल
40% बच्चों को सिंगल डोज
स्पेन
वैक्सीन- फाइजर/मॉडर्ना
एज ग्रुप- 12-18
85% बच्चों को सिंगल डोज
जर्मनी
वैक्सीन- फाइजर
एज ग्रुप- 12-15 साल
स्वीडन
वैक्सीन- फाइजर
एज ग्रुप- 12-15 साल
नॉर्वे
वैक्सीन- फाइजर
एज ग्रुप- 12-15 साल
केवल सिंगल डोज
आईसीएमआर के पूर्व महानिदेशक डॉ गांगुली का क्या कहना है
ऐसे में लोगों के मन में एक सहज सवाल ये उठ रहा है कि क्या बच्चों पर जिस वैक्सीन का ट्रायल हो रहा है वो यही वैक्सीन हैं या अलग?आईसीएमआर के पूर्व महानिदेशक डॉ गांगुली मानते हैं कि ये वही वैक्सीन है जो कि पहले बड़ों को दी गई थी.डॉ गांगुली बताते हैं, "ये कोई अलग वैक्सीन नहीं है. वैक्सीन सबसे पहले 18 साल से ज़्यादा उम्र वाले लोगों को दी जाती है. फिर उसे भी उम्र वर्ग के लिहाज़ से बाँट लिया जाता है. क्योंकि ज़्यादा उम्र के लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता ज़्यादा नहीं होती है. इसके बाद जब वैक्सीन की सेफ़्टी और असरदार होने का डेटा आ जाता है तब इसे अतिसंवेदनशील आबादी जैसे कि गर्भवती महिलाओं और बच्चों को दिया जाता है. बच्चों में भी पहले किशोरों को वैक्सीन दी जाती है और उसके बाद छोटे बच्चों को दी जाती है."
"दो साल से कम उम्र के बच्चों को सामान्य रूप से वैक्सीन नहीं देते हैं क्योंकि ये उन्हें प्लेसेंटा और माँ के दूध से मिल जाती है. एकाध बार एक साल तक के बच्चों पर वैक्सीन ट्रायल हुए हैं लेकिन ये सामान्य नहीं है. कम उम्र के बच्चे सामान्यत: घर में रहते हैं, घर का ही खाना खाते-पीते हैं, इस वजह से ये प्रक्रिया अपनाई जाती है लेकिन वैक्सीन वही होती है जो कि बड़ों को दी जाती है."