'न्यूज की पाठशाला' में बात हुई महाराष्ट्र बंद की। यहां दुकानें और बाजार बंद करके नेतागीरी की दुकान चमकाने वालों की क्लास लगी। सवाल ये है कि लखीमपुर की घटना पर महाराष्ट्र में बंद क्यों बुलाया गया और वो भी बंद किसी संगठन या किसी विपक्षी पार्टी ने नहीं बल्कि खुद सरकार में शामिल पार्टियां बुला रही हैं। आपने पहले कभी नहीं सुना होगा कि कोई स्ट्राइक सरकार स्पॉन्सर करे। कौन सी सरकार चाहेगी कि उसके राज में एक दिन सब ठप पड़ जाए, कौन सी सरकार चाहेगी कि उसके राज में दुकानें-बाज़ार बंद हो जाएं, कौन सी सरकार चाहेगी कि उसके राज में सड़कों पर बंद के नाम पर अराजकता हो, कौन सी सरकार चाहेगी कि बंद के नाम पर तोड़फोड़, गुंडागर्दी, हंगामा हो। लेकिन ये सब हुआ है महाराष्ट्र में। और ये सब पूरे दिन महाराष्ट्र में दिखा।
बंद को सफल बनाने के लिए शिवसेना, NCP और कांग्रेस कार्यकर्ता ने ज़ोर लगा दिया। वो सड़कों पर उतर गए, बंद की आड़ में कहीं कहीं गुंडागर्दी भी हुई। कहीं कहीं पर तोड़फोड़-हंगामा हुआ। ठाणे में जो ऑटो चल रहे थे उन्हें जबरन रुकवाया गया। ड्राइवर्स को पीटा गया। ड्राइवर्स को डंडे मारे गए। थप्पड़ मारा गया।
महाराष्ट्र के चंद्रपुर में भी बंद के नाम पर गुंडागर्दी की गई। महा विकास अघाड़ी के समर्थक एक युवक को इसलिए पीटने लगे क्योंकि वो बंद का समर्थन नहीं कर रहा था। युवक को लात-घूंसे मारे गए। पुलिस को बीच बचाव करना पड़ा। मलाड समेत मुंबई के अलग-अलग इलाकों में BEST की 8 बसों में तोड़फोड़ हुई। बंद की वजह से पुणे में apmc मंडी भी बंद रही, किसानों के नुकसान भी परवाह नहीं की गई।
बंद की वजह से मुंबई की कई मार्केट बंद रही। अगर हर दुकान पर 50 हजार का कारोबार भी मान लें तो अकेले इस मार्केट के कारोबार को करीब 3 करोड़ का नुकसान हुआ।
बंद से मुंबई को कितना नुकसान ?
हर दुकानदार को नुकसान औसतन 10 हजार
मुंबई में छोटे दुकानदारों की संख्या लगभग 3 से 4 लाख सिर्फ छोटे दुकानदारों को नुकसान 300 से 400 करोड़ (अनुमान)
बंद की टाइमिंग भी देखिए
- जब त्योहार का सीजन है
- जब लंबे लॉकडाउन के बाद बाजार खुलने लगे हैं
- जब राज्य की अर्थव्यवस्था रिकवरी मोड में हैं
- जब 2020-21 में महाराष्ट्र में 8% नेगेटिव ग्रोथ दर्ज की गई