न्यूज की पाठशाला में बात हुई पीएम मोदी के अमेरिका दौरे की। आपको बताया गया कि अमेरिका में पीएम मोदी का 'एजेंडा-फाइव' क्या है? शुरुआत में डिप्लोमेसी की क्लास लगी। ग्लोबल डिप्लोमेसी की क्लास अमेरिका में लग चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वॉशिंगटन पहुंच गए हैं। गुरुवार की सुबह प्रधानमंत्री मोदी कई बड़ी अमेरिकी कंपनियों के CEOs से मिलेंगे। इसके बाद पीएम मोदी की मुलाकात अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस से होगी। अमेरिका रवाना होने से ठीक पहले पीएम ने इस दौरे का एजेंडा भी बताया। उन्होंने पांच बड़ी बातें कही हैं।
पहली बात
इस दौरे से भारत-अमेरिका की ग्लोबल स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप को मजबूत करने का मौका है। रिजनल और ग्लोबल मु्द्दों के साझा हितों पर राष्ट्रपति बाइडेन से चर्चा होगी
दूसरी बात
उपराष्ट्रपति कमला हैरिस से बातचीत में साइंस और टेक्नोलॉजी के सेक्टर में दोनों देशों के आपसी सहयोग के नए मौकों को तलाशा जाएगा
तीसरी बात
Quad समिट में अमेरिकी राष्ट्रपति, जापान के पीएम, ऑस्ट्रेलिया के पीएम से बात होगी और उन प्राथमिकताओं को तय किया जाएगा, जिन पर चारों देशों को भविष्य में साथ मिलकर काम करना है
चौथी बात
ये दौरा ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ भी स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप मजबूत करने का मौका है। बड़े ग्लोबल मुद्दों पर सहयोग बढाने का मौका है। ऑस्ट्रेलिया और जापान के पीएम से अलग अलग बातचीत होगी।
पांचवीं बात
संयुक्त राष्ट्र महासभा में पीएम का भाषण होगा, जिसमें कोरोना की चुनौती, आतंकवाद से लड़ाई, क्लाइमेट चेंज जैसे ज़रूरी मुद्दों पर भारत की बात रखेंगे
इस दौरे की हाईलाइट क्या होगी। क्या उम्मीद की जा रही है। Quad की मीटिंग से क्या निकलेगा? इसमें चार बड़ी बातें हैं।
पहली बात- Quad पार्टनरशिप से चीन की सैन्य दादागीरी को सबसे ठोस मैसेज मिलेगा
दूसरी बात- चीन के बेल्ट-रोड प्रोजेक्ट से टक्कर में Quad भी इंफ्रा प्रोजेक्ट का ऐलान कर सकता है
तीसरी बात- चीन पर निर्भर सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन को चुनौती देने वाले ऐलान हो सकते हैं
चौथी बात- इंडो पैसिफिक में कोविड वैक्सीन सप्लाई से चीन के खिलाफ दूसरे देश भी पाले में आएं
Quad की वैक्सीन पार्टनरशिप के बारे में आपको बताते हैं:
इसके लिए भारत की फार्मा कंपनी Biological E को चुना गया है। Biological E के हैदराबाद प्लांट में अमेरिका के जॉनसन एंड जॉनसन की कोविड वैक्सीन का उत्पादन होगा। इस वैक्सीन प्रोजेक्ट के लिए अमेरिका और जापान से फंडिंग हो रही है। जबकि वैक्सीन के डिस्ट्रिब्यूशन के जिम्मेदारी ऑस्ट्रेलिया की होगी। जो वैक्सीन की डोज को इंडो-पैसिफिक के देशों में पहुंचाएगा। इंडो-पैसिफिक इलाके में करीब 38 देश हैं। इस प्रोजेक्ट के ज़रिए 2022 के अंत तक कम से कम 100 करोड़ डोज़ बनाने का टारगेट है।
वैक्सीन को लेकर मचा बवाल
कुछ लोग सवाल उठा रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने Covaxin लगवाई है, जिसे अभी WHO ने मान्यता नहीं दी है। जबकि अमेरिका में WHO सर्टिफाइड वैक्सीन ही मान्य है। ऐसे में प्रधानमंत्री कैसे अमेरिका का दौरा कर रहे हैं। असल में बात ये है कि सभी राष्ट्र प्रमुखों और डिप्लोमैट्स को कोविड नियमों में छूट दी जाती है। वैश्विक स्तर पर आयोजित होने वाली बैठकों में जब राष्ट्र प्रमुख जाते हैं, तो उनको कोविड नियमों, क्वारंटीन नियमों और वैक्सीन नियमों में छूट मिलती है। इससे फर्क नहीं पड़ता कि किसी नेता ने वैक्सीन लगवाई है या वैक्सीन नहीं लगवाई है। या फिर वैक्सीन में कौन सी वैक्सीन लगवाई है। प्रधानमंत्री मोदी तो वैक्सीन लगवाकर अमेरिका पहुंचे हैं, ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोलसोनारो बिना वैक्सीन लगवाए अमेरिका गए हैं। लेकिन न्यूयॉर्क के एक रेस्त्रां में उनके साथ विवाद हो गया। बोलसोनारो रेस्त्रां में खाना खाने के लिए पहुंचे थे। लेकिन रेस्त्रां में उन्हें एंट्री नहीं मिली। क्योंकि न्यूयॉर्क के रेस्त्रां में वैक्सीन सर्टिफिकेट दिखाने पर ही एंट्री मिलती है। ब्राजील के राष्ट्रपति को बाहर सड़क पर ही पिज्जा खाना पड़ा। ब्राजील के राष्ट्रपति पर न्यूयॉर्क के मेयर ने कह दिया कि सभी वर्ल्ड लीडर्स को वैक्सीन लगवा कर ही संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में आना चाहिए और अगर कोई वैक्सीन नहीं लगवाना चाहता तो फिर वो न्यूयॉर्क ना आए।