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News ki Pathshala: वैक्सीनेशन में इतिहास रच रहा भारत, औसतन हर सेकंड 42 लोगों को लगी वैक्सीन

Updated Oct 20, 2021 | 22:18 IST

News ki Pathshala: टीकाकरण के मामले में भारत इतिहास रचने जा रहा है। भारत में 100 करोड़ वैक्सीन डोज पूरी होने जा रही हैं। पाठशाला में समझिए कि किस तरह भारत ने ये यात्रा की है, किन चुनौतियों का सामना करते हुए हम यहां तक पहुंचे हैं।

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न्यूज की पाठशाला में लगी राष्ट्रवाद की क्लास। भारत 100 करोड़ कोरोना वैक्सीन के बेहद करीब है। ये देश के लिए गर्व का पल है। 100 करोड़ वैक्सीन लगना एक बड़ा चैलेंज है, 100 करोड़ वैक्सीन लगने का मतलब समझिए। भारत अमेरिका की कुल आबादी से तीन गुना ज्यादा टीका लगा चुका है। पाकिस्तान की कुल आबादी से 5 गुना ज्यादा वैक्सीन लगा चुका है। रूस की जनसंख्या की तुलना में 7 गुना ज्यादा टीके लगाए जा चुके हैं। 45 देशों की कुल आबादी से भी ज्यादा वैक्सीनेशन हो चुका है।  100 करोड़ वैक्सीन डोज लगाना कोई आसान काम नहीं था। इन टारगेट को पूरा करने में कई चुनौतियां सामने आई

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भारत में 100 करोड़ वैक्सीन डोज लगने जा रही है। पहला डोज 70 करोड़ से ज्यादा को लग चुका है, डबल डोज 29 करोड़ से ज्यादा को लगी है। 100 करोड़ की वैक्सीनेशन के सफर में कई Milestones आए, ऐसे कई दिन रहे जब हमने 1 दिन में 1 करोड़ से ज्यादा टीक लगाए। देश में जब वैक्सीनेशन शुरू हुआ तो रफ्तार कम थी, 10 करोड़ डोज लगने में 85 दिन लग गए थे। तब ये कहा जा रहा था कि 2022 के अंत तक भी वैक्सीनेशन पूरा नहीं होगा, लेकिन वैक्सीनेशन की रफ्तार धीरे-धीरे ही सही तेज हुई। अब सोचिए कि अगर भारत वैक्सीन के मामले में आत्मनिर्भर ना होता तो तो क्या होता।

वैक्सीन में बने आत्मनिर्भर

अगर हम खुद स्वदेशी वैक्सीन ना बना पाते, इतनी बड़ी तादाद में वैक्सीन का प्रोड्क्शन नहीं कर पाते तो भारत की स्थिति भी अफ्रीका महाद्वीप की तरह होती। वही अफ्रीका जिसे दुनिया के बड़े देशों ने उसके हाल पर छोड़ दिया है। अफ्रीका महाद्वीप 3 करोड़ स्कॉयर किमी. के  इलाके में फैला है उसकी जनसंख्या करीब 138 करोड़ है। यानि करीब करीब भारत के बराबर। पर अफ्रीकी देशों में अब तक सिर्फ 17 करोड़ वैक्सीन ही लग पाई है। सोचिए कहां 138 करोड़ की आबादी और कहां 17 करोड़ वैक्सीन। यानि करीब 90 फीसदी आबादी को वैक्सीन का इंतजार है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अफ्रीका के पास खुद की वैक्सीन नहीं है। इसलिए उसे दूसरे देशों के सामने हाथ फैलाना पड़ रहा है लेकिन भारत के पास मदद का हाथ बढ़ाने की शक्ति है। क्योंकि हम वैक्सीन के मामले में आत्मनिर्भर हैं।
 

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