'ओपिनियन इंडिया में' बात हुई देश की 10 बड़ी समस्याओं की। पूरा देश रावण दहन कर...दशानन के पुतले को जलाकर बुराई पर अच्छाई की जीत का महापर्व मना रहा है। रावण के दस सिर दस बुराइयों के प्रतीक होते हैं। लेकिन सच ये है कि रावण के पुतले जलाने भर से ही देश को बुराइयों और समस्याओं से निजात नहीं मिलती है। अगर मिलती होती तो कब की मिल गई होती। इसीलिए ओपिनियन इंडिया में हमने देश की उन दस बड़ी समस्याओं की बात की, जो देश के लिए, हमारे और आपके लिए असली रावण हैं। पर अफसोस कि देश में इनपर बात नहीं होती। बहस नहीं होती। ये किसी के लिए मुद्दा नहीं। इसीलिए विजयदशमी के अवसर पर हम इन रावणों पर इंडिया का ओपिनियन लेकर आए हैं।
तो सबसे पहले हम उन पांच रावणों की, उन पांच समस्याओं की या उन पांच बुराइयों के बारे में आपको बताते हैं, जो इंडिया को कमजोर कर रहे हैं। जो विकास की रफ्तार के रास्ते में रावण बनकर खड़े हैं। अगर रावण रूपी इन समस्याओं का दहन कर दिया जाए। इनका अंत हो जाए, तो भारत को महाशक्ति बनने से कोई नहीं रोक सकता है। लेकिन मुश्किल ये है कि ये दिक्कतें खत्म नहीं हो पा रही हैं। क्योंकि गंभीर कोशिश की कमी है। राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी है।
- महंगाई
- भुखमरी
- आतंकवाद
- प्रदूषण
- भ्रष्टाचार
- धर्म और जातिवाद की राजनीति
- गरीबी
- निरक्षरता
- बलात्कार
- कोरोना
महंगाई रावण
देश में महंगाई रावण को दहन करने की भी दरकार है। महंगाई की वजह से रावण के पुतले का कद छोटा होता जा रहा है, लेकिन महंगाई बढ़ती जा रही है। महंगाई की आग सबसे ज्यादा बढ़ा रहा है डीजल और पेट्रोल। सूरतेहाल ये है कि राजधानी दिल्ली में पेट्रोल 105 रुपए पार कर चुका है। तो डीजल भी सैकड़ा लगाने के लिए व्याकुल है।
भुखमरी रावण
भारत में भुखमरी का रावण है कि आजादी के 75 सालों में भी इसका अंत नहीं हो सका है। दुनिया में भुखमरी के शिकार लोगों में से करीब 23 फीसदी लोग भारत में रहते हैं। नेशनल हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट कहती है कि देश में 19 करोड़ लोग हर रात खाली पेट सोने को मजबूर हैं। सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक भारत में भुखमरी की वजह से रोज़ाना सात हजार लोगों की मौत होती है
जिनमें तीन हजार बच्चे होते हैं। इस हिसाब से हर साल 25 लाख भारतीय भूख की बलि चढ़ जाते हैं।
आतंकवाद रावण
आतंकवाद वो रावण है, जिसकी चंगुल में हिंदुस्तान आजादी के बाद से ही बुरी तरह फंसा हुआ है। पिछले 21 सालों में देश में 11 हजार 693 आतंकी घटनाएं हुईं, जिनमें 4800 से ज्यादा आम लोग मारे गए। 3500 से ज्यादा जवान शहीद हो गए।
प्रदूषण रावण
प्रदूषण का रावण हर पल जिंदगी निगल रहा है। दुनिया में सबसे ज्यादा प्रदूषित 30 शहरों में 22 भारत के हैं। 2019 में प्रदूषण की वजह से 17 लाख लोगों की मौत हो गई। हर साल इसी तरह देश में लाखों लोग इसी तरह दम तोड़ रहे हैं।
भ्रष्टाचार रावण
भ्रष्टाचार का रावण इतना विशालकाय हो चुका है कि इसे खत्म करना फिलहाल संभव नजर नहीं आ रहा है। देश में ऊपर से लेकर नीचे तक हर स्तर पर करप्शन का मकड़जाल है। ग्लोबल करप्शन बैरोमीटर के मुताबिक भ्रष्टाचार के मामले में भारत एशिया में टॉप पर है। अपना काम करवाने के लिए हर साल करीब 40 फीसदी लोग घूस देते हैं।
जाति का रावण
हिंदुस्तान की हर नस में धर्म है। जाति है। समाज में है। सोच में है। राजनीति में है। टिकट बंटवारे से लेकर, मंत्री और सीएम बनाने तक जाति और धर्म का फैक्टर काम करता है। यहां तक कि जनता भी जाति और धर्म को देखकर वोट करती है। 70 फीसदी भारतीय ये मानते हैं कि उनके करीबी दोस्त उन्हीं की जाति से आते हैं, 64 फीसदी भारतीय इंटरकास्ट मैरिज के खिलाफ हैं। 64 प्रतिशत हिंदू ये मानते हैं कि भारतीय होने के लिए पहले हिंदू होना जरूरी है। 74 फीसदी मुस्लिम अपने मसले शरिया के तहते सुलझाने में विश्वास रखते हैं। लेकिन इसका सबसे खतरनाक पहलू है धर्म और जाति के नाम पर होने वाला खून खराबा। गृह मंत्रालय की रिपोर्ट कहती है कि जाति और धर्म के नाम पर 2008 से लेकर 2020 तक देश में 10 हजार से ज्यादा दंगे हुए। जिसमें 2700 से ज्यादा लोगों की जान चली गई। लेकिन लोगों के मन मस्तिष्क से जाति और धर्म का खतरनाक नशा उतरने का नाम नहीं ले रहा है।
गरीबी रावण
भारत में गरीबी का रावण बहुत बड़ा है। इसका कद छोटा होने का नाम ही नहीं ले रहा है। वर्ल्ड बैंक ने गरीबी का जो पैमाना तय किया है, उसके मुताबिक भारत में करीब 60 फीसदी लोग गरीब हैं। यानि 130 करोड़ भारतीय में से 78 करोड़ लोग। वर्ल्ड बैंक के पैमाने के मुताबिक जो लोग रोज 232 रुपए से कम पर गुजर बशर करता है, वो गरीब है।
निरक्षरता का रावण
देश में निरक्षरता का रावण दहन हो रहा है, लेकिन रफ्तार धीमी है। देश में अब भी 26 फीसदी लोग ऐसे हैं, जो पढ़े लिखे नहीं हैं। हैरानी की बात ये है कि रावण को खत्म करने को लेकर सरकारें भी गंभीर नहीं नजर आती हैं। अगर गंभीर होतीं तो इसका अंत कब का हो गया होता।
बलात्कार
देश में महिलाएं और बेटियां महफूज नहीं हैं। भारत में हर रोज औसतन 77 रेप होते हैं। हर घंटे करीब 3 बलात्कार। NCRB के मुताबिक 2020 में 28 हजार 46 रेप के केस दर्ज हुए। लेकिन हकीकत ये है कि हर साल बड़ी तादाद में केस ही रिपोर्ट नहीं होते हैं। अगर होते, तो ये आंकड़ा और भी बड़ा और डरावना होता।ॉ
कोरोना
डेढ़ साल से कोरोना देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए सबसे बड़ा रावण बना हुआ है। ये रावण दुनिया में करीब 48 लाख 84 हजार से ज्यादा लोगों को मार चुका है। इसमें 4 लाख 52 हजार लोग भारत के हैं। कोरोना ने सिर्फ जिंदगी ही नहीं छीनी। लोगों की रोजी रोटी भी छीन ली। सेंटर फॉर मीनिटरिंग द इंडियन इकॉनमी CMIE के मुताबिक अप्रैल 2020 में 12 करोड़ से ज्यादा लोगों की नौकरी गई। जबकि कोरोना की दूसरी लहर की वजह से 2 करोड़ 27 लाख नौकरियां गईं। ये हाल तब है जब भारत में करीब 40 करोड़ लोग नौकरी पेशा हैं। अर्थव्यवस्था को भी बड़ी चोट पहुंची। अप्रैल 2020 से जून 2020 के बीच भारत की अर्थव्यवस्था में 24 फीसदी की गिरावट आई। 1996 के बाद ये सबसे बड़ी गिरावट थी।