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Opinion India ka: भारत के विजेताओं तुम्हें सलाम...मुश्किलों के आगे मेडल है

Updated Aug 30, 2021 | 23:44 IST

Opinion India ka: ओपिनियन इंडिया में बात हुई टोक्यो पैरालंपिक में भारत का नाम ऊंचा करने वाले सुमित अंतिल और अवनि लेखरा की।

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'ओपिनियन इंडिया' में बात हुई टोक्यो पैरालंपिक में कमाल करने वाले भारतीय खिलाड़ियों की। टोक्यो में भारतीय खिलाड़ियों की मेहनत रंग लाई और वहां भी जय कन्हैया लाल की गूंज सुनाई दी क्योंकि टोक्यो में भारत ने दो गोल्ड समेत पांच मेडल जीते। अभी तक भारत की झोली में 7 मेडल आ चुके हैं, जिसमें 2 गोल्ड, 4 सिल्वर एक ब्रांन्ज मेडल है। लेकिन,ये मेडल सामान्य मेडल नहीं है। ये अदम्य इच्छाशक्ति और जीजीविषा के रंग में रंगे मेडल हैं। जन्माष्टमी पर टोक्यो पैरालंपिक में हमें अवनि ने शूटिंग में तो सुमित ने जैवलिन थ्रो में गोल्ड का तोहफा दिया है। इनकी कामयाबी को सामान्य कामयाबी समझने की भूल मत कीजिएगा। दस साल की उम्र में अवनि कार हादसे का शिकार हुईं तो रीढ़ की हड्डी में ऐसी चोट लगी कि खड़े रहना मुमकिन नहीं था। पिता ने अभिनव बिद्रा की बायोग्राफी दी, मुश्किल में ना हारने का हौसला दिया और दी हाथ में पिस्टल। फिर क्या था अवनि ने सबसे पहले अपनी दिव्यांगता को गोली से उड़ा दिया। 

सुमित कभी पहलवान बनना चाहते थे। बाइक की ट्रैक्टर से टक्कर हुई। ट्रैक्टर ने पैर पर पहिया चढ़ा दिया। डॉक्टरों को सुमित का एक पैर काटना पड़ा। सुमित का पहलवान बनने का ख्वाब टूटा मगर देश के लिए खेलने का इरादा नहीं। 2018 एशियन गेम्स शॉट पुट इवेंट में सिल्वर जीत चुके वीरेन्द्र धनखड़ की मदद से सुमित कोच जेवलिन थ्रो कोच नवल सिंह के पास पहुंचे। एक बार मंजिल की ओर निकले तो सबसे पहले अपने भाले से अपनी विकलांगता पर निशाना साधा। 

अब इन खिलाड़ियों की कामयाबी में श्रीकृष्ण का फलसफा पढ़िए

कृष्ण ने ही अर्जुन से कहा था कि जीवन में कोई भी काम करने से पहले खुद का आकलन जरूरी है और अनुशासन से बड़ी कोई चीज नहीं। सुमित हो या अवनि या कोई भी दूसरा खिलाड़ी कृष्ण की इस सीख को इन्होंने वास्तव में जीया है। कुरुक्षेत्र में कृष्ण ने अर्जुन से कहा था कि पहले खुद पर विश्वास करो क्योंकि व्यक्ति अपने विश्वास से निर्मित होता है और इन खिलाड़ियों से दूसरों की गलतफहमियों को नजरअंदाज कर खुद पर ही विश्वास किया। लेकिन, सवाल सिर्फ पैरालंपिक खिलाड़ियों की कामयाबी का नहीं है। सवाल है दिव्यांगों को लेकर देश की संवेदनशीलता का क्योंकि इन चंद खिलाड़ियों के अलावा देश में करीब ढाई करोड़ दिव्यांग और हैं, जो न केवल पहचान के संकट से बल्कि बदहाली और उपेक्षा से जूझ रहे हैं । 

जन्माष्टमी है, तो श्रीकृष्ण को याद करते हुए एक सवाल। बांसुरी में कितने छिद्र होते हैं और उनका प्रतीकात्मक अर्थ क्या है। जवाब है 8 और अर्थ ये कि बांसुरी में भले कई छिद्र हों, लेकिन इन छिद्रों के बावजूद बांसुरी वादक उस बांसुरी से मधुर संगीत निकालता है यानी जीवन में कितनी भी कमियां हों, कोशिश और इच्छाशक्ति से उन कमियों को पाटा जा सकता है। अवनि लेखरा, सुमित अंतिल, योगेश कथूनिया, देवेन्द्र झाझरिया, सुंदर सिंह गुर्जर और पैरालंपिक के तमाम भारतीय सितारों ने ये साबित कर दिखाया है। 

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