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कोरोना के स्वदेशी टीके Covaxin पर क्यों मचा है बवाल, सवाल उठे तो भारत बॉयोटेक ने दी सफाई

Updated Jan 04, 2021 | 22:49 IST

स्वास्थ्य विशेषज्ञों एवं विपक्ष का सबसे बड़ा सवाल इस टीके के परीक्षण और डाटा को लेकर है। दोनों का कहना है कि भारत बायोटेक द्वारा बनाई गई कोवैक्सीन के तीसरे चरण का परीक्षण अभी जारी है

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नई दिल्ली : कोरोना के स्वदेशी टीके कोवाक्सीन पर हंगामा खड़ा हो गया है। विपक्ष सहित स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इस टीके के आपात इस्तेमाल की इजाजत दिए जाने के बाद सवाल उठाए हैं। इस टीके का निर्माण भारत बॉयोटिक ने किया है। टीके पर सवाल उठने के बाद भारत बॉयोटेक के एमडी कृष्णा एल्ला सोमवार को सामने आए और उन्होंने अपने वैक्सीन पर उठाए जा रहे सवालों का जवाब दिया। एल्ला ने कहा कि उनकी कंपनी के पास टीकों के निर्माण का 'शानदार अनुभव है' और उनके टीके की आलोचना के पीछे 'भारतीय कंपनीयों के खिलाफ दुर्भावना है।' एक वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए भारत बॉयोटेक के एमडी ने कहा कि उनकी कंपनी का कामकाज फाइजर से कम नहीं है। अमेरिकी कंपनी फाइजर ने भी कोरोना का टीका तैयार किया है। 

विपक्ष का कहना है कि टीका के तीसरे चरण का अभी डाटा नहीं
स्वास्थ्य विशेषज्ञों एवं विपक्ष का सबसे बड़ा सवाल इस टीके के परीक्षण और डाटा को लेकर है। दोनों का कहना है कि भारत बायोटेक द्वारा बनाई गई कोवैक्सीन के तीसरे चरण का परीक्षण अभी जारी है और इसकी (प्रभावोत्पादकता डाटा) इफिकेसी डेटा अभी तक उपलब्ध नहीं है। ऐसे में इस टीके के इस्तेमाल की इजाजत क्यों दी गई है। भारत के औषधि नियामक ने रविवार को सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित ऑक्सफोर्ड के कोविड-19 टीके ‘कोविशील्ड’ और भारत बायोटेक के स्वदेश में विकसित टीके ‘कोवैक्सीन’के देश में सीमित आपात इस्तेमाल को मंजूरी दी है। 

टीके पर राजनीति की जा रही-भारत बॉयोटेक के एमडी
एल्ला ने अपनी सफाई में कहा, 'इस टीके पर राजनीति की जा रही है। मैं बहुत स्पष्ट शब्दों में कहना चाहता हूं कि मेरे परिवार का कोई भी सदस्य किसी राजनीतिक दल से जुड़ा हुआ नहीं है। कुछ लोग केवल बातें कर रहे हैं। यह भारतीय कंपनियों के खिलाफ दुर्भावना भर है। यह हमारे लिए ठीक नहीं है। हमारे साथ ऐसा व्यवहार किया जाना ठीक नहीं है। मर्क इबोला वैक्सीन ने कभी भी ह्यूमन क्लिनकिल ट्रायल पूरी नहीं की लेकिन डब्ल्यूएचओ ने लाइबेरिया और गुएना में इस टीके के आपात इस्तेमाल की इजाजत दी।'

'हमारा टीका 200 प्रतिशत सुरक्षित'
एल्ला ने आगे कहा, 'कोवाक्सीन टीका का 10 प्रतिशत से कम प्रतिकूल प्रभाव सामने आया है जबकि अन्य टीकों का दुष्प्रभाव 60 से 70 प्रतिशत तक का है। एस्ट्राजेनेका इस तरह के दुष्प्रभाव को दबाने के लिए अपने वॉलिंटियर्स को चार ग्राम का पैरासीटामॉल देती थी। हमने अपने किसी भी वॉलेंटियर को पैरासीटामॉल नहीं दिया है। मैं आपको भरोसा दे सकता हूं कि हमारा टीका 200 प्रतिशत सुरक्षित है।'

टीके पर पर्याप्ट डेटा नेट पर उपलब्ध-एल्ला
विपक्ष के कुछ नेताओं का कहना है कि इस टीके के इस्तेमाल की इजाजत 'जल्दबाजी' में दी गई है क्योंकि स्वदेश निर्मित इस कंपनी ने अभी ह्यूमन क्लिनिकिल ट्रायल का अंतिम चरण अभी पूरा नहीं किया है। एल्ला का कहना है कि उनके टीके पर पर्याप्त डाटा नेट पर उपलब्ध है। उन्होंने कहा, 'हम वैक्सीन बनाने वाली बिना अनुभव वाली कंपनी नहीं हैं। हमारे पास टीका बनाने का बहुत ज्यादा अनुभव है। हम 123 देशों में काम कर रहे हैं। हम इकलौती कंपनी हैं जिसके पास इतना ज्यादा अनुभव और रिव्यू जर्नल्स में उसके बारे में इतना लिखा-पढ़ा गया है।'

उन्होंने आगे कहा, 'हम केवल भारत में ही नहीं बल्कि ब्रिटेन सहित 12 देशों से ज्यादा देशों में क्लिनिकल ट्रायल्स किए हैं। हम पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश और अन्य देशों में क्लिनिकल ट्रायल कर रहे हैं। हम केवल भारतीय कंपनी नहीं बल्कि एक वैश्विक कंपनी हैं।'

कोरोना के नए प्रकार पर भी असरदार हो सकता है टीका-हर्षवर्धन
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा है कि भारत बॉयोटेक का टीका वायरस के नए प्रकार भी काम कर सकता है। उन्होंने कहा कि इस तरह के गंभीर मुद्दे का राजनीतिकरण करना किसी के लिए भी शर्मनाक है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कोवैक्सीन को क्लिनिकल ट्रायल मोड पर ही इस्तेमाल किया जाएगा। 

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