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'टाइम्स नाउ नवभारत' के सवाल पर भाग खड़े हुए प्रताप सिंह बाजवा, राज्यसभा में किया है हंगामा  

Updated Aug 12, 2021 | 11:43 IST

मंगलवार को राज्यसभा (Rajya Sabha) में नए कृषि कानूनों पर जब चर्चा शुरू हुई तो विपक्ष के सदस्य सभापति के आसन के समक्ष आकर हंगामा करने लगे। कांग्रेस सांसद बाजवा और अन्य सदस्य अधिकारियों की मेज पर चढ़ गए।

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मुख्य बातें
  • राज्यसभा में मंगलवार को कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने रूल बुक फेंकी
  • अपने इस आचरण पर प्रताप सिंह बाजवा को कोई अफसोस नहीं है
  • टाइम्स नाउ नवभारत के सवालों का जवाब देने से इंकार कर दिया

नई दिल्ली : राज्यसभा (Rajya Sabha) में घोर अनुशासनहीनता दिखा चुके कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा (Pratap Singh Bajwa) 'टाइम्स नाउ नवभारत' के सवालों का सामना करने के लिए तैयार नहीं हैं। राज्यसभा का रूल बुक फेंकने के बारे में चैनल ने गुरुवार को जब उनसे सवाल किया तो वह भाग खड़े हुए। चैनल ने बाजवा से सवाल किया कि सदन में रूल बुक फेंकने और इस तरह का आचरण करने के बाद क्या उनका 'माननीय' रहना उचित है? इस सवाल पर बाजवा ने कहा कि आज भी उनसे वही सवाल किया जा रहा है। बाजवा ने कहा कि वह तीन दिनों से इन्हीं सवालों का सामना कर रहे हैं। इतना कहने के बाद बाजवा चैनल के सवाल का जवाब दिए बगैर चले गए।  

मंगलवार को राज्यसभा में हुआ हंगामा
मंगलवार को राज्यसभा में नए कृषि कानूनों पर जब चर्चा शुरू हुई तो विपक्ष के सदस्य सभापति के आसन के समक्ष आकर हंगामा करने लगे। कांग्रेस सांसद बाजवा और अन्य सदस्य अधिकारियों की मेज पर चढ़ गए। सदस्यों ने काले कपड़े दिखाते हुए सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। इसी दौरान बाजवा ने सदन की रूल बुक उठाकर फेंक दी। सदन में हुए इस हंगामे पर सभापति वेंकैया नायडू काफी आहत और दुखी हैं। बुधवार को राज्यसभा की कार्यवाही जब शुरू हुई तो उनका यह दर्द छलक उठा। उन्होंने कहा, 'सदस्यों के आचरण से सदन की गरिमा तार-तार हुई है। मैं इस घटना को शब्दों में बयां नहीं कर सकता।'

बाजवा ने अपने आचरण को सही ठहराया है
वहीं, बाजवा ने अपने आचरण को सही ठहराया है। कांग्रेस सांसद का कहना है कि सरकार उनकी बात नहीं सुन रही है। वह विपक्ष की आवाज दबा रही है। अपनी बात सरकार को सुनाने के लिए जरूरत पड़ी तो वह 100 बार इस तरह का आचरण करेंगे। बाजवा ने कहा कि उन्हें अपने आचरण पर कोई अफसोस नहीं है। उनके लिए निलंबन छोटी चीज है, सरकार चाहे तो उन्हें जेल भेज सकती है। 

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