- सुप्रीम कोर्ट में के पराशरण ने रामलला विराजमान का रखा था पक्ष
- 92 वर्ष के पराशरण को स्वास्थ्य वजहों से भूमि पूजन में शामिल होने का नहीं मिला न्यौता
- के पराशरण टीवी के जरिए भूमि पूजन के बने साक्षी
नई दिल्ली। अयोध्या में राम मंदिर भूमि पूजन के साथ ही निर्माण कार्य शुरू हो चुका है। पीएम मोदी ने कहा कि राम का आदर्श इसलिए व्यवहारिक है क्योंकि उन्होंने आदर्श को जमीन पर उतारा। मंदिर भूमि पूजन को पूरी दुनिया ने दूरदर्शन के साथ-साथ प्राइवेट चैनलों और सोशल मीडिया के जरिए देखा। राम मंदिर आंदोलन से जुड़े रहे या रामलला विराजमान का पक्ष रखने वाले वकील स्वास्थ्य वजहों से सशरीर कार्यक्रम का हिस्सा नहीं बन सके। उनमें ले एक थे 92 वर्ष के के पराशरण। पराशरण ने प्रभावी तौर पर रामलला का पक्ष सुप्रीम कोर्ट में रखा था और जीत भी दिलाई। वकील के. पराशरण ने परिजनों संग पूरा भूमि पूजन कार्यक्रम टीवी पर ही देखा।
देवताओं के वकील कहे जाते हैं के पराशरण
'देवताओं के वकील' कहे जाने वाले वाले के. पराशरण के ग्रेटर कैलाश वाले आवास को श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट का आधिकारिक कार्यालय बनाया गया है। भारत के अटॉर्नी जनरल रहे के. पराशरण ने अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्वामित्व विवाद मामले में हिन्दू पक्षों की ओर से पैरवी की थी। तमिलनाडु के श्रीरंगम में 9 अक्टूबर 1927 को जन्मे पराशरण राज्यसभा सदस्य और 1983 से 1989 के बीच भारत के अटॉर्नी जनरल भी रहे। पराशरण के बारे में कहा जाता है कि जब वो अदालत में तर्क के लिए खड़े होते थे तो जज कहते थे कि आप कुर्सी पर बैठकर भी दलील दे सकते हैं।
कई पार्टियों को दूरदर्शन पर प्रसारण से था ऐतराज
बता दें कि राम मंदिर भूमि पूजन के दुरदर्शन पर प्रसारण को लेकर कई तरह की आपत्ति उठी थी। कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (CPI) ने भूमि पूजन कार्यक्रम को दूरदर्शन पर टेलिकास्ट (DD telecast) करने के खिलाफ कड़ी आपत्ति जताई। पार्टी ने केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखकर कहा था कि सरकारी चैनल पर यह कार्यक्रम प्रसारित करना ठीक नहीं होगा। इसके साथ ही कई और अन्य दलों को भी भूमि पूजन कार्यक्रम को सरकारी चैनल पर दिखाए जाने से ऐतराज था।