'राष्ट्रवाद...देश से बढ़कर कुछ नहीं' में बात हुई पंजाब की राजनीति पर। पिछले तीन दिनों में पंजाब में जो हुआ वो आप सबने देखा। कांग्रेस ने पंजाब में अचानक अपना कैप्टन ही बदल दिया और कैप्टन को हटाकर पार्टी ने एक दलित चेहरे को पंजाब की कमान सौंपी। आज का दिन चरणजीत सिंह चन्नी का है। वो पंजाब के 17वें सीएम हैं। उन्होंने संविधान की शपथ ली है। विधायकों ने उनमें विश्वास जताया है। पंजाब में कैप्टन जो नहीं कर पाए वो चन्नी साहब जरूर करेंगे..ऐसा विश्वास है और उन्होंने भरोसा भी दिया है ।
उन्होंने कहा कि इस सरकार में कोई ये नहीं कहेगा कि ये मेरी सरकार है, ये सरकार पंजाब के लोगों की है। उन्होंने इस सरकार को बनाया है। बहुत ऐसे फैसले लेने हैं पंजाब की बेहतरी के लिए। कैप्टन अमरिंदर सिंह जी ने बहुत अच्छा काम किया है। वो हमारी पार्टी के लीडर हैं। जो काम उनके समय में अधूरे रह गए हैं वो हम पूरे करेंगे।
लेकिन कहते हैं न सच छिपा नहीं रहता। पंजाब में कांग्रेस अपने हिडेन एजेंडे को दो चार घंटे भी छिपाकर नहीं रह पाई। पार्टी के पंजाब प्रभारी ने कह दिया कि अभी चरणजीत सिंह चन्नी सीएम बन रहे हैं...लेकिन अगला चुनाव कांग्रेस अध्यक्ष यानी सिद्धू के नेतृत्व में लड़ा जाएगा।
चन्नी के शपथ ग्रहण में नवजोत सिंह सिद्धू को बहुत खुश दिखे लेकिन कैप्टन महज 20 किलोमीटर दूर अपने घर से भी बाहर नहीं निकले। वो भी तब, जब राहुल गांधी दिल्ली से चंडीगढ़ आए थे। फिर भी कैप्टन घर से नहीं निकले। शपथ का न्यौता ठुकरा दिया और सिर्फ कैप्टन ही नहीं, पंजाब में कल तक पार्टी के स्टेट प्रेसिडेंट रहे सुनील जाखड़ तो हरीश रावत पर ही उखड़ गए। उन पर ये आरोप लगाया कि वो पंजाब में चन्नी को सीएम बनने से पहले कमजोर कर रहे हैं। हालात यहां तक पहुंच गई कि दिल्ली में सुरजेवाला जी को सफाई देनी पड़ी।
अब कुल मिलाकर आज के राष्ट्रवाद में सवाल ये है कि
- सिद्धू की 'सियासी पिच' पर कांग्रेस हिट विकेट होगी?
- पंजाब में दलित CM का चेहरा क्या दिखावा है?