- विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने कहा कि देश को सुरक्षाबलों की क्षमता पर करना चाहिए विश्वास
- एलएसी पर हालात जटिल, लेकिन चीन के साथ लगातार जारी है बातचीत- विदेश मंत्री
- भारत औऱ चीन के बीच पिछले काफी समय से बने हुए है तनावपूर्ण हालात
नई दिल्ली: केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को दावा किया कि भारत ने लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ लगी अपनी सीमा खुद की स्थिति को मजबूत किया है। उन्होंने कहा कि देश को अपने सशस्त्र बलों और देश को सुरक्षित रखने की उनकी क्षमता पर विश्वास करने की जरूरत है। 'टाइम्स नाउ' के एडिटर इन चीफ राहुल शिवशंकर को दिए एक साक्षात्कार के दौरान विदेश मंत्री ने कहा कि भारत सैन्य और राजनयिक चैनलों के माध्यम से चीन के साथ चल रहे मौजूदा सीमा विवाद को हल करने की कोशिश कर रहा है और अंतिम परिणामों का इंतजार करना चाहिए।
हालात जटिल
सीमा विवाद संबंधी सवाल का जवाब देते हुए विदेश मंत्री ने कहा, 'यह एक ऐसी स्थिति है जिसके बारे में कई पंडित अलग- अलग दावे कर रहे हैं और बहुत सारा ज्ञान दे रहे हैं। मैंने बहुत गहरे सम्मान के साथ उनकी बात सुनी है। यहां बातचीत का सिलसिला अभी जारी है। यह हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा है और वहां जमीनी हालात बहुत जटिल है। हमें राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा को लेकर अपने सुरक्षा बलों और उनकी क्षमता पर भरोसा करने की जरूरत है। सैन्य कमांडर और राजनयिक चैनल दोनों ही चीनी पक्ष के साथ बातचीत कर रहे हैं।'
भारत, चीन सीमा विवाद
आपको बता दें कि भारत और चीन के बीच इस साल अप्रैल-मई के बाद से तनाव बना हुआ है। दरअसल तब चीनी सेना द्वारा फिंगर एरिया, गलवान घाटी, हॉट स्प्रिंग्स सहित कई क्षेत्रों में बदलाव किया जिसे लेकर भारत ने विरोध जताया। इसके बाद दोनों देशों के बीच हालत लगातार तनावपूर्ण बनते गए हैं। 15-16 जून की रात को गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद हालात और बिगड़ गए। इस हिंसक झड़प में भारतीय सेना के एक कर्नल सहित 20 जवान शहीद हो गए थे। चीनी सेना के भी कई जवान इस झड़प में मारे गए थे।
बातचीत जारी
तब से, दोनों पक्षों ने गतिरोध को समाप्त करने के लिए सैन्य और राजनयिक स्तरों पर कई दौर की बातचीत की है, लेकिन कोई महत्वपूर्ण हल नहीं निकल पाया है क्योंकि चीन ने पूरी तरह से फिंगर एरिया से पीछे हटने से इनकार कर दिया है और ऐसा लग रहा है कि वह जानबूझकर ऐसा कर रहा है ताकि भारत का ध्यान भटकाया जा सके। अभी तक चीन ने गलवान घाटी और कुछ अन्य टकराव वाले इलाकों से तो सैनिकों को पीछे हटा लिया है, लेकिन पैंगोंग त्सो, डेपसांग और कुछ अन्य क्षेत्रों वह अड़ा हुआ है।