'सवाल पब्लिक का' में बात हुई कश्मीर की। कश्मीर में जो हो रहा है उसे लेकर पूरा देश गुस्से में है और वो स्वभाविक है। सोचिए जरा..गोलगप्पे वाला, घर बनाने में लगे मजदूर, स्कूल टीचर..जिनसे मिलकर कश्मीरीयत शब्द बनता है। कायर आतंकी अब इन सॉफ्ट टारगेट को निशाना बना रहे। कितनों को मारा, कैसे मारा...ये अहम नहीं..जरूरी ये जानना है कि ऐसा क्यों हुआ..ऐसा क्यों हो रहा है? आतंकियों की इस कायराना और घिनौनी करतूत के पीछे की वजह क्या है?
जम्मू-कश्मीर में रोजगार: कोरोना फेज के बाद बेरोजगारी दर 21.9% से घटकर 10.6% पर आई। 5% तक के टारगेट तक तेजी से बढ़ रहे।
कश्मीर में निवेश और नौकरी: 30 हजार करोड़ के प्राइवेट इन्वेस्टमेंट के साथ 5 लाख रोजगार देने की पहल- LG मनोज सिन्हा
J&K में आतंक का सफाया
- 2014 से अभी तक 1419 आतंकी मारे गए
- लश्कर-जैश की गतिविधियां कमोबेश ठप
- पत्थर फेंकने की घटना में 93% की कमी
कश्मीर में पर्यटन पर दिन-रात काम
- 2021( कोरोना काल) में 3 लाख पर्यटक कश्मीर आए
- सेकंड वेव से पहले पर्यटक 5 गुना बढ़े
- कोरोना प्रोटोकॉल के बावजूद फिर पर्यटक बढ़ रहे
- 75 नए पर्यटन स्थल की पहचान कर उसका विकास
- 75 नए पर्यटन स्थल में 35 जम्मू रिजन में, 40 कश्मीर में
- टूरिस्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर पर केन्द्र से 2000 Cr की सहायता
- चौतरफा विकास के लिए 50 हजार करोड़ केन्द्र से निवेश प्रस्ताव
ऐसा नहीं कि जम्मू-कश्मीर में सब बदल गया है लेकिन संपूर्ण बदलाव की निष्ठा जमीन पर दिख रही है। आप यकीन मानिए..इसी वजह से आतंकवादी गुस्से में हैं..उनके हैंडलर आगबबूला हैं। क्योंकि उनका प्लान फेल हो रहा है। कश्मीर के लोग उनका प्लान फेल कर रहे हैं। कश्मीर की अवाम भी हमारी-आपकी तरह ही..आतंकवादियों की इस कायराना हरकत से दुखी है, गुस्से में है क्योंकि वो भी अब विकास के रास्ते पर पूरे हिन्दुस्तान से कंप्टीशन चाहती है। वो भी 24 घंटे बिजली, शानदार सड़कें, हर घर जल से नल, सबको वैक्सीन, सबको रोजगार चाहती है। उसे ये खून-खराबा नहीं चाहिए। लेकिन सवाल उठता है फिर ऐसा हो क्यों रहा? जवाब है..चंद मुट्ठी भर लोगों की हताशा। मुट्ठी भर लोगों की निराशा।