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Sawal Public Ka : यासीन मलिक ने गुनाह कबूला है, क्या ये आतंकवाद के खिलाफ एक्शन का नतीजा है?

Updated May 11, 2022 | 23:03 IST

Sawal Public Ka : दिल्ली की एक अदालत में यासीन मलिक ने आतंकवाद और अलगाववाद पर चल रहे एक मुकदमे में अपना गुनाह कबूला है। सवाल पब्लिक का है कि क्या ये आतंकवाद के खिलाफ एक्शन का नतीजा है?

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Sawal Public Ka : आतंकवाद की कड़ी निंदा करने भर से काम नहीं चलता है, उसकी कमर तोड़नी पड़ती है। और जब आतंकवाद के खिलाफ ताकत और कानून दोनों का इस्तेमाल होता है तो उसका ठोस नतीजा निकलता है। JKLF के सरगना यासीन मलिक के खिलाफ कश्मीरी हिंदुओं के संघर्ष की पहली जीत दर्ज हुई है। दिल्ली की एक अदालत में यासीन मलिक ने आतंकवाद और अलगाववाद पर चल रहे एक मुकदमे में अपना गुनाह कबूला है। सवाल पब्लिक का है कि क्या ये आतंकवाद के खिलाफ एक्शन का नतीजा है?

JKLF के आतंकवादी यासीन मलिक के खिलाफ दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में आतंकवादी गतिविधियों और आतंकी फंडिंग का केस चल रहा है। NIA का ये केस लश्कर सरगना हाफिज सईद और अन्य के खिलाफ है। इस केस में यासीन मलिक आरोपी नंबर 14 है। NIA की चार्जशीट के मुताबिक ISI की मदद से लश्कर, HM, JKLF ने कश्मीर में आतंकवाद फैलाया है। चार्जशीट के मुताबिक अलगाववादी गतिविधियों में 10 अप्रैल 2019 को यासीन मलिक गिरफ्तार हुआ। 26 अप्रैल 2019 को यासीन मलिक के घर से दस्तावेज बरामद किए गए।

2016 में यासीन मलिक ने सैयद अली शाह गिलानी और मीरवाइज उमर फारूक के साथ मिलकर ज्वाइंट रेजिस्टेंस लीडरशिप (JRL) नाम से एक फ्रंट बनाया। और इस बैनर तले यासीन मलिक ने जो विरोध प्रदर्शन करवाए वो बहुत हिंसक थे। यासीन मलिक के फेसबुक चैट में पत्थरबाजी की साजिश का खुलासा हुआ। यासीन मलिक के ई-मेल से टेरर फंडिंग का खुलासा हुआ। चार्जशीट के मुताबिक यासीन के लश्कर के साथ करीबी संबंध रहे हैं। NIA ने यासीन मलिक के खिलाफ आतंक के मामलों को लेकर UAPA की धाराओं और राजद्रोह साथ ही आपराधिक साजिश जैसी IPC की धाराओं में केस दर्ज किया है। कोर्ट में यासीन मलिक ने अपने ऊपर लगे आरोपों को स्वीकार कर लिया है।

यासीन मलिक को आज गुनाह कबूलना पड़ा है। लेकिन याद कीजिए साल 2006। फरवरी 2006 में तब के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से यासीन मलिक की मुलाकात हुई थी। इस मुलाकात के बाद उसने ऐसे बयान दिया था जैसे वो कश्मीर की जनता का असली प्रतिनिधि है। वो साल दूसरा था। ये साल दूसरा है। 2006 में यासीन मलिक से मुलाकात के बाद मनमोहन सरकार ने एक वर्किंग ग्रुप बनाया था। 

हमने सवाल पब्लिक का शो में 24 मार्च को खुलासा किया था कि वर्किंग ग्रुप ने एक तरह से अलगाववादियों को मेनस्ट्रीम में लाने वाले cushion की तरह काम किया था। मार्च में जब कश्मीर फाइल्स फिल्म ने 1990 के नरसंहार की सच्चाई दिखाई तो इसे राजनीतिक फिल्म करार दे दिया गया। लेकिन अब यासीन मलिक का गुनाह कबूलना कश्मीरी हिंदुओं के लिए न्याय की लड़ाई में पहली उम्मीद जैसा है।

सवाल पब्लिक का

1. क्या कोर्ट में यासीन मलिक का गुनाह कबूलना आतंक के खिलाफ मोदी सरकार की जीत है?

2. क्या द कश्मीर फाइल्स को प्रोपेगेंडा बताने वालों का झूठ बेनकाब हुआ?

3. यासीन मलिक के बाद कश्मीर के बाकी गुनहगारों का हिसाब कब होगा?
 

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