- जम्मू कश्मीर के अनंतनाग स्थित मार्तंड सूर्य मंदिर में हुई पूजा अर्चना
- पहली बार यहां मनाई गई शंकराचार्य की जयंती
- संतों ने की पीओके स्थित शारदापीठ तक मार्ग खोलने की मांग
अनंतनाग: फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' ने घाटी के कई ऐसे अनजाने तथ्यों से रूबरू कराया जिससे फाइलों की गर्त में दबे कई सच सामने आ गए। फिल्म के माध्यम से कश्मीरी पंडितों की समस्याओं को वास्तविक धरातल पर लाकर रख दिया है। फिल्म के निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने जिस शारदा पीठ का जिक्र किया है वहां आज कई बरस बाद पूजा अर्चना हुई। शारदा पीठ मंदिर कश्मीरी पंडितों का प्रसिद्ध पवित्र स्थल है जो अनंतनाग में मार्तंड सूर्य मंदिर और अमरनाथ मंदिर हैं।
पहली बार मनी शंकराचार्य जयंती
कश्मीरी पंडित संगठन कई वर्षों से शारदा पीठ कॉरिडोर खोलने की मांग कर रहे हैं। सूर्य मंदिर मार्तंड अनंतनाग में पहली बार शंकराचार्य जयंती मनाई गई। जहां तमाम ज्योतिषाचार्यों ने पूरे विधि और विधान के साथ पूजा अर्चना की। इस मौके पर वहां मौजूद संतों ने पीओके में स्थित शारदा पीठ के मार्ग को खोलने की मांग करते हुए पीएम मोदी और एलजी मनोज सिन्हा से इसमें हस्तक्षेप की मांग की।
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पीएम मोदी से मांग
वहां मौजूद संतों में से एक ने कहा, 'आज आदि गुरु शंकराचार्य की आशीर्वाद से हम यहां सैकड़ों पुराने मंदिर मार्तंड मंदिर में आए हैं। मैं कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा जी से, पीएम नरेंद्र मोदी जी से आग्रह करता हूं कि आप लोग अभी प्रशासन में है, ऑथिरिटी हैं। आपसे औऱ यहां कि ज्ञान पंरपरा की सबसे प्रधान देवी जो हैं मां शारदा, उनके पीठ शारदा पीठ जो पीओके में है, वहां तक जाने का मार्ग खोला जाए हम लोग वहां जां सकें, मां के दर्शन करें। ये जो भी मंदिर टूट गए हैं इनका फिर से निर्माण कार्य हो तांकि यहां पूजन हो सके।हमें आज यहां पूजन करने में समस्या आई क्योंकि यहां कानून का शासन रहता है। हम चाहते हैं इन मंदिरों को फिर से स्थापित किया जाए जिससे यहां कि संस्कृति फले फूले।'
पीओके में है शारदापीठ
आपको बता दें कि शारदापीठ देवी सरस्वती का प्राचीन मन्दिर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर यानि PoK में शारदा के निकट किशनगंगा नदी (नीलम नदी) के किनारे स्थित है। इसके भग्नावशेष भारत-पाक नियन्त्रण-रेखा के निकट स्थित है। कश्मीरी पंडितों की एक संस्था ने मांग की है कि करतारपुर गुरुद्वारा तक जाने के लिए विशेष गलियारे की तरह शारदा मंदिर कश्मीरी पंडितों और देश के अन्य हिंदुओं की यात्रा के लिए खोला जाना चाहिए।