- गत छह फरवरी से जापान के योकोहामा तट पर क्रूज को अलग रखा गया है
- चालक दल के सदस्यों में शामिल सोनाली ठक्कर ने भारत सरकार से लगाई मदद की गुहार
- सोनाली ने कहा कि वह घर जाना चाहती हैं, भारत सरकार डॉक्टर भेजे और उन्हें यहां से निकाले
नई दिल्ली: कोरोना वायरस की चपेट में आने वाले डायमंड प्रिंसेज शिप के चालक दल के सदस्य हताश होने लगे हैं। इस शिप पर चालक दल के सदस्यों में भारतीय भी हैं। इनमें से एक सोनाली ठक्कर ने भारत सरकार से मदद की गुहार लगाई है। सोनाली ने अपना एक वीडियो जारी कर भारत सरकार से मदद मांगी है। सोनाली का कहना है कि जहाज पर बहुत से ऐसे लोग हैं जो संक्रमण का शिकार नहीं हुए हैं फिर भी उन्हें शिप पर रखा गया है। शिप के सुक्युरिटी पेट्रोलिंग टीम में शामिल सोनाली ने कहा कि वह यहां से निकलना चाहती है और अपने घर जाना चाहती है।
बता दें कि इस शिप पर चालक दल के सदस्यों सहित कुल 2670 लोग सवार हैं जिनमें से 1100 चालक दल के सदस्य हैं। जहाज पर संक्रमण के मामले बढ़ने से चालक दल के सदस्यों में घबराहट बढ़ती जा रही है। चालक दल के सदस्यों में करीब 160 लोग भारतीय हैं।
कोरोना वायरस की चपेट में आने के बाद से इसे जापान के योकोहामा तट पर अलग रखा गया है। जहाज पर जैसे-जैसे संक्रमण फैल रहा है वैसे-वैसे यहां मौजूद लोगों में बेचैनी बढ़ती जा रही है। गुरुवार को जापान में अधिकारियों ने बताया कि जहाज पर सवार 44 और लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं और इस तरह से संक्रमित लोगों की संख्या बढ़कर 218 हो गई है।
'सरकार हमें यहां से निकाले'
अपने इस वीडियो में सोनाली ने कहा, 'नमस्ते मेरा नाम सोनाली ठक्कर है। मैं डायमंड प्रिंसेज क्रू शिप पर काम करती हूं जो फिलहाल योकोहामा में है। मैं सिक्युरिटी ऑफिसर नहीं बल्कि सिक्युरिटी पेट्रोलमैन हूं। मेरी एक सेक्युरिटी टीम है जो यहां काम करती है और मैं कोरोना वायरस से संक्रमित नहीं हूं। मेरा टेस्ट कल हुआ और मैं उसके रिजल्ट की प्रतीक्षा कर रही हूं। मुझे 10 फरवरी से सर्दी, खासी और बुखार है। मेरा अनुरोध है कि हम सभी क्रू मेंबर्स का टेस्ट हो। टेस्ट में संक्रमित मिलने वाले लोगों को अलग किया जाए और जो संक्रमित नहीं हैं उन्हें घर भेजा जाए या उनका इलाज किया जाए।'
'मैं जीना और घर जाना चाहती हूं'
उन्होंने कहा, 'हमें अपनी भारत सरकार से मदद चाहिए। वह हमें इन मुश्किल हालात से निकाले। सरकार यहां डॉक्टर्स भेजे और हमें इंडिया बुलाए। अगर हम लोग यहां रहे तो हम भी कोरोना वायरस की चपेट में आ जाएंगे। मैं चाहती हूं कि मुझे कुछ ना हो। मैं अपने सभी साथियों, ऑफिसर्स की तरफ से यही कहना चाहती हूं कि हम सभी का टेस्ट कराया जाए। हस सुरक्षित माहौल में रहना और घर जाना चाहते हैं। शिप पर सवार क्रू मेंबर सहित कुल 218 लोग संक्रमित हो चुके हैं। संक्रमण बढ़ता जा रहा है, हम अगर शिप पर रहे तो हम भी चपेट पर आ जाएंगे। मैं सवाल पूछना चाहती हूं कि जिनका टेस्ट निगेटिव आया है उन्हें क्यों शिप पर काम करने दिया जा रहा है, उन्हें क्यों नहीं बाहर भेजा जा रहा है। मैं जीना चाहती हूं और घर जाना चाहती हूं।'
जहाज के चालक दल के सदस्यों में 11 फिलिपींस नागरिक कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं। शिप पर सवार चालक दल के कम से कम चार अन्य सदस्य बीमार हैं लेकिन इनकी नागरिकता सार्वजनिक नहीं की गई है।
गत छह फरवरी से योकोहामा तट पर खड़ा है शिप
115,000 टन वजनी यह शिप गत छह फरवरी से जापान के बंदरगाह शह योकोहामा के तट पर खड़ा है। इस जहाज से कुछ दिनों पहले 80 साल का एक व्यक्ति हांग कांग में उतरा था और उसे कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया। इस रिपोर्ट के बाद जहाज को अलग रखने का फैसला लिया गया। शुरुआत में जहाज पर कोरोना वायरस की चपेट में कम से कम 10 लोगों के आने की बात कही गई लेकिन बाद में धीरे-धीरे इसका दायरा बढ़ता ही गया।
चीन में अब तक 1383 लोगों की हो चुकी है मौत
चीन में कोरोना वायरस तेजी से फैल रहा है। चीन सरकार की तमाम कोशिशों के बाद एक दिन में सैकड़ों की संख्या में लोगों की मौत हो रही है। इस वायरस की चपेट में आकर अब तक 1383 लोगों की मौत हो चुकी है। गत बुधवार तक कोरोना वायरस के 60 हजार मामलों की पुष्टि हो गई है। यह वायरस चीन से निकलकर दुनिया के करीब 25 देशों को अपनी जद में ले चुका है। भारत में तीन मामलों की पुष्टि हुई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने गुरुवार को कहा कि सरकार इन पर करीबी नजर बनाए हुए है।
अपने 647 नागरिकों को हुबेई से निकाल चुका है भारत
चीन में कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए भारत सरकार हरकत में आई और उसने हुबेई प्रांत के वुहान से छात्रों सहित अपने नागरिकों को दो विमानों से वहां से निकाल लाई। भारत अब तक 647 नागरिकों को वहां से निकाल चुका है। इस एयरलिफ्ट में मालदीव के 7 नागरिक भी शामिल हैं। श्रीलंका और बांग्लादेश ने भी अपने नागरिकों वहां से निकाला है। जबकि पाकिस्तानी छात्र अभी भी वहां फंसे हुए हैं।