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PAK सीमा के पास भारत का रनवे, नेशनल हाईवे पर पहली बार लैंड हुए सुखोई, जगुआर

Updated Sep 09, 2021 | 12:08 IST

राजस्‍थान के जालौर में नेशनल हाइवे पर पहली बार सुखोई, जगुआर जैसे लड़ाकू विमान उतरे। यह पाकिस्‍तान सीमा से महज 4 किलोमीटर की दूरी पर है, जिसे भारत के सामरिक हितों के लिहाज से बेहद अहम समझा जा रहा है।

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मुख्य बातें
  • नेशनल हाइवे पर पहली बार सुखोई, जगुआर जैसे IAF के लड़ाकू विमान उतरे
  • राजस्‍थान के जालौर स्थित नेशनल हाईवे पर वायुसेना के विमानों ने लैंड किया
  • यह जगह पाकिस्‍तान से लगने वाली अंतरराष्‍ट्रीय सीमा से महज 4 किमी दूर है

जालौर : राजस्‍थान के जालौर में राष्‍ट्रीय राजमार्ग संख्‍या 925A देश की पहली इमरजेंसी लैंडिंग स्ट्रिप बनी है। यह जगह पाकिस्‍तान की सीमा के पास है, जहां सुखोई, जगुआर जैसे वायुसेना के विमान पहली बार उतरे। इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के साथ-साथ वायुसेना के अधिकारी भी मौजूद रहे। यह जगह राजस्‍थान से सटी पाकिस्‍तान से लगने वाली अंतरराष्‍ट्रीय सीमा से महज 4 किलोमीटर दूर है।

भारत के सामरिक हितों के लिहाज से इसे बेहद महत्‍वपूर्ण समझा जा रहा है। पाकिस्‍तान के पास होने की वजह से जहां यह भारत के हितों के अनुकूल है, वहीं पाकिस्‍तान के माथे पर इससे बल पड़ सकता है। नेशनल हाइवे पर इस तरह की इमरजेंसी लैंडिंग स्ट्रिप किसी भी देश के लिए सामरिक हितों की द‍ृष्टि से बेहद महत्‍वूर्ण होता है। द्वितीय विश्‍वयुद्ध के दौरान इसकी जरूरत महसूस की गई थी, जिसके बाद कई देशों ने इस दिशा में कदम बढ़ाए।

भारत में भी बीते कुछ समय में देश के अलग-अलग हिस्‍सों में नेशनल हाईवे पर इस तरह के एयरस्ट्रिप बनाने की दिशा में काम हुआ है। राजस्‍थान में जालौर स्थित नेशनल हाईवे 925A देश का पहला राष्‍ट्रीय राजमार्ग है, जहां इस तरह का एयरस्ट्रिप तैयार हुआ है। इसका निर्माण भारतमाला परियोजना के तहत किया गया है। इससे पहले उत्‍तर प्रदेश के आगरा-लखनऊ एक्‍सप्रेस वे पर भी ऐसी ही लैंडिंग स्ट्रिप तैयार की जा चुकी है, जहां सुखोई लैंड कर चुका है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस मौके पर कहा कि भारत किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है। डिफेंस और डेवलपमेंट को एक-दूसरे का पूरक करार देते हुए उन्‍होंने सीमा सड़क संगठन (BRO) की सराहना की और कहा कि यह बेहतर काम कर रहा है। उन्‍होंने यह भी कहा कि भारतमाला परियोजना के तहत देश के 550 जिलों को जोड़ा जा रहा है।

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