- अफगानिस्तान पर अब तालिबान का शासन
- तालिबान से डरे सहमे लोग छोड़ रहे हैं अफगानिस्तान
- तालिबान शासन पर दुनिया के सभी मुल्कों में असमंजस
अफगानिस्तान में तालिबान राज है। इस समय अफगानिस्तान के अलग अलग हिस्सों से जो तस्वीरें या खबरें परेशान करने वाली हैं। दुनिया के मुल्कों के सामने दुविधा है कि इस तरह के हालात से कैसे निपटा जाए। तालिबान का कहना है कि उसके राज में किसी को डरने की जरूरत नहीं है, लेकिन काबुल एयरपोर्ट या किसी और इलाके से आने वाली खबरें उसके दावे को झुठलाती नजर आती है। इन सबके बीच चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ बिपिन रावत ने इंडिया यूएस पार्टनरशिप- सेक्यूरिंग 21st सेंचुरी चर्चा के दौरान खास बात कही ।
तालिबान वही सिर्फ साझेदार बदले
सीडीएस बिपिन रावत का कहना है कि हमने तालिबान के शासन का अनुमान लगाया था और उसी पर अपनी आकस्मिक योजनाएं बनाई हैं। यह वही तालिबान है, केवल उसके साथी बदल गए हैं। हम तालिबान के अधिग्रहण से होने वाली किसी भी आतंकी गतिविधि से निपटने के लिए सुसज्जित हैं। समाचार रिपोर्ट और वहां से आए प्रवासियों की खबरें हमें बता रही हैं कि तालिबान किस तरह की गतिविधियां कर रहा है। बस इतना हुआ है कि अब साथी बदल गए हैं। अलग-अलग साझेदारों के साथ यह वही तालिबान है।
इंडो पैसिफिक और अफगान स्थिति एक जैसी नहीं
मुझे लगता है कि हिंद-प्रशांत और अफगान स्थिति को एक ही नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए। वे 2 अलग-अलग मुद्दे हैं। हां, दोनों क्षेत्र में सुरक्षा के लिए चुनौतियां हैं, लेकिन वे 2 अलग-अलग विमानों पर हैं। उन 2 समानांतर रेखाओं के मिलने की संभावना नहीं है।जहां तक अफगानिस्तान का संबंध है, हम यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी गतिविधि के अफगानिस्तान से बाहर निकलने और भारत में अपना रास्ता तलाशने की संभावना है, जिस तरह से हम अपने देश में आतंकवाद से निपट रहे हैं, उससे निपटा जाएगा।
टाइमलाइन ने चौंकाया
टाइमलाइन ने हमें चौंका दिया है क्योंकि उम्मीद कर रहे थे कि शायद कुछ महीनों के बाद ऐसा हो सकता है। लेकिन यह काफी हद तक वही है - वही तालिबान जो 20 साल पहले वहां था।हम इस बात से चिंतित थे कि अफगानिस्तान से आतंकवादी गतिविधि भारत में कैसे फैल सकती है और इस हद तक हमारी आकस्मिक योजना चल रही थी और हम इसके लिए तैयार हैं।