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क्लर्क से 'कल्कि भगवान' तक का सफरनामा, आयकर विभाग की कार्रवाई से बच न सका विजय कुमार

Updated Oct 22, 2019 | 13:09 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

income tax on self styled godman kalki: कल्कि भगवान के रूप में खुद को घोषित करने वाले विजय कुमार ने कहा कि वो देश छोड़कर फरार नहीं हैं वो अपने जीवाश्रम में ही मौजूद हैं।

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मुख्य बातें
  • विजय कुमार ऊर्फ कल्कि भगवान का कबूलनामा, नहीं हुआ फरार
  • कल्कि भगवान के आश्रम पर आयकर विभाग ने की थी छापेमारी
  • कल्कि भगवान के आश्रम से बड़ी मात्रा में संपत्ति हुई थी बरामद

नई दिल्ली। खुद को कल्कि भगवान घोषित करने वाले शख्स विजय कुमार ने अपनी चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने कहा कि वो देश छोड़कर फरार नहीं हुए हैं बल्कि अपने आश्रम में ही हैं। वो पहले की तरह ही अपने दैनिक क्रियाकलाप में व्यस्त हैं। उन्होंने भारत में अपनी मौजूदगी साबित करने के लिए वीडियो भी जारी किया। विजय कुमार यानि स्वघोषित कल्कि भगवान तब चर्चा में आया था जब उसके ठिकाने जीवाश्रम पर आयकर विभाग ने छापा मारा था। आयकर विभाग की कार्रवाई में तब सबकी आंखें खुली रह गईं जब उसके ठिकाने से बड़ी मात्रा में धन संपदा बरामद की गई थी। 

कल्कि भगवान के नाम से स्वघोषित विजय कुमार के आश्रम पर आयकर विभाग ने छापेमारी की तो करीब 500 करोड़ के कैश और दूसरी मूल्यवान चीजें बरामद की गई। आयकर विभाग ने आध्यात्मिक गुरु के करीब 40 ठिकानों पर छापेमारी की थी। उनके आश्रम में आलमारी, कार्टन से लेकर बिस्तर के नीचे से नोटों की बरामदगी की गई थी। 

किसने दिया है खुद को कल्कि भगवान का दर्जा

  1. 70 वर्ष के विजय कुमार ने खुद को भगवान विष्णु का 10वां अवतार यानि कल्कि भगवान घोषित किया था। 
  2. 30 वर्ष पहले वो लाइफ इंश्योरेंस कंपनी में क्लर्क की नौकरी करता था। नौकरी छोड़ने के बाद उसने खुद को कल्कि अवतार में पेश करना शुरू कर दिया। 
  3. विजय कुमार यानि कल्कि भगवान तब चर्चा में आए जब उनके तमिलनाडु स्थित जीवाश्रम नाम के आश्रम पर आयकर विभाग ने 16 अक्टूबर को छापेमारी की और करीब 500 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति बरामद की। 
  4. विजय कुमार यानि स्वघोषित भगवान ने कर्नाटक के चित्तुर में वननेस नाम के विश्वविद्यालय का गठन किया। यही नहीं उसने रियल एस्टेट में भी किस्मत आजमायां और उसका साम्राज्य भारत के बाहर दूसरे मुल्कों में भी फैल गया। 
  5. बताया जाता है कि कल्कि भगवान यानि विजय कुमार ने ट्रस्टों के जरिए विदेशियों को आध्यात्मिक ट्रेनिंग देता था और पैसे बनाता था। 

गुजरात से भी ऐसा ही मामले सामने आया था
गुजरात सरकार में कार्यरत एक अधिकारी रमेश चंद्र फेफर ने खुद को कल्कि भगवान का अवतार घोषित किया था। उसने कहा था कि वो दुनिया की बेहतरी और बदलाव के लिए तपस्या कर रहा है, लिहाजा वो दफ्तर नहीं आ सकता है। रमेश चंद्र फेफर सरदार सरोवर पुनर्वास एजेंसी में सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर पद पर तैनात था। जब वो अपने दफ्तर नहीं आया तो उसे नोटिस दिया गया था। नोटिस के जवाब में फेफर ने कहा कि उसकी तपस्या की वजह से ही पिछले एक दशक से राज्य में अच्छी बारिश हो रही है। रमेशचंद्र फेफर ने कहा था कि 2010 के मार्च महीने में उसे अहसास हुआ कि वो भगवान का 10वां अवतार कल्कि है।

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