- गोशाला देसी गोवंश की उन्नत नस्लें तैयार करने के लिए प्रसिद्ध
- 192 मीट्रिक टन गोबर की पहली खेप भेजी
- देसी गाय के गोबर की खाद ऑर्गेनिक फार्मिंग के लिए बेस्ट
Jaipur Development News: राजधानी जयपुर के नाम अब एक और रिकॉर्ड दर्ज होने जा रहा है। अब जयपुर के सांगानेर स्थित पिंजरापोल गोशाला गाय के गोबर के एक्सपोर्ट के तौर पर भी पहचानी जाएगी। हालांकि यह गोशाला देसी गोवंश की उन्नत नस्लें तैयार करने के लिए प्रसिद्ध है। मगर अब गोशाला से खाड़ी के देश कुवैत को गाय का गोबर निर्यात किया जाएगा। गोशाला प्रबंधन की ओर से जानकारी दी गई है कि गोबर के निर्यात से गोवंश के संवर्धन व संरक्षण में आर्थिक मजबूती आएगी।
वहीं कचरे के निस्तारण की समस्या से भी निजात मिलेगी। इसे लेकर इंडियन बायो किसान उत्पादक संघ अध्यक्ष डॉ अतुल गुप्ता ने बताया कि देसी गाय के गोबर की खाद ऑर्गेनिक फार्मिंग के लिए बेस्ट मानी जाती है। इसी कारण अरब देशों के ऑर्गेनिक खेती की ओर बढ़ते कदमों के चलते देसी गाय के गोबर की मांग बढ़ी है। इधर, गोसेवा से जुड़े विशेषज्ञ बताते हैं कि अरब देशों की ओर से गाय के गोबर की डिमांड आने के बाद गाय को भुला चुके लोग आर्थिक समृद्धि के इस कार्य में एक बार फिर से जुटेंगे। आपको बता दें कि कुवैत से मांग आने के बाद गोशाला के पास अब कई खाड़ी देशों से गोबर की मांग की जा रही है।
192 मीट्रिक टन गोबर की पहली खेप भेजी
गोशाला प्रबंधन ने बताया कि एक प्राइवेट कंपनी के जरिए कुवैत से 192 मीट्रिक टन गोबर की डिमांड आई थी। जिसे पूरा कर दिया गया। अब अन्य खाड़ी के देशों से अलग-अलग एक हजार मीट्रिक टन की मांग आई है। गोशाला प्रबंधन के अनुसार अब कई वेस्टर्न कंट्रियों से भी मांग आ रही है। अरब देशों में ऑर्गेनिक व खजूर की खेती के काम में देसी गाय का गोबर काम में लिया जा रहा है। जिसके चलते इसकी मांग बढ़ी है। वहीं विशेषज्ञ बताते हैं कि देसी गाय का गोबर अन्य पशुओं की तुलना में खेती के लिए ज्यादा फायदेमंद होता है। यह फसलों को कीट - पतंगों से भी बचाता है।