- चंदन की लकड़ी पर बारीक खुदाई कर 5 एमएम के गणेश बनाए
- गुड़िया के वस्त्रों में उकेर दी हल्दीघाटी की गाथा
- इनके पास लकड़ी की करीब 1500 प्रजातियों के नमूने सहेजे हुए हैं
Ganesh Chaturthi 2022: 60 साल की उम्र में भी चंदन की लकड़ी पर चलते इनके सधे हाथ युवाओं को भी मात देते हैं। बरसों की साधना जब औजारों से बेकार लकड़ी पर महीन खुदाई करती है तो आकृतियां जीवंत हो उठती हैं। बचपन मेें मिली सीख इन्हें आज भी याद है। यही वजह है कि गत 30 सालों से चंदन की लकड़ी के जरिए पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे हैं अशोक आर्य। राजस्थान की मरु भूमि में चूरू जिले में जन्मे अशोक आर्य जांगिड़ समाज से नाता रखते हैं।
हाल ही में इन्होंने चंदन की लकड़ी पर बारीक खुदाई कर 5 एमएम के गणेश बनाए हैं। आपको बता दें कि इससे पहले इनके नाम दुनिया का सबसे छोटा 5 इंच का हारमोनियम बनाने का दावा गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में दर्ज है। इसके अलावा भी इनके नाम कई रिकॉर्ड देश की संस्थाओं में दर्ज हैं। वे बताते हैं कि हमारे समाज में जब कोई व्यक्ति काष्ठकला सीखता है तो उसे लकड़ी का सही व सटीक उपयोग करने की शपथ दिलाई जाती है, वहीं हरी लकड़ी को काम में ना लेने की सीख दी जाती है।
गुड़िया के वस्त्रों में उकेर दी हल्दीघाटी की गाथा
अशोक आर्य वेस्ट लकड़ी से कलाकृतियां गढ़ते हैं। इनके पास लकड़ी की करीब 1500 प्रजातियों के नमूने सहेजे हुए हैं। अशोक आर्य ने 9 इंच की गुड़िया के वस्त्रों में हल्दीघाटी के युद्ध का सजीव वृतांत उकेर दिया। उन्होंने बताया कि लकड़ी की कलाकृतियां बनाने में करीब एक माह लग जाता है। अशोक की बनाई कृतियों की खास बात ये होती है कि इनमें रंगों का संयोजन लकड़ी का ही होता है, किसी भी प्रकार के केमिकल इस्तेमाल नहीं किए जाते हैं। सब कुछ हाथ से बना होता है।
वेस्ट से बेस्ट बनाने में हैं माहिर
अशोक आर्य के संग्रह में डेढ़ फीट की गुड़िया में भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं का वर्णन है। वहीं चंदन की लकड़ी से बादाम में कई देवी- देवताओं की प्रतिमाएं उकेरी गई हैं। वेस्ट से बेस्ट बनाने की कला के बेजोड़ कारीगर आर्य के संग्राहलय में छोटे बड़े बॉक्स, फूलदान नाइटलैंप, पानी के जहाज, नाव, बैलगाड़ी, कई तरह के पारपंरिक खिलौने घोड़ागाड़ी, तोपखाने सहित कई कलाकृतियां हैं।