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Gargi Award: सरकार ने बालिका प्रोत्साहन व गार्गी पुरस्कार के नियम बदले, 90% वाली छात्राएं ही मानी जाएंगी पात्र

Updated Jun 12, 2022 | 17:35 IST

Gargi Award: 75 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाली बेटियों की संख्या सात लाख के करीब पहुंच गई है। जिसके चलते सूबे की गहलोत सरकार ने पात्रता का प्रतिशत बढाने का निर्णय लिया है। इसके बाद भी पात्रता के दायरे में करीब डेढ लाख छात्राएं आ रही हैं।

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तस्वीर साभार:&nbspRepresentative Image
75 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाली बेटियों की संख्या सात लाख के करीब पहुंची
मुख्य बातें
  • एक लाख 51 हजार बेटियों को इस बार बालिका प्रोत्साहन व गार्गी पुरस्कार बांटे जाएंगे
  • सरकार ने पात्रता में के प्रतिशत में बढ़ोतरी कर करीब 180 करोड़ रुपए बचाए
  • 90 या अधिक प्रतिशत अंक हासिल करने वाली बेटियों को ही गार्गी और बालिका प्रोत्साहन पुरस्कार के लिए पात्र माना जाएगा

Gargi Award: वर्ष 2020- 21 के शैक्षणिक शिक्षा सत्र में उत्तीर्ण हुई राज्य की एक लाख 51 हजार बेटियों को इस बार बालिका प्रोत्साहन व गार्गी पुरस्कार बांटे जाएंगे। बालिका शिक्षा फाउंडेशन ने आवेदन करने को लेकर तैयारियां आरंभ कर दी है। जिसमें पात्र बालिकाओं को 30 जून तक ऑनलाइन आवेदन करना होगा। यहां आपको बता दें कि, इस बार शिक्षा महकमे ने पुरस्कार की पात्रता को लेकर नियमों में कुछ बदलाव किए हैं। जिसमें अब 75 प्रतिशत के स्थान पर 90 या उससे अधिक प्रतिशत अंक हासिल करने वाली बेटियों को ही गार्गी और बालिका प्रोत्साहन पुरस्कार के लिए पात्र माना जाएगा।

गत दो सत्रों में कोविड 19 के चलते 10वीं व 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं नहीं हुई थी। इस बार माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने विगत दो सत्रों में हुई परीक्षाओं के अंकों को शामिल करते हुए 40:20:20:20 के आधार पर परीक्षा परिणाम तैयार किया था। जिसके चलते प्रदेश के सभी जनपदों में 10वीं और 12वीं का परीक्षा परिणाम 99 प्रतिशत के करीब रहा था। 

75 प्रतिशत वाली छात्राओं की संख्या 7 लाख

75 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाली बेटियों की संख्या सात लाख के करीब पहुंच गई है। जिसके चलते सूबे की गहलोत सरकार ने पात्रता का प्रतिशत बढाने का निर्णय लिया है। इसके बाद भी पात्रता के दायरे में करीब डेढ लाख छात्राएं आ रही हैं। पिछली कक्षाओं के अंकों के आधार पर रिजल्ट तैयार करने के चलते छात्राओं की संख्या में 2019-20 के मुकाबले चार गुना इजाफा हुआ है। जिसमें 10वीं बोर्ड में 3.85 लाख और 12वीं में 3.22 लाख छात्राओं को 2020-21 में 75 प्रतिशत या इससे अधिक अंक प्राप्त हुए। अब अगर सरकार पीछे का नियम लागू करती तो बेटियों के पुरस्कार पर सरकार को 240 करोड़ रुपए की जरूरत होती। ऐसे में सरकार ने पात्रता के प्रतिशत में बढ़ोतरी कर करीब 180 करोड़ रुपए बचाए हैं। 

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