- राजभवन घेराव को बीजेपी ने बताया आईपीसी की धारा 124 का उल्लंघन
- कांग्रेस के अंतरविरोध का असर सरकार पर दिखाई दे रहा है।
- अशोक गहलोत ने विधानसभा सत्र बुलाने की मांग की है।
जयपुर: राजस्थान की सियासत में एक तरह से सबकुछ ठीक होने का दावा करने वाली कांग्रेस परेशान है। अशोक गहलोत शुक्रवार को राज्यपाल से मिले थे और विधानसभा सत्र बुलाने की मांग की। लेकिन राज्यपाल कलराज मिश्रा ने कहा कि विमर्श के बाद वो फैसला करेंगे। इसके साथ ही राजभवन में कांग्रेस के विधायकों ने धरना दिया और नारेबाजी भी की। अब बीजेपी इसमें राजद्रोह का एंगल तलाश रही है। बीजेपी के नेता राज्यपाल से मिले और कहा कि राज्य में अराजकता का माहौल है इसके साथ ही यह भी कहा कि राजभवन के घेराव की धमकी धारा 124 का सीधा तौर पर उल्लंघन है।
बीजेपी ने राज्यपाल से की मुलाकात
राजस्थान बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पुनिया के नेत्त्व में प्रतिवनिधिमंडल ने राज्यपाल कलराज मिश्रा से मुलाकात की। इस मुलाकात में बताया गया कि किस तरह से अशोर गहलोत सरकार सत्ता में बने रहने के लिए संविधान को बलि पर चढ़ा रही है। यही नहीं एक तरह से चुनी हुई सरकार राज्यपाल को धमकी दे रही है। किसी पार्टी और किसी सरकार के मुखिया द्वारा राजभवन की घेराव की बात कहना संवैधानिक संस्था का अपमान है। बीजेपी ने कांग्रेस शनिवार को जिला मुख्यालयों पर कांग्रेस द्वारा किए गए धरने प्रदर्शन के मकसद पर भी सवाल उठाया।
आईपीसी की धारा 124 का उल्लंघन
इसके साथ ही नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि जिस तरह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 'जनता द्वारा राजभवन को घेरने' की बात कही है वो लोकतंत्र के लिए सही नहीं है। अगर किसी राज्य का मुखिया यह कहता है कि वो राजभवन को सुरक्षा देने में असमर्थ होगा तो वो सीधे सीधे राजभवन को आतंकित रखने की कोशिश है। आईपीसी की धारा 124 का स्पष्ट उल्लंघन है। उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने भी कहा किहा कि कांग्रेस में अंतरविरोध ह और उसका असर सड़क पर दिखाई दे रहा है।