- राजस्थान में लड़कियों को होगी 12वीं तक निशुल्क शिक्षा उपलब्ध
- राज्य सरकार ने शिक्षा के अधिकार का दायरा बढ़ा दिया
- ऐसे बच्चों के लिए 25% सीटें आरक्षित रखनी होगी
Rajasthan RTE: राजस्थान सरकार ने शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत निजी स्कूलों में बालिकाओं को मिलने वाली मुफ्त शिक्षा का 12वीं तक विस्तार करने का फैसला किया है। इससे आगामी शैक्षणिक वर्ष में 20,000 से अधिक लड़कियां स्कूल छोड़ने को मजबूर नहीं होगी। बता दें कि आरटीई के तहत निजी स्कूलों में कक्षा एक से आठवीं तक की बालिकाओं की फीस कवर की जाती है। आठवीं कक्षा के बाद गरीब छात्राओं को या तो सरकारी स्कूलों या कम फीस वाली निजी स्कूलों में शिफ्ट होना पड़ता है। वहीं, अधिकांश छात्राएं फीस का भुगतान करने में असमर्थ होने के कारण आठवीं कक्षा के बाद स्कूल छोड़ देती हैं। इस योजना के तहत शैक्षणिक वर्ष 2022-23 में 18 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
जिसके तहत करीब 18 हजार बालिकाओं को अधिकतम 10,500 रुपये प्रति माह फीस के तौर पर दिए जाएंगे। यह राशि महिला उद्यमियों को वित्तीय सहायता प्रदान करने और कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए इंदिरा महिला शक्ति उद्यम प्रोत्साहन योजना कार्यक्रम से ली जाएगी। आरटीई के आदेश के मुताबिक, प्रत्येक पात्र निजी स्कूल को ऐसे बच्चों के लिए 25% सीटें आरक्षित रखनी होगी। राज्य में यह योजना 2012 से प्रभावी है।
इस कोटे के बच्चों का पहला बैच 2020 में कक्षा 8वीं पास किया। उसके बाद कक्षा आठवीं के बाद आगे की पढ़ाई के लिए यह बच्चे कम फीस वाले स्कूलों में शिफ्ट हुए। स्कूलों में स्थानांतरित होने से इन छात्रों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा और उनकी पढ़ाई को बाधित हुई।
9वीं के बाद से आरटीई कोटा नहीं मिलने से परेशान
जगतपुरा के एक एलीट स्कूल में आठवीं कक्षा की आरटीई कोटे की छात्रा श्रुति सुमन की रातों की नींद उड़ी हुई है। उसे स्कूल से जानकारी मिली कि कक्षा 9वीं के बाद से आरटीई कोटा नहीं मिलेगा। उसे अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए अप्रैल में फीस जमा करनी होगी। सुमन के टीचर अंजना शर्मा ने कहा, "एक बार अधिसूचना आने के बाद, मैं सुमन को सूचित करूंगी कि वह चिंता न करें और उसी स्कूल में अपने दोस्तों के साथ अध्ययन जारी रखें। पिछले साल आरटीई कवर के अभाव में सभी आठ छात्रों को स्कूल छोड़ना पड़ा था"
10,000 छात्र आठवीं कक्षा के बाद शिक्षा जारी रखने में रही सक्षम
एनआईसी के आंकड़ों के अनुसार, पहले आरटीई सत्र 2012 में कोटा के तहत राज्य भर के निजी स्कूलों में 1.01 छात्रों को प्रवेश दिया गया था। जिसमें से केवल 10,000 छात्र आठवीं कक्षा के बाद अपनी शिक्षा जारी रखने में सक्षम रही। उनमें से अधिकांश ने कक्षा आठवीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी। आरटीई बच्चों के लिए काम करने वाले अभ्युत्थानम सोसायटी के प्रांजल सिंह ने कहा, "डेटा को आधार कार्ड और डीआईएसई कोड के माध्यम से आरटीई कोटा के छात्रों की मैपिंग करके तैयार किया गया है।" उन्होंने कहा कि सरकार को लड़कों के बारे में भी सोचना चाहिए और उन्हें फीस कवर प्रदान करना चाहिए।