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Rajasthan: यहां जमीन के पानी से बनता है नमक, देश में है इकलौती जगह, जानिए खासियत

Updated Sep 19, 2022 | 14:17 IST

Rajasthan: ताल छापर कस्बे की पहचान यहां बनने वाला नमक है। देश में संभवतया एकमात्र जगह है जहां जमीन से निकलने वाले पानी से नमक का उत्पादन होता है। कभी 10 हजार मजदूरों में मुंह में निवाला देने वाला ये उद्योग सरकारी गलत नीतियों का शिकार होकर दम तोड़ चुका है।

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'ताल छापर' देश में एकमात्र जगह जहां भूमिगत जल से बनता है नमक
मुख्य बातें
  • देश में एकमात्र जगह जहां भूमिगत जल से नमक बनता है
  • भरपूर मैग्नीशियम पाया जाता है इस नमक में
  • कभी 2 हजार एकड़ में सालाना 8 लाख टन नमक बनता था

Rajasthan News: रेगिस्तान में बसे चूरू जिले के ताल छापर कस्बे की पहचान काले हिरणों की शरण स्थली के अलावा भी एक और है और वो है यहां बनने वाला नमक। दावा किया जाता रहा है कि देश में संभवतया एकमात्र जगह है जहां जमीन से निकलने वाले पानी से नमक का उत्पादन होता है। समय बदला तो व्यवस्थाएं और सरकारी रवायतेें बदलीं, नियम बदले, कभी 10 हजार मजदूरों में मुंह में निवाला देने वाला ये उद्योग सरकारी गलत नीतियों का शिकार होकर दम तोड़ चुका है।

क्षेत्र के लोग कहते हैं कि देशभर में इस जगह के नमक को बोलबाला था। इलाके के मजदूर व नमक उद्योग से जुड़े लोग कथित तौर पर आरोप लगाते हैं कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों को बढ़ावा देने के चलते सरकार ने नियमों में बदलाव कर यहां के उद्योग की कमर तोड़ दी। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि सैकड़ों गांवों व दर्जनों शहरों के लोगों को शुद्ध नमक खाने के लिए मिलता था, मैग्निशियम से भरपूर इस नमक से शरीर में लौह तत्व की पूर्ति होती थी। 

छह दशकों से हो रहा था नमक का उत्पादन

नमक उद्योग से जुड़े कारोबारी देवेन्द्र कुंड़लिया बताते हैं कि वर्ष 1960 में यहां नमक का उत्पादन शुरू हुआ था। उस समय यह क्षेत्र वन विभाग के अधीन था। बाद में साल 1962 में सरकार ने अपने गजट नोटिफिकेशन में इसे उद्योग क्षेत्र घोषित कर नमक विभाग के अधीन कर दिया। उस समय यहां 2 हजार एकड़ में 40 इकाइयां कार्यरत थीं। सालाना करीब 8 लाख टन नमक का उत्पादन होता था व 10 हजार मजदूरों के परिवार का पेट पलता था। उन्होंने बताया की वर्ष 2010 में सरकार ने 1300 एकड़ जमीन का पुन: अधिग्रहण कर इसे वन विभाग को दे दिया। अब यहां 700 एकड़ में 15 इकाइयां 3 लाख टन नमक का सालाना उत्पादन कर रही हैं और महज 600 मजदूर यहां काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि नमक उत्पादन से सेस की राशि के रूप में केन्द्र सरकार को राजस्व मिलता था। बाद में वर्ष 2014 में इसे सेस व जीएसटी से मुक्त कर दिया गया।

खासियत लंबे समय तक नमी रहती है नमक में

ताल छापर में बनने वाले इस नमक की खासियत ये भी है कि इसमें मैग्नीशियम की मात्रा अधिक है, जिससे लंबे समय तक इसमें नमी बनी रहती है। इसी वजह से इसे पशु आहार सहित केमिकल बनाने व पानीपत में कपड़ों की डाईंग के काम में इसे प्रमुखता से पसंद किया जाता है। फ्री फलो व आयोडीन युक्त नमक की नीति बनने के बाद इस नमक की मांग कम हो गई। क्योंकि इसमें मैग्नीशियम होने के चलते आयोडीन नहीं मिलाया जा सकता। जिससे अब यह नमक महज हरियाणा ही जाता है। इससे पहले नार्थ ईस्ट के सभी राज्यों सहित यूपी, बंगाल, बिहार व दिल्ली में इसकी बहुत मांग थी।

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