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आईआईटी कानपुर की नई पहल, अब डिवाइस बताएगा खत्म होने वाली है ग्लूकोज की बोतल, मोबाइल पर मिलेंगे संकेत

IIT Kanpur
Updated Jul 15, 2022 | 15:32 IST

IIT Kanpur: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर ने नया डिवाइस बनाया है, इस डिवाइस से डॉक्टरों या मेडिकल स्टाफ को काफी राहत मिलेगी। मरीजों को ग्लूकोज चढ़ाने के बाद बार-बार उसकी निगरानी नहीं करनी पड़ेगी।

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तस्वीर साभार:&nbspANI
कानपुर आईआईटी ने विकसित किया आईवी बॉटल डिटेक्टर डिवाइस
मुख्य बातें
  • आईआईटी कानपुर ने बनाया नया डिवाइस
  • डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ को मिलेगी राहत
  • डिवाइस का आईआईटी में बने अस्पताल में होगा परीक्षण

IIT Kanpur: आईआईटी कानपुर ने नई पहल की है। अब मरीजों को ग्लूकोज चढ़ाने के बाद बार-बार उसकी निगरानी नहीं करनी पड़ेगी। आईआईटी द्वारा बनाई गई डिवाइस से डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ को काफी राहत मिलने वाली है। दरअसल, आईआईटी ने आईवी बॉटल डिटेक्टर नाम से एक डिवाइस विकसित किया है। यह डिवाइस पहले ही जानकारी दे देगी कि, बोतल से चढ़ाए जा रहे ग्लूकोज में कोई रुकावट तो नहीं है। इसके अलावा बोतल खाली होने से पहले अलर्ट कर देगी। आपको बता दें कि, जब ग्लूकोज लगाई जाती है तो तीमारदार या मेडिकल स्टाफ सतर्क रहता है।

ऐसे में इस परेशानी को दूर करने के लिए आईआईटी के वैज्ञानिकों ने इस डिवाइस को तैयार किया है। डिवाइस में स्मार्ट इलेक्ट्रॉनिक लेबल, एक रीडर और मोबाइल एप शामिल किया गया है। यह डिवाइस एप की मदद से मोबाइल पर पहले ही अलर्ट कर देगी।

आईआईटी में बने अस्पताल में जल्द होगा परीक्षण

वैज्ञानिकों ने डिवाइस का पेटेंट करा लिया है। आईआईटी के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर बाकर मजहरी, प्रिंट ग्रुप के प्रो. वाईएन मोहपात्रा, रिसर्च इस्टेबलिशमेंट ऑफिसर विश्वनाथ पांडा, नेशनल सेंटर फॉर फ्लेक्सिबल इलेक्ट्रॉनिक्स सेंटर के कोआर्डिनेटर प्रो. एस सुंदर कुमार ने यह डिवाइस बनाया है। विश्वनाथ ने बताया कि, आईवी बॉटल डिटेक्टर डिवाइस का प्रोटोटाइप तैयार कर लिया गया है, आईआईटी में बने अस्पताल में जल्द इसका परीक्षण होगा। उन्होंने बताया कि, स्मार्ट इलेक्ट्रॉनिक लेबल काफी सस्ता है। रोल टू रोल मशीन इलेक्ट्रॉनिक स्ट्रक्चर पर यह काम करता है। इस वजह से स्मार्ट लेबल को एक बार में कम लागत पर ज्यादा संख्या में प्रिंट किया जा सकता है।

डिवाइस ऐसे करेगा काम

स्मार्ट इलेक्ट्रॉनिक लेबल को अस्पताल प्रशासन ग्लूकोज की बोतल में लगाएगा। मेडिकल स्टाफ द्वारा मरीज को लगाने से पहले ही स्कैन कर लिया जाएगा। पहले से ही बोतल के स्टैंड पर रीडर लगा होगा, इस रीडर की मदद से सारा अपडेट स्टाफ के मोबाइल पर मिलता रहेगा। विश्वनाथ पांडा के अनुसार, डिवाइस की कीमत काफी कम रखेंगे। डिवाइस से अस्पताल या मरीज पर कोई अतिरिक्त भार नहीं पड़ेगा। यह इलेक्ट्रॉनिक रीडर काफी हल्का और बैटरी से चलेगा। 2 एएए बैटरी लगेगी। बैटरी की मदद से 48 घंटे तक यह चल सकेगा। रीडर पर एक बार निवेश करना होगा, स्मार्ट लेबल की कीमत सिर्फ 25 या 50 पैसे पड़ेगी।

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