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Kanpur News: कानपुर में गर्मी में रक्तदान करने वालों की कमी, इन ब्लड बैंकों में बचा है कुछ ही यूनिट खून

Updated Apr 21, 2022 | 19:35 IST

Kanpur News: कानपुर शहर में बल्ड बैंकों में ब्लड की कमी ने सभी की चिंताएं बढ़ा दी हैं। सबसे ज्यादा ब्लड की कमी हैलट बैंक में है। ब्लड बैंक ने सामाजिक संस्थाओं और युवाओं से रक्तदान करने की अपील की है।

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तस्वीर साभार:&nbspANI
कानपुर के बल्ड बैंकों में खून की कमी (प्रतीकात्मक तस्वीर)
मुख्य बातें
  • बढ़ते तापमान में लोग रक्तदान के लिए नहीं निकल रहे
  • नेगेटिव ग्रुप वाले ब्लड की सबसे ज्यादा कमी
  • 80 फीसदी मांग और पूर्ति मेडिकल कॉलेज ब्लड बैंक से होती है

Kanpur News: सूरज की तपिश के कारण कानपुर के ब्लड बैंकों में खून की कमी होने लगी है। लोग घर से बाहर आकर रक्तदान करने में कतरा रहे हैं। जिससे ब्लड बैंक की स्थिती बिगड़ रही है। तापमान बढ़ने के साथ ही एलएलआर अस्पताल और उर्सला के ब्लड बैंक में रक्त की कमी हो गई है। इसकी बड़ी वजह यह है कि भीषण गर्मी के चलते रक्तदान के लिए लोग घरों से नहीं निकल रहे हैं। हैलट के ब्लड बैंक में बुधवार तक 150 यूनिट और उर्सला ब्लड बैंक में 200 यूनिट रक्त ही उपलब्ध था।

इसमें नेगेटिव ग्रुप वाले रक्त की सबसे ज्यादा कमी है। ऐसे में फिलहाल थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चे व बेहद जरूरतमंद मरीजों को ही रक्त दिया जा रहा है। अब ब्लड बैंक ने समाजसेवी संस्थाओं व युवाओं से रक्तदान करने की अपील की है।

भीषण गर्मी बल्ड बैंकों में रक्त की कमी का बड़ा कारण

मेडिकल कॉलेज के ट्रांसफ्यूजन विभाग की नोडल ऑफिसर डॉ. लुबना खान के मुताबिक, कोरोना काल के बाद भीषण गर्मी के चलते ब्लड बैंक में रक्त की कमी देखने को मिल रही है। कैंप नहीं लग पाने और गर्मी अधिक होने के चलते लोग घरों से कम निकल रहे हैं। वहीं, उर्सला ब्लड बैंक के डॉ. एसके मिश्रा ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में 200 के करीब यूनिट रक्त बचा है।

700 यूनिट रक्त का होना चाहिए स्टॉक

हैलट में मौजूदा समय में सिर्फ 150 यूनिट ही रक्त बचा है। सामान्य तौर पर 700 यूनिट रक्त का स्टॉक होना चाहिए। अगस्त से अक्टूबर तक यह स्टॉक 1300 से 1500 तक हो जाता है, तब यहां से दूसरे जरूरतमंद जिलों को आपूर्ति की जाती है।

शहर में हैं 22 बल्ड बैंक

बता दें कि भारत में बी ग्रुप के खून वालों की संख्या सबसे अधिक है। 38.13 फीसदी लोगों का ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव है। किल्लत से लड़ने के लिए शहर में 22 ब्लड बैंकों का ग्रुप बना दिया गया है। ये रक्त की कमी को एक दूसरे से पूरा करने की कोशिश करते हैं। 80 फीसदी मांग और पूर्ति मेडिकल कॉलेज ब्लड बैंक से की जाती है। क्योंकि हर कोई वहीं से ब्लड लेता है। थैलेसीमिया के मरीज भी मेडिकल कॉलेज के बैंक से बल्ड लेते हैं।

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