- विकास दुबे के एनकाउंट के बाद उसकी अकूत संपत्ति पर प्रवर्तन निदेशालय की नजर
- 11 घर, 150 बीघा जमीन, कई प्लॉट सहित अकूत संपत्ति का मालिक था विकास दुबे
- जय बाजपेयी लगाता था विकास के काले धन को ठिकाने
कानपुर: गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद अब जांच एजेंसियों की नजर विकास की काली कमाई पर है और उसकी अकूत संपत्तियों का पता लगाया जा रहा है। प्रवर्तन निदेशालय विकास के करीबियों, परिजनों तथा उसके गुर्गों से जुड़ी संपत्तियों की जांच करने की तैयारी में है। सभी के बैंक खातों तथा संपत्तियों का ब्यौरा जुटाया जा रहा है। ईडी ने इस संबंध में यूपी पुलिस से भी मदद मांगी है।
अकूत संपत्ति
विकास को लेकर कई तरह के खुलासे हो रहे हैं जिसमें पता लगा है कि पिछले तीन से चार साल के दौरान विकास दुबे ने 14 देशों की यात्राएं की थी जिसमें सऊदी अरब से लेकर थाइलैंड, दुबई तक की यात्रा शामिल थी। एनबीटी की खबर के मुताबिक विकास के पास 11 घर और 16 से अधिक बेनामी फ्लैट हैं। यही नहीं विकास ने सऊदी अरब और थाईलैंड में भी पेंटहाउस खरीद रखा था। लखनऊ के आर्यनगर में विकास ने जो बंगला खरीदा था उसकी कीमत 20 करोड़ के लगभग बताई जा रही है।
कहा जाता है कि विकास दुबे की सालाना इनकम 10 करोड़ रुपये तक की थी। बिकरू गांव में विकास दुबे के पास 150 बीघा जमीन भी है। यहीं नहीं यूपी में उसके पास कई प्लॉट भी थे जिनमें से अधिकतर जबरन हथियाए गए थे।
हवाला में लगाया पैसा
विकास के खंजाची कहे जाने वाले कानपुर के जय बाजपेयी ही वो शख्स था जो विकास के काले पैसे को सफेद करने में अहम भूमिका निभाता था। जय ने ही विकास का पैसा हवाला, प्रॉपर्टी तथा अन्य कारोबार में लगाया था। इतना ही नहीं कानपुर के एक व्यवसायी का नाम भी इसमें आ रहा है जिसके बारे में यहां तक कहा जा रहा है कि वो विकास को हर साल एक गाड़ी गिफ्ट में देता था। इस गठजोड़ में कई पुलिस अधिकारी और नेता भी शामिल बताए जा रहे हैं।
घर होगा सील
इससे पहले बिकरू गांव में स्थित विकास के किलेनुमा घर को प्रशासन ने बुल्डोजर चलाकर ढहा दिया था। इतना ही नहीं विकास की लग्जरी गाड़ियों पर भी बुल्डोजर चलवा दिया था। आपको बता दें कि लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) ने विकास दुबे के लखनऊ के कृष्णा नगर इलाके की इंद्रलोक कॉलोनी में बने घर को सील करने का फैसला किया है। एलडीए के उपाध्यक्ष शिवा कांत द्विवेदी ने कहा, परिवार द्वारा दस्तावेज जमा नहीं करने के बाद यह निर्णय लिया गया है। एलडीए रिकॉर्ड में लेआउट प्लान की कॉपी में बेसमेंट नहीं है, जबकि टीम के निरीक्षण के दौरान बेसमेंट मिला है।