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भगत सिंह ने जेल से लिखा था सुखदेव को ये खत, बताया क्या है प्यार का असली मतलब

Updated Mar 23, 2021 | 11:12 IST

Bhagat Singh Letter to Sukhdev: प्यार के बारे में क्या सोचते थे भगत सिंह। जेल में रहकर सुखदेव को लिखे खत में भगत सिंह ने बताया था प्यार का असली मतलब। जानिए क्या लिखा था भगत सिंह ने....

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Bhagat Singh
मुख्य बातें
  • भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव का आज 90वां शहीदी दिवस है।
  • भगत सिंह के क्रांतिकारी विचार आज भी प्रासंगिक हैं।
  • भगत सिंह ने जेल से लिखे अपने खत में सुखदेव को प्यार का असली मतलब बताया था।

मुंबई. 23 मार्च यानी आज के दिन पूरा देश भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की 90वीं शहीदी दिवस मना रहा है। साल 1931 को लाहौर के सेंट्रल जेल में शाम सात बजे भारत माता के तीनों सपूतों को फांसी पर लटका दिया था। भगत सिंह के क्रांतिकारी विचार आज भी प्रासंगिक हैं। वहीं, भगत सिंह नर्म दिल के भी थे। इसका एक उदाहरण है जेल से लिखा सुखदेव को खत। 

भगत सिंह ने अपने खेत में लिखा- 

'किसी के चरित्र के बारे में बात करते हुए ये सोचना चाहिए क्या प्यार किसी इंसान के लिए मददगार साबित हुआ है। इसका जवाब मैं आज देता हूं।हां वो मेजिनी (इटली के क्रांतिकारी) था। 

तुमने जरूर पढ़ा होगा अपने पहले नाकाम विद्रोह को कुचलने डालने वाली हार का दुख और दिवंगत साथियों की याद ये सब वह बर्दाश नहीं कर पाता। वह पागल हो जाता या फिर खुदखुशी कर लेता, लेकिन प्रेमिका के एक पत्र से वह सबसे अधिक मजबूत हो गया।'

प्यार के नैतिक स्तर का जहां संबंध है तो मैं कह सकता हूं कि ये एक भावना से अधिक कुछ भी नहीं है। ये पशुवृत्ति नहीं बल्कि एक मानवीय भावना है। प्यार सदैव मानव चरित्र को ऊंचा करता है, कभी भी नीचा नहीं दिखाता है। बशर्ते प्यार-प्यार हो।

इन लड़कियों और प्रेमिकाओं को पागल नहीं कहा जा सकता है जैसा हम फिल्मों में देखते हैं। वह सैदव पाश्विक वृत्ति के हाथों में खेलती रहती है। सच्चा प्यार कभी भी पैदा नहीं किया जा सकता ये अपने आप आता है। कब कोई नहीं कह सकता। 

मैं कह सकता हूं कि नौजवान युवक-युवती प्यार कर सकते हैं और प्यार के जरिए अपने आवेगों से ऊपर उठ सकते हैं। अपनी पवित्रता कायम रखे रह सकते हैं। मैं यहां साफ कर देना चाहता हूं कि जब मैंने प्यार को मानवीय कमजोरी कहा था तो ये किसी सामान्य व्यक्ति को लेकर नहीं था।जहां तक कि बौद्धिक स्तर पर सामान्य व्यक्ति होते हैं। 

वह सबसे आदर्श स्थिति होगी जब मनुष्य प्यार, घृणा और सभी भावनाओं पर नियंत्रण पा लेगा। जब मनुष्य कर्म के आधार पर अपना पक्ष अपनाएगा। एक व्यक्ति की दूसरे व्यक्ति से मैंने प्यार की निंदा की है वह भी आदर्श स्थिति होने पर। 

मनुष्य के पास प्यार की एक गहरी भावना होनी चाहिए जो उसे व्यक्ति विशेष तक सीमित नहीं करके सर्वव्यापी बना सके। मेरे विचार से मैंने अपने पक्ष साफ कर दिया है। 

हां मैं एक बात तुमसे जरूर कहूंगा  क्रांतिकारी विचारों के नैतिकता संबंधित सभी विचारों के सामाजिक धारणा को नहीं आपना सके। इस कमजोरी को बहुत सरलता से छिपाया जा सकता है पर वास्तविक जीवन में हम तुरंत थर-थर कांपना शुरू कर देते हैं।

मैं तुमसे अर्ज करुंगा कि ये कमजोरी त्याग दो। बिना गलत भावना लाए अत्यंत नम्रतापूर्वक क्या मैं तुमसे आग्रह कर सकता हूं कि तुम्हारे अंदर जो अति आदर्शवाद है उसे थोड़ा सा कम कर दो। 

जो पीछे रहेंगे या मेरी जैसी बीमारी का शिकार होंगे उनसे बेरुखी मत करना। झिड़ककर उनके दुख दर्द को न बढ़ाना क्योंकि उन्हें तुम्हारी हमदर्दी की जरूरत है। क्या मैं तुमसे ये आशा रखूं किसी विशेष व्यक्ति के प्रति खुंदक रखने के बजाए हमदर्दी रखोगे। उन्हें इसकी बहुत जरूरत है। 

तुम तब तक इन बातों को नहीं समझ सकते जब तक खुद इस चीज का शिकार न हो जाओ। लेकिन, मैं यहां ये सब कुछ क्यों लिख रहा हूं। दरअसल मैं अपनी बातें साफ तौर पर कहना चाहता हूं, मैंने अपना दिल खोल दिया है।' 

तुम्हारा 
भगत सिंह