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Madhya Pradesh Tourism: मध्यप्रदेश में घूमने के 5 किले जिन्हें कहा जाता है विश्व की धरोहर, इनको देखना ना भूलें

Updated Jan 08, 2021 | 14:16 IST

Madhya Pradesh 5 Fort: आप मध्यप्रदेश में घूमने की योजना बना रहे हैं, तो मध्यप्रदेश के इन पांच किलों को देखना ना भूलें। यह ना केवल राजस्थान की शान कहे जाते हैं बल्कि इन्हें विश्व का धरोहर भी कहा जाता है...

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मुख्य बातें
  • मध्य प्रदेश के इन किलों को कहा जाता है भारत की शान
  • 100 मीटर से अधिक लंबे इस शानदार महल को कहा जाता है जहाज महल
  • यहां की सुंदर कलाकृतियों पर डालते हैं जिसे विश्व की धरोहर कहा जाता है। 

भारत की शान और दिल की धड़कन कहे जाने वाला मध्य प्रदेश अपनी समृद्ध संस्कृति और इतिहास के लिए जाना जाता है। यह भारत के सांस्कृतिक खजाने का हिस्सा है। इस राज्य की भौगोलिक स्थिति, प्राकृतिक सुंदरता और यहां की सांस्कृतिक विरासत पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। यह भारत के सर्वश्रेष्ठ पर्यटन स्थलों में से एक है। आइए एक नजर यहां की सुंदर कलाकृतियों पर डालते हैं जिसे विश्व की धरोहर कहा जाता है। 

ग्वालियर किला
ग्वालियर शहर के गोपांचल नामक छोटी पहाड़ी पर स्थित यह किला मध्य प्रदेश की शान कहा जाता है। इस किले का निर्माण 8 वीं शताब्दी में हुआ था। यह किला 3 वर्ग किलोमीटर मीटर में फैला हुआ है। इसकी ऊंचाई लगभग 35 फीट है। इस किले में कई स्मारक और महल जैसे गूजरी महल, मानसिंह महल, जहांगीर महल, करण महल, बुद्ध मंदिर, जैन मंदिर और शाहजहां महल मौजूद हैं। इसके साथ ही इस किले में एक तलाब भी है, जिसे लेकर लोगों का मानना है कि इस तलाब का पानी पीने से लोगों के सभी रोग दूर हो जाते हैं। आपको बता दें लाल बलुए पत्थर से निर्मित यह किला देश के सबसे बड़े किलों में से एक है औऱ भारतीय इतिहास में इसका एक महत्वपूर्ण स्थान है।

जहांगीर महल
ओरछा किला परिसर में बीर सिंह देव द्वारा 16 वीं शताब्दी में निर्मित जहांगीर महल ओरछा की प्रमुख संरचना में से एक है। लोककथाओं के अनुसार इसका निर्माण मुगलकाल के दौरान जहांगीर के स्वागत के लिए महाराजा द्वारा करवाया गया था। जो एक दिन के लिए महाराजा के मेहमान के रूप में रुके थे। महल की छत से बेतवां नदी का मनोरम दृश्य दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इस महल में तीन मंजिला इमारत है और इसके मुख्य द्वार पर झुके हुए हांथी बने हुए हैं। साथ ही इस महल में बनी सुंदर कलाकृतियां और नक्काशी देखने लायक है।

महेश्वर किला
महेश्वर किले को अहिल्या किले के नाम से भी जाना जाता है। जो नर्मदा नदी की ओर पहाड़ी पर स्थित है। कहा जाता है कि इस किले पर महाराजा मल्हार राव होल्कर ने शासन किया था। लेकिन बाद में बेटे के निधन हो जाने के बाद उन्होंने अपनी बेटी अहिल्या बाई होल्कर को इसकी जिम्मेदारी सौंप दी थी। इसके बाद उनकी बेटी अहिल्या ने शानदार किले और घाटों का निर्माण करवाया। महेश्वर घाट को प्रकृतिक सुंदरता का धरोहर भी कहा जाता है। नर्मदा घाटी के किनारे बने इसके घाट इस किले की भव्यता को उजार करते हैं। इस किले की शानदार बनावट और सीढ़ीयों की रंगीनता दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित करती है।

जहाज महल
जहाज महल की वास्तुकला रानी रूपमती और बाज बहादुर के शाही रोमांस को दर्शाता है। यह महल दो झीलों कापुर तालाब और मंजु तालाब के बीच बना हुआ है। इसका निर्माण 15वीं शताब्दी में हुआ था। 100 मीटर से ज्यादा लंबी इस इमारत को दूर से देखने पर ऐसा आभास होता है कि मानो तालाब के बीच कोई विशालकाय जहाज लंगर डाले खड़ा है। इसलिए इसे जहाज महल कहा जाता है। जो दिखने में जहाज के जैसा शानदार दिखता है। इस महल का निर्माण खिजली राजवंश के घिया-उद्दीन-खिजली के द्वारा करवाया गया था। इस महल में कई कैनॉल और फव्वारे हैं जो इस महल की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं।

असीरगढ़ किला, बुहरानपुर
असीरगढ़ किला भारत की खास संरचनाओं में से एक है, जो सतपुड़ा की पहाड़ियों पर स्थित है। समुद्रतल से लगभग 250 फुट की ऊंचाई पर स्थित यह किला आज भी अपनी वैभवशाली इतिहास को बयां करता है। ऐसा कहा जाता है कि इस किले के अंदर एक जलाशय है जो भीषण गर्मी के बावजूद भी कभी सूखता नहीं है। यहां के लोगों का मानना है कि भगवान कृष्ण के श्राप का शिकार अश्वत्थामा यहां स्नान करने के बाद पास में स्थित भगवान शिव के मंदिर में पूजा करने के लिए जाते हैं। भगवान शिव का मंदिर तालाब से थोड़ी दूर गुप्तेश्वर के नाम से प्रसिद्ध है। मंदिर के तारों और गहरी खाइयां हैं, जिसको लेकर मान्यता है कि इन खाइयों में से एक गुप्त रास्ता है, जो मंदिर से जुड़ा है।