- निदा फाजली को लोगों ने खूब प्यार दिया और अपने दिलों में बिठाया।
- शायर निदा फाजली का आज (12 अक्टूबर) को जन्मदिन है।
- आज ही के दिन साल 1938 में ग्वालियर में उनका जन्म हुआ था।
Nida Fazli Birthday: उर्दू और हिन्दी के अजीम शायर निदा फाजली का आज (12 अक्टूबर) को जन्मदिन है। आज ही के दिन साल 1938 में ग्वालियर में उनका जन्म हुआ था। निदा फाजली के शेर और गजल आज भी लोग गुनगुनाते हैं। उनका नाम हिंदुस्तान के शीर्ष शायरों में लिया जाता है। उन्होंने हिंदी फिल्मों के लिए गीत भी लिखे। सबसे पहले उन्होंने फिल्म रजिया सुल्तान के लिए गाने लिखे। ये दोनों गीत थे- तेरा हिज्र मेरा नसीब है, तेरा गम मेरी हयात है एवं आई ज़ंजीर की झन्कार, ख़ुदा ख़ैर कर।
निदा फाजली को लोगों ने खूब प्यार दिया और अपने दिलों में बिठाया। उन्हें साहित्य अकादमी से लेकर कई राज्यों की हिंदी और ऊर्दू अकादमी के पुरस्कार मिले। साल 2003 में उन्होंने भारत सरकार ने पद्मश्री से नवाजा। 8 फरवरी 2016 को मुंबई में उनका निधन हो गया था।
निदा फाजली के बेहतरीन शेर/Nida Fazli Best Sher-
घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूं कर लें
किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाए।
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बच्चों के छोटे हाथों को चाँद सितारे छूने दो
चार किताबें पढ़ कर ये भी हम जैसे हो जाएँगे
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धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो
ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो
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ये काटे से नहीं कटते ये बाँटे से नहीं बटते
नदी के पानियों के सामने आरी कटारी क्या
ये शहर है कि नुमाइश लगी हुई है कोई
जो आदमी भी मिला बन के इश्तिहार मिला
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दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है
मिल जाए तो मिट्टी है खो जाए तो सोना है
नक़्शा उठा के कोई नया शहर ढूँढिए
इस शहर में तो सब से मुलाक़ात हो गई
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हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमी
जिस को भी देखना हो कई बार देखना
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कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता
कहीं ज़मीन कहीं आसमाँ नहीं मिलता
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किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं
तुम अपने आप को ख़ुद ही बदल सको तो चलो
कुछ लोग यूँही शहर में हम से भी ख़फ़ा हैं
हर एक से अपनी भी तबीअ'त नहीं मिलती
साभार- रेख्ता