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Daughter's Day: डॉटर्स डे पर करें जेंडर इक्वलिटी की शुरुआत, पुरुषों से 10 गुना ज्यादा काम करती हैं महिलाएं

Updated Sep 24, 2022 | 06:34 IST

International Daughters Day 2022: इंटरनेशनल डॉटर्स डे हर साल सितंबर के महीने की आखिरी रविवार को मनाया जाता है। यह दिन हर बेटियों को समर्पित होता है। इस दिन को खास बनाने के लिए नई शुरुआत करें। बेटा बेटी में छोटी-छोटी बातों पर भेदभाव न करें।

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बेटी दिवस पर जेंडर इक्वलिटी
मुख्य बातें
  • जेंडर इक्वलिटी का मतलब होता है समाज में महिलाओं और पुरुष को समान अधिकार मिलना
  • जन्म से लेकर मौत तक, शिक्षा से लेकर रोजगार तक जेंडर इनिक्वालिटी नजर आती हैं
  • जन्म से लेकर मौत तक, शिक्षा से लेकर रोजगार तक जेंडर इनिक्वालिटी नजर आती हैं

Gender Equality On Daughters Day 2022: जेंडर इक्वलिटी शब्द तो आपने कई बार सुना होगा। जेंडर इक्वलिटी का मतलब होता है समाज में महिलाओं और पुरुष को समान अधिकार मिलना। उनके बीच किसी भी तरह का कोई मतभेद न होना, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण हमारे समाज में ऐसा अभी भी मुमकिन नहीं है। हमारा समाज इसके विपरीत है। जन्म से लेकर मौत तक, शिक्षा से लेकर रोजगार तक जेंडर इनिक्वालिटी नजर आती हैं। जेंडर इक्वलिटी की बात तो हर कोई करता है, लेकिन परिणाम विपरीत ही मिलते हैं। देश की बेटियां हर क्षेत्र में मुकाम हासिल कर रही है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि आज भी घरों में बात बात पर 'यह काम लड़कियों का है, यह काम लड़के थोड़ी ना करेंगे' जैसी बातें होती रहती हैं। लड़का लड़की की समानता की बात करने वाले समाज में बदलाव कैसे आएगा, जब घर वालों की सोच में बदलाव नहीं आ पाया है। जिस घर में बेटा बेटी दोनों होते हैं उस घर में इस तरह के भेदभाव का दिखना समान्य बात है। अगर आप सही मामले में अपनी बेटी के प्रति रिस्पांसिबल हैं तो इस डॉटर डे पर अपने घर से ही जेंडर इक्वलिटी की शुरुआत करें।

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पुरुष से ज्यादा समझदार हैं महिलाएं

अमेरिकी गायक बियॉन्से नॉलेस का एक लोकप्रिय गीत आपने जरूर सुना होगा 'हू रन द वर्ल्ड गर्ल्स' यहां एक छोटा सा व्याख्यान महिला सशक्तिकरण का पर्याय बन गया है। यही नहीं चाणक्य का एक श्लोक भी आपने सुना होगा 'स्त्रीणां दि्वगुण आहारो बुदि्धस्तासां चतुर्गुणा। साहसं षड्गुणं चैव कामोष्टगुण उच्यते।। ' इसका अर्थ है कि पुरुष की तुलना में महिलाएं बुद्धिमान होती हैं नीति शास्त्र में भी महिलाओं को पुरुष से ज्यादा समझदार और बुद्धिमान बताया गया है। महिलाएं  सभी काम को समझदारी से कर लेती हैं व घर परिवार नौकरी हर पेशे में सर्वोत्तम है। 

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पुरुषों से 10 गुना ज्यादा काम करती हैं महिलाएं

लर्निंग सॉल्यूशंस कंपनी टीमलीज एडटेक की अध्यक्ष और सह-संस्थापक नीति शर्मा ने बीडब्ल्यू बिजनेसवर्ल्ड को बताया कि भारत में महिलाएं घरेलू कामकाजों में 240 मिनट खर्च करती है, जबकि पुरुष केवल 25 मिनट ही ऐसे कामों पर लगाते हैं। पुरुषों का केवल एक-चौथाई हिस्सा ही ऐसे बिना पगार वाले कामकाज करता है, जबकि महिलाओं के मामले में हर पांच में से चार महिलाएं इन कामों में लगी हुई हैं। यानी पुरुषों से महिलाएं 10 गुना ज्यादा काम करती हैं। वहीं पुरुषों की तुलना में महिला कई गुना ज्यादा साहसी भी होती हैं।


भारत में उद्यमिता और महिलाएं

भारत में केवल 20% उद्यम महिलाओं के स्वामित्व वाले हैं (जो कि 22 से 27 मिलियन लोगों को प्रत्यक्ष रोज़गार प्रदान करते हैं) और कोविड-19 महामारी ने महिलाओं उद्यमियों के इस प्रतिशत को ओर अधिक प्रतिकूल रूप से  प्रभावित किया है।

स्टार्टअप्स में महिलाओं का प्रतिनिधित्व

केवल 6% महिलाएंं भारतीय स्टार्टअप्स की संस्थापक हैं। वर्ष 2018-2020 के मध्य कम-से-कम एक महिला सह-संस्थापक वाले स्टार्टअप्स द्वारा केवल 5% फंडिंग ही जुटाई जा सकी और केवल एकमात्र महिला संस्थापकों वाले स्टार्टअप्स कुल निवेशक फंडिंग का केवल 1.43% हिस्सा ही प्राप्त कर सके। वहीं कंप्यूटर, मोटर वाहन, धातु उत्पादों, मशीनरी और उपकरणों से संबंधित उद्योगों में महिलाओं की 2% या उससे भी कम की हिस्सेदारी देखी जाती हैं।