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यूपी में धर्मांतरण: योगी आदित्यनाथ सरकार के तेवर सख्त, आरोपियों पर एनएसए और जायदाद जब्त करने के निर्देश

Updated Jun 22, 2021 | 13:16 IST

यूपी में एक हजार हिंदुओं के धर्मांतरण केस में योगी आदित्यनाथ सरकार ने आरोपियों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून तामील करने के निर्देश दिए हैं।

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धर्मांंतरण मामले में आरोपियों पर एनएसए और जायदाद जब्त करने के यूपी सरकार ने दिए निर्देश
मुख्य बातें
  • यूपी में हिंदुओं के धर्मांतरण का मामला, आरोपियों पर एनएसए लगाने के निर्देश
  • आरोपियों की संपत्ति को भी जब्त करने के आदेश
  • जांच एजेंसी की इस मुद्दे पर गहराई से जांच करने के लिए कहा गया।

यूपी एटीएस ने एक ऐसे गैंग का भांडाफोड़ किया जो एक हजार से अधिक हिंदुओं के जबरन धर्मांतरण के लिए जिम्मेदार है। अब इस संबंध में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने जांच एजेंसियों को गहराई से जांच करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही जो लोग इसमें शामिल हैं उनके ऊपर एनएसए यानी राष्ट्रीय सुरक्षा कानून तामील करने के निर्देश दिये हैं। इसके अलावा उनकी जायदाद भी जब्त की जाएगी।

बलात धर्मपरिवर्तन का मामला आया सामने

​पुलिस अधिकारी ने बताया कि आरोपी विशेष रूप से सुनने और बोलने में असमर्थ बच्चों एवं महिलाओं को इस्लाम धर्म में परिवर्तित करा रहे थे। ये महिलाओं की शादी मुस्लिम युवकों से करा रहे थे ताकि वे दोबारा अपने मूल धर्म में नहीं लौट सकें। जबरन धर्म परिवर्तन की इन्होंने एक पूरा नेटवर्क एवं व्यवस्था बनाया था। ये लोगों को धर्मपरिवर्तन कराने के लिए अपने जामिया नगर स्थित इस्लामिक दावा सेंटर लेकर जाते थे। लोगों का धर्म परिवर्तित कराने के लिए इन लोगों को विदेशों से फंड उपलब्ध कराया जाता था।

इन लोगों की हुई थी गिरफ्तारी
लखनऊ के एटीएस पुलिस स्टेशन में मामले में प्राथमिकी दर्ज करने के बाद उत्तर प्रदेश के आतंकवाद निरोधी दस्ते ने गिरफ्तारियां की।अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने गिरफ्तार आरोपियों की पहचान मुफ्ती काजी जहांगीर आलम कासमी और मोहम्मद उमर गौतम के रूप में की है। दोनों नई दिल्ली के जामिया नगर के निवासी हैं।एडीजी ने कहा कि गौतम, जो खुद हिंदू धर्म से इस्लाम में परिवर्तित हो गया। उसने पुलिस पर कम से कम 1,000 लोगों को इस्लाम में परिवर्तित करने, उन्हें शादी, पैसे और नौकरी का लालच देने का दावा किया था।

एडीजी ने कहा कि वे जिस संगठन को चलाते थे, वह 'इस्लामिक दावाह सेंटर' है, जिसकी पहुंच पाकिस्तान की आईएसआई और अन्य विदेशी एजेंसियों तक है।उन्होंने आगे कहा कि एटीएस खुफिया सूचनाओं पर काम कर रही थी कि कुछ लोगों को आईएसआई और अन्य विदेशी एजेंसियों से गरीब लोगों को इस्लाम में परिवर्तित करने और समाज में सांप्रदायिक दुश्मनी फैलाने के लिए धन मिल रहा था।एटीएस जांच के परिणामस्वरूप दोनों की गिरफ्तारी हुई है और उन पर भारतीय दंड संहिता और उत्तर प्रदेश के कड़े धर्मांतरण विरोधी कानून सहित विभिन्न आरोपों में मामला दर्ज किया गया है।एडीजी ने कहा कि गिरफ्तार आरोपियों को अदालत में पेश किया जाएगा और पुलिस मामले की आगे की जांच के लिए उनकी हिरासत की मांग करेगी।

विपक्ष को सांप्रदायिक राजनीति की बू
यूपी सरकार ने साफ किया कि हर धर्म के लोगों को अपनी बात कहने और रखने का अधिकार है। लेकिन बलात अगर धर्मपरिवर्तन का मामला सामना आता है तो सरकार कार्रवाई करेगी। हालांकि विपक्ष इसे सिर्फ बड़े मुद्दों से ध्यान हटाने की कवायद बता रहा है। विपक्ष का कहना है कि जैसे जैसे चुनाव नजदीक आते हैं बीजेपी की तरफ से सांप्रदायिक राजनीति शुरू की जाती है। लेकिन काठ की हांडी बार बार नहीं चढ़ती है। यूपी की जनता अब समझदार हो चुकी है।

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