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Louis Khurshid: वित्तीय धोखाधड़ी केस में सलमान खुर्शीद की पत्नी लुई के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी 

Updated Jul 21, 2021 | 09:48 IST

लुई खुर्शीद के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी हुआ है। लुई जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट चलाती हैं। ट्रस्ट पर वित्तीय अनियमितता करने का आरोप है। लुई पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद की पत्नी हैं।

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तस्वीर साभार:&nbspANI
कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद की पत्नी हैं लुई।
मुख्य बातें
  • जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट चलाती हैं सलमान खुर्शीद की पत्नी लुई
  • आरोप है कि मिलीभगत कर केंद्र से मिले अनुदान का हेर-फेर किया गया
  • साल 2010 का है मामला, उस समय खुर्शीद यूपीए सरकार में मंत्री थे

लखनऊ : फत्तेहगढ़ की सीजेएम कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद की पत्नी लुई खुर्शीद के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया है। पूर्वी केंद्रीय मंत्री की पत्नी के खिलाफ यह वारंट जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट केस में जारी हुआ है। लुई के ट्रस्ट पर वित्तीय अनियमितता करने का आरोप है। ट्रस्ट पर आरोप है कि केंद्र से मिले अनुदान में उसने हेरफेर की। इस ट्रस्ट को लुई खुर्शीद चलाती हैं। वित्तीय अनियमितता का यह मामला साल 2010 का है। ट्रस्ट पर आरोप है कि उसने केंद्र सरकार से 71 लाख रुपए प्राप्त किए लेकिन इसका सही लेखा-जोखा उसके पास नहीं है। 

दिव्यांग लोगों की मदद के लिए मिला था अनुदान
मार्च 2010 में डॉक्टर जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट को उत्तर प्रदेश के 17 जिलों में दिव्यांग लोगों को व्हीलचेयर, ट्राई साइकिल और सुनने के यंत्र वितरित करने के लिए तत्कालीन केंद्र सरकार से 71 लाख 50 हजार रुपए का अनुदान मिला था। सलमान खुर्शीद 2012 में जब यूपीए सरकार में मंत्री थी उस समय इस ट्रस्ट पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा। हालांकि, खुर्शीद ने इन सभी आरोपों को खारिज किया। आरोप है कि उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों के फर्जी दस्तखत करके और मोहर लगाकर केंद्र सरकार से वह अनुदान हासिल किया गया था।

आर्थिक अपराध शाखा ने की है जांच
आर्थिक अपराध शाखा ने जून 2017 में इस मामले की जांच शुरू की थी और निरीक्षक राम शंकर यादव ने कायमगंज थाने में लुइस खुर्शीद और फारूकी के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। लुईस संबंधित परियोजना की निदेशक थीं। इस मामले में 30 दिसंबर 2019 को आरोप पत्र दाखिल किया गया था। ट्रस्ट ने दावा किया था कि उसने एटा, इटावा, फर्रुखाबाद, कासगंज, मैनपुरी, अलीगढ़, शाहजहांपुर, मेरठ तथा बरेली समेत प्रदेश के एक दर्जन से ज्यादा जिलों में शिविर लगाकर दिव्यांग बच्चों को वे उपकरण बांटे थे। बाद में जांच में पता लगा कि वे शिविर कभी लगाए ही नहीं गए थे।

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