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यूपी में 2022 में बड़ा 'खेल' कर सकते हैं ओवैसी, पंचायत चुनाव के नतीजों में छिपा है संदेश

Updated May 07, 2021 | 12:26 IST

AIMIM in UP Panchayat Polls : बिहार विधानसभा चुनाव में पांच सीटें जीतने के बाद ओवैसी ने बंगाल और यूपी का विस चुनाव लड़ने की घोषणा की थी। पिछले पंचायत चुनाव में एआईएमआईएम एक सीट जीतने में सफल हुई थी।

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तस्वीर साभार:&nbspPTI
यूपी में 2022 में बड़ा 'खेल' कर सकते हैं ओवैसी।

आगरा : बंगाल और तमिलनाडु के विधानसभा चुनावों में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी भले ही कोई सीट न जीत पाए हों लेकिन अगले साल उत्तर प्रदेश में होने वाले विस चुनावों में वह अपने नतीजों से चौंका सकते हैं। दरअसल, यूपी के पंचायत चुनावों में एआईएमआईएम समर्थित 22 उम्मीदवारों ने जिला परिषद का चुनाव जीता है जबकि 50 सीटों पर वे दूसरे स्थान पर रहे हैं। एआईएमआईएम ने पंचायत चुनाव नहीं लड़ा है लेकिन उसके समर्थन से इतनी बड़ी संख्या में उम्मीदवारों का जीतना ओवैसी के उम्मीदों एवं साहस को बढ़ाने वाला है। 

पिछले पंचायत चुनाव में एआईएमआईएम को 1 सीट मिली थी
बिहार विधानसभा चुनाव में पांच सीटें जीतने के बाद ओवैसी ने बंगाल और यूपी का विस चुनाव लड़ने की घोषणा की थी। पिछले पंचायत चुनाव में एआईएमआईएम एक सीट जीतने में सफल हुई थी। लेकिन पंचायत चुनाव के नतीजों से पार्टी का मनोबल काफी बढ़ गया है। अब वह 2022 के चुनावों की तैयारी में जुट गई है। एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली ने कहा, 'पंचायत चुनाव के नतीजे हमें प्रेरित करने वाले हैं। उत्तर प्रदेश के 15 जिलों में एआईएमआईएम द्वारा समर्थित 22 उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है। हमने जिला परिषद के लिए 222 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे।'

एआईएमआईएम का अपने वोट बैंक में वृद्धि का दावा
उन्होंने कहा, 'राज्य के सभी 75 जिलों में हमारे एक्टिव सदस्य हैं। प्रदेश की 18 प्रतिशत मुस्लिम आबादी में हमारा वोट प्रतिशत लगातार बढ़ रहा है।' यूपी पंचायत चुनाव के नतीजों को विधानसभा चुनाव का 'सेमी-फाइनल' माना जा रहा है। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में सत्ताधारी भाजपा को झटका लगा है। वह उम्मीदों के अनुरूप अपना प्रदर्शन नहीं कर पाई है। वहीं, विपक्ष अपने नतीजों से उत्साहित है। चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने अच्छा प्रदर्शन किया है। 

सभी पार्टियों ने अपनी जीत का दावा किया
इस बीच, भाजपा, सपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी तथा अन्य विभिन्न दलों ने पंचायत चुनाव में अपनी जबरदस्त जीत का दावा किया है। सपा प्रवक्ता अनुराग भदौरिया ने दावा किया कि उनकी पार्टी द्वारा समर्थित प्रत्याशियों ने जिला पंचायत सदस्य की 800 से ज्यादा सीटों पर जीत हासिल की है। यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कर्मभूमि गोरखपुर में भी भाजपा को हार का स्वाद चखना पड़ा है। राजधानी लखनऊ में भी भाजपा का यही हश्र हुआ है। सपा ने अयोध्या में भी बेहतरीन प्रदर्शन किया है।’

विपक्ष के पराजय के दावे बेबुनियाद-भाजपा
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी के समर्थित प्रत्याशियों ने जिला पंचायत सदस्य की तीन हजार से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ा और उनमें से ज्यादातर पर जीत हासिल हुई है। पंचायत चुनाव में भाजपा की पराजय के विपक्ष के दावे बेबुनियाद हैं। जिला पंचायत सदस्य की 918 सीटें जीतने के अपने पूर्व के दावे के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा अभी कुछ कहा नहीं जा सकता, हो सकता है कि इसमें कुछ कमी रह जाए।

चार चरणों में हुआ था मतदान
उधर, कांग्रेस ने पंचायत चुनाव में अपने प्रदर्शन को संतोषजनक करार देते हुए दावा किया कि उसके द्वारा समर्थित 270 उम्मीदवारों ने जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीता है। प्रदेश में पंचायत चुनाव के लिए पिछले महीने चार चरणों में मतदान हुआ था। इस दौरान 15, 19, 26 तथा 29 अप्रैल को वोट डाले गए थे और मतगणना का काम दो मई को शुरू हुआ था। इस दौरान 8,69,000 से ज्यादा सीटों पर निर्वाचन हुआ है। इनमें ग्राम पंचायत वार्ड सदस्य की सात लाख 32 हजार से ज्यादा सीटें, ग्राम प्रधानों की 58,176 सीटें, क्षेत्र पंचायत सदस्यों की 75,852 सीटें तथा जिला पंचायत सदस्य की 3,050 सीटें शामिल हैं। इन चुनावों में 12 लाख 89 हजार से ज्यादा प्रत्याशियों ने अपनी किस्मत आजमाई।
 

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