- पांच अगस्त को अयोध्या में पीएम मोदी रखेंगे राम मंदिर की आधारशिला
- लंबे समय से न्यायालय में था राम मंदिर के निमार्ण का मामला
- राम मंदिर के निर्माण के बाद विकास का केंद्र बिंदु होगी अयोध्या
रीना सिंह। बरसों का इंतजार खत्म होने को है और प्रभु श्री राम अयोध्या की भूमि पर पधार रहे हैं। करोड़ों भारतीयों की आस्था के आधार और केंद्र बिंदु भगवान श्री राम के भव्य मंदिर का भूमि पूजन पांच अगस्त को अभिजीत मुहूर्त में दोपहर 12 बजकर 15 मिनट 15 सेकेंड से 12 बजकर 15 मिनट 47 सेकेंड के बीच पूरा होगा। पूरे विश्व में उल्लास है और भारतीय दीपोत्सव मनाने की तैयारी कर रहे हैं, ठीक उसी प्रकार जब भगवान श्रीराम 14 वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या लौटे थे। यूं तो अनुष्ठान 3 अगस्त रक्षा बंधन के दिन से ही शुरू हो जाएंगे, लेकिन 5 अगस्त को मुख्य भूमि पूजन होगा। इस पुनीत कार्य से बरसों से विकास की बाट जोह रही अयोध्या नगरी चर्चा के केंद्र में है। भव्य राम मंदिर का निर्माण इस नगरी ही नहीं, अपितु पूरे पूर्वांचल प्रदेश को विकास की नई दिशा देगा। पर्यटन से लेकर निवेश तक के नए कीर्तिमान स्थापित होंगे।
मंदिर निर्माण के साथ साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या के चरणबद्ध विकास की पूरी योजना तैयार की है। राम मंदिर के निर्माण से अन्तर्राष्ट्रीय पटल पर एक ख़ास पहचान बनेगी, वहीं धार्मिक दृष्टि से देश -विदेश से श्रद्धालुओं का आना होगा। दूसरी ओर यहां रोज़गार के अवसर भी प्रशस्त होंगे। प्रदेश सरकार ने अयोध्या में भगवान राम के नाम पर एक नया हवाई अड्डा और भगवान राम के पिता राजा दशरथ के नाम पर जिले में एक मेडिकल कॉलेज की स्थापना की है। योगी सरकार ने पूर्वांचल के विकास तथा क्षेत्र को विकसित ज़िलों के सामान बनाने के लिए राजकोष के दरवाज़े खोल दिए हैं। एक तरफ 22500 करोड़ की लागत से पूर्वांचल एक्सप्रेसवे बन रहा है, वहीं अयोध्या में नयी सड़कों का निर्माण कार्य भी जोरों से चल रहा है।
योगी सरकार ने अयोध्या से जुड़े राज्यमार्गों एवं सड़कों के लिए 300 करोड़ से ज़्यादा की राशि का प्लान विकसित किया है, वहीं सरयू नदी के तट पर हरिश्चंद्र उदया बांध के पुनरोद्धार के लिए 39.63 करोड़ की परियोजना का प्लान है। अयोध्या की आवासीय समस्या के समाधान के लिए लखनऊ-गोरखपुर राजमार्ग पर शहवाजपुर के आस-पास 600 एकड़ भूमि पर टाउनशिप विकसित होगी। अयोध्या आने वाले दर्शनार्थियों को नगर के अंदर इलेक्ट्रिक कार्ट के माध्यम से यातायात की सुविधा उपलब्ध कराए जाने की योजना है। वहीं यातायात के सुगम संचालन के लिए सेतु निर्माण के लिए सरकार ने 275 करोड़ से ज़्यादा की राशि आवंटित की है। योगी सरकार ने सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए लगभग 363 करोड़ की योजना बनाई है। विभिन्न दिशाओं से अयोध्या पहुंचने वाले दर्शनार्थियों की सुविधा के लिए सड़क का प्रभावी नेटवर्क भी तैयार किया जा रहा है। ऐसा लगता है जैसे राम मंदिर बनने पर भगवान राम स्वयं पधारेंगे और अयोध्या नगरी को विकसित करेंगे।
बता दें कि 1949 में गोरक्षपीठ के महंत श्री दिग्विजयनाथ ने राम जन्म भूमि मुद्दे को पुनर्जीवित किया जिसने भारत की राजनीति को सदा के लिए परिवर्तित कर दिया। गोरखनाथ मठ की तीन पीढ़ियां राम मंदिर आंदोलन से जुड़ी रही हैं। महंत श्री दिग्विजयनाथ ने राम मंदिर के आंदोलन को शुरू किया जिसे महंत अवैद्यनाथ ने आगे बढ़ाया और आज उनके शिष्य योगी आदित्यनाथ प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में राम मंदिर का निर्माण करा रहे हैं। मुग़ल काल से राम की नगरी अयोध्या फैज़ाबाद हो गयी थी। मुग़ल शासन खत्म हुए सदियां बीत गयीं, तब भी योगी आदित्यनाथ के सिवाय किसी भी मुख्यमंत्री ने लोगों की भावनाओं को समझने का प्रयास नहीं किया। सीएम योगी आदित्यनाथ ने फैजाबाद जिले का नाम बदलकर अयोध्या किया और साथ ही नारा दिया “अयोध्या हमारी 'आन, बान और शान का प्रतीक है।”
श्री राम मंदिर के निर्माण के लिये सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद ‘श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’नाम से ट्रस्ट का गठन किया गया है। ट्रस्ट के गठन का मुख्य उद्देश्य मंदिर निर्माण एवं निर्माण के पश्चात मंदिर की देखरेख करना है। सत्ता के जिस लोभ ने बरसों तक राम जन्मभूमि को विवादित रखा, ऐसी सोच का अब अंत हो चुका है। राम मंदिर निर्माण की मशाल गोरक्षपीठ ने उठा रखी थी और अब पीठ के पीठाधीश्वर के नेतृत्व में यह कार्य पूर्ण हो रहा है। ऐसा विश्वास है कि भगवान राम की कृपा प्रदेश की जनता पर बरसेगी और सब मंगल करेगी।
दैहिक दैविक भौतिक तापा। राम राज नहिं काहुहि ब्यापा॥
सब नर करहिं परस्पर प्रीती। चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीती ॥
(लेखिका सर्वोच्च न्यायालय की अधिवक्ता हैं।)
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