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UP Assembly Elections 2022: 'रामराज' को जमीन पर उतारना ही संकल्प यात्रा का मकसद, बोले- मनीष सिसोदिया

Updated Sep 14, 2021 | 10:51 IST

यूपी विधानसभा में बेहतर प्रदर्शन के लिए आम आदमी पार्टी संकल्प यात्रा निकाल रही है। उस क्रम में दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि रामराज की अवधारणा को जमीन पर उतारना ही उनकी पार्टी की संकल्प है।

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रामराज को जमीन पर उतारना ही संकल्प यात्रा का मकसद, बोले- मनीष सिसोदिया
मुख्य बातें
  • 2022 में यूपी विधानसभा चुनाव होने हैं, राजनीतिक समीकरणों को साधने की तैयारी
  • मतदाताओं को लुभाने के लिए आम आदमी पार्टी की संकल्प यात्रा
  • अयोध्या में मनीष सिसोदिया बोले- रामराज से प्रेरित सरकार की स्थापना का लक्ष्य

यूपी विधानसभा चुनाव के लिए सभी राजनीतिक दलों ने कमर कस ली है। 2022 का चुनाव बीजेपी, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस के साथ साथ आम आदमी पार्टी के लिए भी अहम है। आप को लगता है कि देश की सियासत में दमदार अंदाज में मौजूदगी दर्ज कराने के लिए यूपी में बेहतर प्रदर्शन करना ही होगा क्योंकि दिल्ली की सत्ता यूपी से होकर जाती है। जनता के बीच पहुंचने के लिए आम आदमी पार्टी भी संकल्प यात्रा कर रही है और उस क्रम में दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया अयोध्या में थे। 

'रामराज से प्रेरित सरकार की स्थापना ही लक्ष्य'
मनीष सिसोदिया ने रामलाल के दर्शन किए तो उसके अलावा हुनमान गढ़ी में सुंदर कांड का पाठ किया। साधु संतों के साथ पांत में बैठकर भोजन कर संदेश दिया कि उनकी पार्टी भी हिंदू आस्था का सम्मान करती है, उनके लिए भी श्रीराम का राज ही आदर्श है। रामलला के दर्शन और संतों के ‘विजयी भव, विजयी भव’ के आशीर्वाद के बाद आज तिरंगा संकल्प यात्रा. इस संकल्प के साथ कि UP में तिरंगे के नीचे रहने वाले हर नागरिक को अच्छी शिक्षा, स्वास्थ्य बिजली, रोज़गार, सुरक्षा देने वाली, प्रभुश्रीराम के रामराज से प्रेरित, AAP की सरकार बनाएंगे।

क्या कहते हैं जानकार
जानकारों का कहना है कि 2022 का यूपी चुनाव सभी दलों के लिए अहम है, बीजेपी के लिए अहम इसलिए कि वो 2024 के चुनाव से पहले कह सकेगी कि फाइनल चुनावी मैच से पहले जनता ने सेमीफाइनल मैच में अपना आशीर्वाद दे दिया है। इसके साथ ही बीएसपी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है तो समाजवादी पार्टी संदेश देना चाहेगी कि उसमें दमखम दोनों है।

अगर बात कांग्रेस की करें तो करीब चार दशक बाद पार्टी को नई शुरुआत करनी है। इसके साथ ही अब आम आदमी पार्टी आक्रामक अंदाज में यूपी की सियासी लड़ाई में कूद रही है तो स्वाभाविक है उसे एक ऐसे वोटबैंक की तलाश है जो आसानी से अपना पाला बदल सके। अब अगर बीएसपी और समाजवादी पार्टी के कोर वोटबैंक को देखें तो उसमें सेंध लगा पाना आसान नहीं है, लिहाजा आम आदमी पार्टी की नजर बीजेपी और कांग्रेस के परंपरागत वोट बैंक पर है। 

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